बॉडीकैम,हथियार और बैसरन का कठिन इलाका, पूरी तैयारी के साथ आए थे आतंकी

शुरुआती जानकारी के मुताबिक आतंकियों को पता था कि पहलगाम के बैसरन घाटी में सुरक्षा उतनी चाकचौबंद नहीं रहती है। लिहाजा उन्होंने इस इलाके का चुनाव आतंकी हमले के लिए किया।;

Update: 2025-04-23 09:05 GMT
23 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम आतंकी हमले के हमलावरों को पकड़ने के लिए पहलगाम के बैसरन इलाके में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मी। फोटो: पीटीआई

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की शुरुआती जांच में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों ने जानबूझकर बैसारन जैसे दूरस्थ इलाके को चुना क्योंकि वहां सुरक्षा व्यवस्था नगण्य थी, जिससे उन्हें अधिकतम नुकसान पहुंचाने का अवसर मिला।

बैसरन की भौगोलिक स्थिति बनी हमले की वजह

यह घातक हमला, जिसमें 26 लोगों की जान गई जिनमें अधिकतर पर्यटक थे बहुत सोच-समझकर किया गया था। आतंकियों ने पहले इलाके की अच्छी तरह से रेकी की और फिर बैसारन के सुनसान घास के मैदानों को चुना क्योंकि यहां सुरक्षा बलों की मौजूदगी नहीं थी। बैसारन, पहलगाम शहर से करीब 6.5 किलोमीटर की दूरी पर है और वहां पैदल या खच्चरों के ज़रिए ही पहुंचा जा सकता है, जिससे आपातकालीन मदद समय पर पहुंच पाना मुश्किल हो गया।

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हमले के दौरान पहने थे हेलमेट कैमरे

मीडिया सूत्रों के अनुसार, हमलावरों ने हेलमेट पर बॉडी कैमरे लगाए हुए थे जिससे उन्होंने इस खौफनाक वारदात को रिकॉर्ड किया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आतंकियों ने पहले पर्यटकों को एकत्र किया, उन्हें लिंग के आधार पर अलग किया, उनकी पहचान की पुष्टि की और फिर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।

स्नाइपर जैसे शॉट्स से की गई हत्याएं

तीन से चार आतंकी पास से AK-47 से गोली चला रहे थे, वहीं कुछ ने दूर से स्नाइपर जैसी फायरिंग की। कई लोगों की मौत अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मदद पहुंचने से पहले ही हो गई।

छह आतंकी, स्थानीय मददगार

सूत्रों के मुताबिक, इस हमले में छह आतंकी शामिल थे जिनमें ज़्यादातर पाकिस्तानी और कश्मीरी नागरिक थे। इन्हें स्थानीय सहयोगियों का भी साथ मिला। हमला करने से पहले आतंकियों ने घने जंगलों में अपने ठिकाने बना लिए थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि हमले के बाद वे अपने ठिकाने बदल चुके हैं और इसमें उन्हें स्थानीय स्लीपर सेल्स की मदद मिली है।

TRF ने ली हमले की जिम्मेदारी – जानिए कौन है ये संगठन

पहाड़गाम नरसंहार की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। यह संगठन पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का प्रॉक्सी संगठन माना जाता है और 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद अस्तित्व में आया था। TRF ने जिहादी आतंकवाद को 'प्रतिरोध' के नए नाम से प्रचारित किया।

जनवरी 2023 में गृह मंत्रालय ने TRF को गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत एक "आतंकी संगठन" घोषित किया था। TRF पर आतंकियों की भर्ती, आतंकवादी गतिविधियों का प्रचार, घुसपैठ और हथियार व ड्रग्स की तस्करी जैसे संगीन आरोप हैं। इसका प्रमुख शेख सज्जाद गुल UAPA के चौथे शेड्यूल में सूचीबद्ध आतंकवादी है। TRF ने घाटी में पिछले कुछ वर्षों में कई घातक हमले किए हैं और इसकी आतंकियों की मौत दर सबसे ज्यादा रही है।

NIA कर रही जांच, सबूत जुटाने का काम जारी

इस हमले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के हाथ में है। एजेंसी ने घटनास्थल से बुलेट केसिंग्स, मिट्टी के नमूने और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने का कार्य शुरू कर दिया है। क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क डेटा की जांच भी की जा रही है ताकि हमलावरों की गतिविधियों का पता लगाया जा सके। बैसारन के आस-पास कई लोगों से पूछताछ की जा रही है।

इस आतंकी हमले ने एक बार फिर घाटी की नाजुक सुरक्षा स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। TRF जैसे संगठनों की भूमिका और स्थानीय नेटवर्क की मौजूदगी पर अब विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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