पूजा खेडकर को आईएएस उम्मीदवारी रद्द करने के आदेश की प्रति भेजेगी यूपीएससी
अदालत ने आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर से यूपीएससी को अपना पता देने को कहा और कहा कि आदेश उन्हें भौतिक ( फिजिकल कॉपी ) रूप से और इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-08-07 10:07 GMT
Puja Khedkar: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वो पूर्व प्रोबेशनरी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द करने के अपने आदेश की जानकारी दो दिन के भीतर दे देगा. दरअसल पूजा खेड़कर की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी,
यूपीएससी की दलीलों पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने खेडकर की याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें आयोग की प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई है.
अदालत ने कहा, "याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार उचित मंच पर जाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है. ये स्पष्ट किया जाता है कि इस अदालत ने मामले के गुण-दोष पर न तो कोई विचार किया है और न ही कोई राय व्यक्त की है तथा वर्तमान याचिका का दायर होना मामले के गुण-दोष के आधार पर उचित मंच द्वारा निर्णय लिए जाने के आड़े नहीं आएगा."
अदालत ने खेडकर से यूपीएससी को अपना पता देने को कहा और कहा कि आदेश उन्हें भौतिक रूप से और इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध कराया जाए.
इसने ये भी कहा कि रद्दीकरण आदेश को चुनौती देने जैसी अन्य राहत के लिए खेडकर को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में जाना होगा.
सुनवाई के दौरान खेडकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन्हें रद्द करने के आदेश के बारे में कभी नहीं बताया गया और उन्हें इसके बारे में केवल प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पता चला.
अदालत द्वारा ये पूछे जाने पर कि उन्होंने अपनी चुनौती के लिए कैट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया, खेडकर के वकील ने कहा कि चूंकि उन्हें यूपीएससी द्वारा आधिकारिक आदेश नहीं दिया गया था, इसलिए प्रेस विज्ञप्ति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की गई.
यूपीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा कि आयोग द्वारा दो दिनों के भीतर खेडकर को उनके ईमेल आईडी के साथ-साथ उनके अंतिम ज्ञात पते पर आदेश की जानकारी दी जाएगी.
31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित कर दिया.
उन पर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के लिए अपने आवेदन में 'गलत जानकारी प्रस्तुत करने' का आरोप लगाया गया था. खेडकर पर धोखाधड़ी और ओबीसी और विकलांगता कोटा लाभ का गलत तरीके से लाभ उठाने का भी आरोप लगाया गया था.
एक अगस्त को निचली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ये गंभीर आरोप हैं जिनकी "गहन जांच की आवश्यकता है."
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)