राहुल की 'वोटर अधिकार यात्रा' अंतिम पड़ाव पर, असली चुनौती अब शुरू
‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि विपक्ष का SIR, EC और भाजपा के खिलाफ सियासी हथियार बन गई है। हालांकि, चुनावी नतीजों पर इसका असर कितना होगा, यह सीट बंटवारे और जमीनी संगठन की ताकत तय करेगी।;
चुनावी राज्य बिहार में 1,300 किलोमीटर से अधिक की यात्रा और 25 जिलों व दोगुनी विधानसभा सीटों को पार करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' आज सोमवार को राज्य की राजधानी पटना में समाप्त होगी। यह यात्रा राहुल गांधी ने विपक्षी गठबंधन के प्रमुख नेताओं के साथ मिलकर शुरू की थी। इस यात्रा में उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, भाकपा (माले) के नेता दीपंकर भट्टाचार्य और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी शामिल हैं। इन सभी नेताओं के साथ महागठबंधन के कार्यकर्ता और समर्थक भी यात्रा में शामिल रहे।
यात्रा का समापन पटना के गांधी मैदान में सुबह 10:30 बजे एक बड़े जनसभा के साथ होगा, जहां महागठबंधन के नेता एक साथ मंच साझा करेंगे और राज्य में लोकतंत्र व मतदाता अधिकारों की रक्षा को लेकर जनता को संबोधित करेंगे। इस यात्रा को बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता के बड़े प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
प्रतीकों के सहारे सियासी संदेश
इस बार की यात्रा को 'गांधी से अंबेडकर' तक की यात्रा करार दिया गया। गांधी मैदान से बाबासाहेब अंबेडकर पार्क (नेहरू पथ) तक मार्च कर विपक्षी नेताओं ने एकता का प्रदर्शन किया। इस मार्च को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेतृत्वकर्ता महात्मा गांधी और भारतीय संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के विचारों के मिलन के रूप में पेश किया गया। इस यात्रा के जरिए विपक्ष ने 7.24 करोड़ बिहारियों को अपने वोट के महत्व और संविधान में प्रदत्त अधिकारों की जानकारी देने का दावा किया है।
चुनाव आयोग को सीधा संदेश
यह यात्रा ऐसे समय में समाप्त हुई, जब बिहार में वोटर लिस्ट के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) पर विवाद चरम पर है। 1 सितंबर को EC की तरफ से दावा और आपत्तियां दर्ज कराने की आखिरी तारीख थी। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि SIR के नाम पर 65 लाख से अधिक नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा चुके हैं, जिससे वोट चोरी की साजिश रची जा रही है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और भाजपा के कथित मिलीभगत पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम बिहार का चुनाव चोरी नहीं होने देंगे।
भीड़ से मिला भरोसा, लेकिन असली चुनौती बाकी
यात्रा के दौरान विशाल भीड़ ने विपक्ष का हौसला तो बढ़ाया, लेकिन राजद के नेताओं ने सतर्कता भी बरती। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भीड़ को वोट में तब्दील करना असली चुनौती है। कांग्रेस को यात्रा से ज़रूर नई ऊर्जा मिली है, लेकिन 2020 में 70 में से केवल 19 सीटें जीतने वाली पार्टी के लिए यह सब कुछ नहीं है। कांग्रेस के एक पूर्व विधायक ने कहा कि यात्रा से साबित हो गया कि कांग्रेस अब बोझ नहीं है। दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों में राहुल गांधी की अपील ने पार्टी को पुनर्जीवित किया है।
आगे की रणनीति
महागठबंधन अब सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू करने जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अगले दो सप्ताह में यह प्रक्रिया पूरी करने का प्रयास रहेगा। एक वरिष्ठ नेता ने क कि अब गठबंधन सिर्फ राजनीतिक मजबूरी नहीं, जनता की मांग बन चुकी है। इसके साथ ही, अब SIR से आगे बढ़कर बेरोजगारी, पलायन और नीतीश शासन में विस्थापन जैसे राज्य-स्तरीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की तैयारी है। ‘नौकरी मतलब तेजस्वी’ जैसे अभियानों को फिर से ज़ोर दिया जाएगा और दलित एवं EBC वर्गों तक पहुंच बढ़ाई जाएगी।
‘प्रशांत किशोर फैक्टर’
कांग्रेस और राजद दोनों मानते हैं कि प्रशांत किशोर के अभियान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किशोर शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे जातिविहीन मुद्दों को लेकर युवाओं के बीच पकड़ बना रहे हैं। यह देखना होगा कि उनका असर महागठबंधन को नुकसान पहुंचाता है या NDA को।