रायजोर दल की जिद से कांग्रेस संग बढ़ा टकराव,असम में विपक्ष के सामने संकट

असम में सीट बंटवारे पर कांग्रेस-रायजोर दल आमने-सामने आ गए हैं। विपक्षी वोट बंटने से बीजेपी-एनडीए को फायदा मिल सकता है।

Update: 2025-09-25 02:11 GMT
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असम में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ विपक्ष की बनाई गई रणनीति, जिसने 2024 लोकसभा चुनाव में अच्छे नतीजे दिए थे, अब बड़ा झटका खा रही है। इस झटके की वजह है विपक्षी गठबंधन का अहम घटक रायजोर दल, जिसने अब कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

लोकसभा चुनाव में रंग लाई इंद्रधनुषी राजनीति

2024 में कांग्रेस ने वाम दलों, असम जातीय परिषद (AJP) और रायजोर दल के साथ मिलकर एक इंद्रधनुषी गठबंधन बनाया था। खासकर असमी पहचान पर केंद्रित AJP और रायजोर दल ने कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती दी थी।इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखा, जब विपक्ष का वोट शेयर 2019 के 35.8% से बढ़कर 37.9% हो गया। राजनीतिक विश्लेषक अरूप ज्योति दास के मुताबिक, “इन नतीजों से माना जाने लगा कि यह गठबंधन 2026 विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए कड़ी चुनौती साबित होगा।”

सीट बंटवारे पर विवाद

लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। रायजोर दल ने घोषणा की है कि वह 126 में से 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस सीट-बंटवारे को लेकर बार-बार देरी कर रही है।रायजोर दल के वरिष्ठ नेता रसेल हुसैन का आरोप है कि कांग्रेस ने वादा किया था कि 10 सितंबर तक सीट बंटवारे की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। “छोटी पार्टियों के पास संसाधन कम होते हैं। हमें जमीन पर तैयारी के लिए वक्त चाहिए। इसलिए हमने अपने प्रभाव वाली 36 सीटों पर उतरने का फैसला किया है,” हुसैन ने कहा।

कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने रायजोर दल के आरोपों को नकारते हुए कहा कि ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। असम कांग्रेस के प्रवक्ता बেদोब्रता बोरा ने कहा, “अगर रायजोर दल वास्तव में गठबंधन को लेकर गंभीर है, तो उसे खुद सीटों का ऐलान नहीं करना चाहिए था। यह उनके असली इरादे पर सवाल खड़े करता है।”

क्या दोहराए जाएंगे 2021 जैसे हालात?

विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और रायजोर दल की इस तनातनी से बीजेपी को फायदा हो सकता है। 2021 विधानसभा चुनाव में भी असम जातीय परिषद और रायजोर दल के अकेले लड़ने से विपक्ष के वोट कटे थे और एनडीए को लगभग 14 सीटों पर सीधा लाभ मिला था।अरूप ज्योति दास कहते हैं, “तब CAA विरोध और असमी पहचान बड़े मुद्दे थे। लेकिन तीनों दलों ने मिलकर वोट खींचे, नतीजा यह हुआ कि विपक्ष का वोट बंटा और बीजेपी की राह आसान हो गई।”

मुस्लिम वोटों पर नजर

कांग्रेस खेमे की एक और चिंता मुस्लिम बहुल इलाकों में वोट बंटवारे को लेकर है। रायजोर दल कई मुस्लिम-बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारने जा रहा है। हालांकि रायजोर दल का दावा है कि वह केवल उन सीटों पर उतरेगा जहां बीजेपी की संभावना नहीं है। हुसैन का कहना है, “हाल के चुनावों में मुस्लिम वोटर AIUDF से दूर हुए हैं। वे बीजेपी को वोट नहीं देंगे। ऐसे में वे या तो कांग्रेस को चुनेंगे या फिर विपक्ष की दूसरी पार्टियों को।”

असम जातीय परिषद की सावधानी

AJP ने फिलहाल चुप्पी साधी हुई है। महासचिव जगदीश भुइयां ने कहा, “कुछ ही महीने चुनाव में बचे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सीट बंटवारे की प्रक्रिया जल्द पूरी हो, ताकि उम्मीदवारों को पर्याप्त समय मिल सके। असम की विपक्षी राजनीति में कांग्रेस और रायजोर दल के बीच दरार बीजेपी-एनडीए के लिए वरदान साबित हो सकती है। विपक्षी दलों की एकजुटता ही 2026 के विधानसभा चुनाव में उनके लिए निर्णायक होगी।

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