यूपी में स्कूलों के मर्जर का रास्ता साफ़, मर्जर के खिलाफ दर्ज याचिकायें खारिज

यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के छात्रों की संख्या के आधार पर मर्जर के फैसले कर अदालत ने मुहर लगा दी है।हाईकोर्ट ने माना कि बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए ये फैसला लिया गया है।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-07-07 17:48 GMT
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती,जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो।

यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों के मर्जर का रास्ता साफ़ हो गया है।हाई कोर्ट ने सोमवार को फ़ैसला सुनाते हुए मर्जर को सही ठहराया है।सोमवार को अदालत ने मर्जर के ख़िलाफ़ दाखिल याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।सरकार ने अदालत में इस बात पर पक्ष रखा था कि संस्थानों के बेहतर उपयोग और छात्रों के हित में ये फ़ैसला लिया गया है।

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और बेसिक विद्यालयों के मर्जर के मुद्दे पर सरकार को बड़ी राहत मिली है।सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले पर इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सरकार के तर्क को सही मानते हुए मर्जर के फैसले कर मुहर लगा दी।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती,जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो।कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में है।याचिका कर्ताओं ने इस बात को कहा था कि ये फ़ैसला मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधानों का उल्लंघन है।कोर्ट ने कहा कि सरकार का यह फ़ैसला अनुच्छेद 21 ए के उल्लंघन की श्रेणी में नहीं आता बल्कि इसका उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।कोर्ट ने माना कि इन स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही थी।सरकार की ओर से ये दलील दी गई थी थी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए यह ज़रूरी है।पास के स्कूलों से एकीकृत होने से इन छात्रों को भी लाइब्रेरी, लैब, स्मार्ट जल्द जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।सरकार की और से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया और मुख्य स्थाई अधिवक्ता संदीप दीक्षित ने सरकार का पक्ष रखा।सरकार की तरफ़ से बताया गया कि कुछ स्कूलों में एक भी छात्र नहीं हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था। इसमें यूपी के स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नज़दीकी स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था।सरकार ने तर्क दिया था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा। इस फैसले का चौतरफा विरोध हो रहा था।यूपी में विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर निशाना साधा था।अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेरा था।बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने फ़ैसला वापस लेने की माँग की थी।कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में विरोध प्रदर्शन भी किया था। प्राथमिक शिक्षक संघ भी इस फ़ैसले का विरोध कर रहा है।

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