कोंगु रीजन पर डीएमके की नजर, सेंथिल बाला जी को मिल सकती है नई जिम्मेदारी

डीएमके का लक्ष्य कोंगु क्षेत्र में अपनी बढ़त को मजबूत करना है, जहां बालाजी के संगठनात्मक कौशल और सामुदायिक संबंध उसे एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन के खिलाफ लड़ाई का मौका देते हैं;

Update: 2025-04-28 03:04 GMT
अभी तक सेंथिल बालाजी, एमके स्टालिन सरकार में मंत्री थे File photo: X/@V_Senthilbalaji

Senthil Balaji News:  तमिलनाडु के बिजली, मद्य निषेध और आबकारी मंत्री वि. सेंथिल बालाजी ने रविवार (27 अप्रैल) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनके कैबिनेट से बाहर होने के बाद, डीएमके हाईकमान उन्हें पश्चिमी तमिलनाडु (कोंगु क्षेत्र) का पार्टी प्रभारी नियुक्त कर सकता है। यह वही इलाका है जहाँ ऐतिहासिक रूप से एआईएडीएमके और बीजेपी का दबदबा रहा है। इस रणनीतिक कदम के जरिए डीएमके, बालाजी के क्षेत्रीय प्रभाव का लाभ उठाते हुए 2026 विधानसभा चुनावों की तैयारी करना चाहती है।

डीएमके के लिए क्यों जरूरी हैं बालाजी?

कोंगु क्षेत्र जिसमें कोयंबटूर, करूर और इरोड जैसे जिले आते हैं में बालाजी की राजनीतिक उपयोगिता निर्विवाद है। 2018 में डीएमके में शामिल होने के बाद से बालाजी ने एआईएडीएमके-बीजेपी के गढ़ को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई है।

2022 के कोयंबटूर नगर निकाय चुनावों में, बालाजी के नेतृत्व में डीएमके गठबंधन ने 100 में से 96 वार्डों पर जीत दर्ज की, जो 2021 के विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन से कहीं बेहतर था।यहां तक कि जून 2023 से सितंबर 2024 तक जेल में रहते हुए भी बालाजी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में डीएमके को सलाह दी थी, जिससे पार्टी ने कोयंबटूर सीट पर बीजेपी के के. अन्नामलाई को 1.14 लाख वोटों से हराया।

कोंगु बेल्ट में मुश्किल चुनौती

कोंगु क्षेत्र में डीएमके की राजनीतिक राह हमेशा कठिन रही है। 2021 में हुए विधानसभा चुनावों में एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन ने 50 में से 33 सीटें जीती थीं। बालाजी, जो जाति से गौंडर समुदाय से आते हैं, ने इस प्रभावशाली समुदाय को डीएमके के पक्ष में मोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।सितंबर 2024 में जमानत मिलने के बाद बालाजी को फिर से कोयंबटूर का प्रभारी बनाया गया, जो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से उनके क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने का स्पष्ट संकेत था।

सूत्रों के अनुसार, अब कैबिनेट से बाहर होने के बावजूद, डीएमके उन्हें औपचारिक रूप से पश्चिमी तमिलनाडु का प्रभारी नियुक्त कर सकती है। यह वही जिम्मेदारी है जो उन्होंने 2019 में करूर जिले में भी संभाली थी। यह फैसला पार्टी की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें विपक्ष के भ्रष्टाचार के आरोपों का मुकाबला करते हुए चुनावी बढ़त बनाए रखना शामिल है।

बालाजी की राजनीतिक यात्रा और चुनौतियां

बालाजी की राजनीतिक यात्रा उनकी जिद और लचीलापन दर्शाती है। पंचायत पार्षद से लेकर जयललिता सरकार में परिवहन मंत्री बनने तक, उन्होंने एमडीएमके, डीएमके, एआईएडीएमके, एएमएमके और फिर डीएमके जैसी कई पार्टियों में सफलता पूर्वक स्थान बनाया।2019 के अरवाकुरिची उपचुनाव और 2021 के करूर चुनाव में उनकी जीत ने डीएमके में उनकी उपयोगिता को मजबूत किया।

हालांकि, उनकी कानूनी परेशानियां — जिसमें 471 दिनों तक जेल और वर्तमान में जारी मुकदमा शामिल हैं — पार्टी के लिए जोखिम का कारण बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में गवाहों पर दबाव डालने को लेकर चिंता जताई थी, जो डीएमके के लिए एक नैतिक चुनौती है। विपक्षी पार्टियाँ जैसे बीजेपी और एआईएडीएमके आरोप लगा रही हैं कि बालाजी को अहम भूमिका देना पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी दावे को कमजोर करता है, खासकर जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च 2025 में उनके ठिकानों पर ताजा छापेमारी की थी।

नकदी के बदले नौकरी घोटाले की फिर से चर्चा

सेंथिल बालाजी की राजनीतिक गिरावट एक बार फिर उसी पुराने नकदी के बदले नौकरी घोटाले से जुड़ गई है, जो उनके एआईएडीएमके कार्यकाल (2011-2015) में परिवहन मंत्री रहते हुए सामने आया था।

इस घोटाले के तहत बालाजी पर आरोप है कि उन्होंने तमिलनाडु परिवहन विभाग में ड्राइवर, कंडक्टर और जूनियर इंजीनियर जैसे पदों के लिए उम्मीदवारों से रिश्वत ली थी। ईडी ने बाद में दावा किया कि बालाजी, उनके भाई आर.वी. अशोक कुमार और निजी सहायक बी. शनमुगम के साथ मिलकर एक संगठित घोटाले का संचालन कर रहे थे।

2018 में मेट्रो ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के एक तकनीकी कर्मचारी द्वारा 40 लाख रुपये की रिश्वत के बावजूद नौकरी नहीं मिलने की शिकायत से इस जांच की शुरुआत हुई थी।

ईडी ने 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया और बालाजी व उनकी पत्नी के खातों में 1.34 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जमा होने का दावा किया।

14 जून 2023 को ईडी ने बालाजी को गिरफ्तार किया और 471 दिनों तक जेल में रहने के बाद 26 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली।

29 सितंबर 2024 को उन्हें फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाई गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल 2025 को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि पद पर रहते हुए गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी हुई है।

आगे की राह

2026 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए डीएमके कोंगु क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, और सेंथिल बालाजी का संगठनात्मक कौशल इसमें अहम भूमिका निभा सकता है।हालांकि, विपक्ष इस कदम को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हमले के लिए इस्तेमाल कर सकता है। ऐसे में डीएमके को राजनीतिक संतुलन साधते हुए आगे बढ़ना होगा, जहाँ बालाजी एक प्रमुख लेकिन विवादास्पद चेहरा बने रहेंगे।

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