शिवसेना UBT नेता का बाबरी मस्जिद विध्वंस पर नारा सपा ने किया MVA से किनारा

शिवसेना UBT के नेता मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर एक ट्वीट किया, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी की तरफ से आपत्ति जताई गयी और कहा गया कि ऐसी परिस्थित में MVA में बने रहना मुमकिन नहीं है।;

Update: 2024-12-07 10:21 GMT

Maharashtra : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास अघाड़ी में आई दरार खुल कर सामने आ गयी है, जिसके नतीजतन समाजवादी पार्टी ने खुद को MVA से अलग होने का एलान कर दिया है। वो बात और है कि अलग होने के लिए बाबरी मस्जिद का बहाना बनाया गया है। दरसल समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) से अलग होने की घोषणा की। सपा ने कहा कि ये कदम शिवसेना (यूबीटी) के एक नेता द्वारा बाबरी मस्जिद विध्वंस की सराहना करने और इसके समर्थन में अखबार में विज्ञापन देने के बाद उठाया गया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या समाजवादी पार्टी को शिवसेना (UBT) की पृष्ठभूमि नहीं पता थी? दूसरा सवाल ये कि जिस MVA से समाजवादी पार्टी अलग होने का दावा कर रही है, उसी MVA ने विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए कितनी सीट छोड़ी थीं?


समाजवादी पार्टी की तरफ से क्या कहा गया
महाराष्ट्र सपा अध्यक्ष अबू आज़मी ने कहा, “शिवसेना (यूबीटी) ने बाबरी मस्जिद को गिराने वालों की तारीफ की है। उनके नेताओं ने इस पर पोस्ट डालकर गर्व व्यक्त किया है। ऐसी मानसिकता के साथ हमारा गठबंधन संभव नहीं है। हम एमवीए छोड़ रहे हैं और इस बारे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात कर रहा हूं।”

नार्वेकर की पोस्ट से उपजा विवाद
शिवसेना (यूबीटी) एमएलसी मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद विध्वंस की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "मुझे उन पर गर्व है जिन्होंने यह किया।" उन्होंने इस पोस्ट के साथ उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और अपनी तस्वीर भी साझा की। इसके बाद सपा ने शिवसेना (यूबीटी) पर कड़ा रुख अपनाते हुए एमवीए से अलग होने का फैसला किया।

सपा का रुख
अबू आज़मी ने कहा, “हम सेक्युलर राजनीति में विश्वास करते हैं। अगर एमवीए में शामिल पार्टियां सांप्रदायिक मानसिकता दिखाएंगी, तो भाजपा और उनमें कोई अंतर नहीं रहेगा। ऐसे में हमें गठबंधन में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।”

सियासी समीकरणों पर असर
महाराष्ट्र में सपा के दो विधायक हैं, लेकिन एमवीए से सपा का अलग होना विपक्षी गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। एमवीए, जिसमें शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी शामिल हैं, पहले ही भाजपा और शिंदे गुट से कड़ी टक्कर झेल रहा है।

आगे की रणनीति
सपा के इस फैसले पर एमवीए के अन्य दलों की प्रतिक्रिया अभी आनी बाकी है। वहीं, अबू आज़मी ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी। यह घटना न केवल महाराष्ट्र बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक हलचल मचा सकती है। खैर देखने वाली बात ये होगी कि MVA के जो दो अन्य घटक ( कांग्रेस और NCP शरद पवार ) क्या इस मुद्दे पर कुछ कहते हैं या नहीं ?


(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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