डीके शिवकुमार समर्थकों को सिद्धारमैया का संदेश, 5 साल तक रहेंगे सीएम

कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने पांच साल पद पर बने रहने की बात दोहराई। वहीं डीके शिवकुमार कहा कहना है कि अब भला उनके पास विकल्प क्या है। लेकिन उनके समर्थक अड़े हुए हैं।;

Update: 2025-07-02 08:44 GMT

कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि वे पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार को अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखने की मांग कांग्रेस विधायकों के एक वर्ग द्वारा तेज़ी से उठाई जा रही है।

बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि मैं कर्नाटक का मुख्यमंत्री पांच वर्षों तक रहूंगा। इसमें कोई संदेह क्यों होना चाहिए? उनके इस बयान को पार्टी में नेतृत्व को लेकर उठ रहे सवालों का दो टूक जवाब माना जा रहा है।

'मेरे पास कोई विकल्प नहीं'

राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भी मामले पर सफाई दी कि उन्होंने किसी से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग नहीं की है। साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि जो नेता सार्वजनिक रूप से नेतृत्व परिवर्तन की बात करेंगे, उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा।शिवकुमार ने कहा, "क्या मैं अकेला हूं? मेरे जैसे सैकड़ों लोगों ने मेहनत की है। लाखों कार्यकर्ताओं ने पसीना बहाया है। मुझे उनके बारे में पहले सोचना है। मेरे पास सिद्धारमैया का समर्थन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी जो भी निर्णय लेगी, वह उसे मान्य होगा।

कांग्रेस विधायकों में नेतृत्व परिवर्तन की मांग

कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन के मुताबिक, लगभग 100 कांग्रेस विधायकों ने आलाकमान से नेतृत्व में बदलाव की मांग की है और चाहते हैं कि डी.के. शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए।हुसैन, जो खुद शिवकुमार के समर्थक हैं, ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला से नेतृत्व परिवर्तन की मांग रखी है।  हालांकि, सुरजेवाला ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन पर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई है। वे पार्टी विधायकों से लगातार बैठकें कर रहे हैं।

डी.के. शिवकुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व को लेकर किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है।कांग्रेस पार्टी की आंतरिक खींचतान के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का यह बयान एक संदेश है कि वे नेतृत्व में किसी भी प्रकार के बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे और पूरा कार्यकाल मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। हालांकि, डी.के. शिवकुमार की बढ़ती लोकप्रियता और समर्थकों की मांगें भविष्य में पार्टी नेतृत्व के लिए चुनौती जरूर बन सकती हैं।

सिद्धारमैया-डीकेएस 2023 विवाद

मई 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ी जीत दर्ज की। न केवल सीटों के मामले में, बल्कि वोट प्रतिशत के स्तर पर भी। इस जीत के पीछे पार्टी की रणनीति भी अहम थी जिसमें कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार (डीकेएस) में से किसी एक को खुलकर सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया। इसका मकसद था किसी एक नेता को प्राथमिकता देने से जुड़ी समुदाय आधारित नाराज़गी से बचना। इसके बजाय, मतदाताओं के सामने खड़गे, सिद्धारमैया और डीकेएस की त्रिमूर्ति को प्रस्तुत किया गया।

चुपचाप शुरू हुई सत्ता की दौड़

जीत के जश्न के बीच डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोकने की तैयारी शुरू कर दी। वह मानते थे कि इस जीत में उनकी अहम भूमिका रही है और यह पद अब उनके लिए ‘दोगुना हक़’ बन चुका है। इसके बाद पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं सिद्धारमैया और डीकेएस के बीच कई दिनों तक सत्ता-सौदेबाज़ी चली। दोनों नेताओं के पीछे अलग-अलग समुदायों का मज़बूत समर्थन था। चुनाव प्रचार के दौरान भले ही उन्होंने एकजुट चेहरा दिखाया हो। लेकिन वर्षों पुराना आपसी तनाव फिर उभरने लगा।

सिद्धारमैया सीएम, डीकेएस को डिप्टी सीएम

अंत में  पार्टी ने वरिष्ठ नेता और वंचित तबकों व अल्पसंख्यकों के समर्थक सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया। पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन भी उन्हें ही मिला। डीकेएस को संतुलन के तौर पर दो विकल्प दिए गए जिनमें से एक को उन्होंने चुना। डिप्टी सीएम बनना, प्रमुख मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी पाना और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने रहना।

लेकिन दूसरा विकल्प यानी सत्ता साझा करना मौजूदा विवाद की जड़ बन गया। इस प्रस्ताव के तहत तय हुआ था कि पांच साल के कार्यकाल को दो भागों में बांटा जाएगा और सितंबर 2025 में सत्ता डीकेएस को सौंप दी जाएगी। अब जब यह 'हाफटर्म' यानी ढाई साल करीब आ गया है, डीकेएस समर्थक विधायक लगातार इस ‘समयसीमा’ की याद दिला रहे हैं और अपने नेता को सीएम बनाए जाने की मांग को दोहरा रहे हैं।

जैसे-जैसे असंतोष की फुसफुसाहटें तेज हुईं। डीकेएस समर्थकों ने सिद्धारमैया सरकार पर भ्रष्टाचार तक के आरोप लगाए तो कांग्रेस आलाकमान को फिर से हस्तक्षेप करना पड़ा। पहले, एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दोनों नेताओं को हाथ में हाथ डालकर मुस्कुराते हुए दिखाया गया। उस समय सिद्धारमैया ने कहा कि हमारी सरकार पांच साल तक चट्टान की तरह टिकेगी। इसके बाद, पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजा गया ताकि दोनों नेताओं में अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी समझौता करवा सकें।

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