धर्मस्थल के गुप्त कब्रों की तलाश में उतरी SIT, NDRF उपकरण की मांग

धर्मस्थल सामूहिक दफन मामले में SIT ने शवों की खोज के लिए NDRF से हाई-टेक उपकरण मांगे हैं. बारिश और ढीली मिट्टी के कारण मैनुअल खुदाई मुश्किल है.;

Update: 2025-08-08 06:33 GMT

धर्मस्थल, कर्नाटक में कथित सामूहिक दफन मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल (SIT) ने कई साल पहले दफनाए गए शवों का पता लगाने के लिए राज्य सरकार से तकनीकी मदद मांगी है. वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस द्वारकानाथ, जिन्होंने इस मामले में SIT की जांच को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अपील की थी, ने द फेडरल को इस तकनीकी मदद की मांग की पुष्टि की.

अधिकारियों के मुताबिक, जांचकर्ताओं को दुर्गम भूभाग और लगातार हो रही बारिश के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। नेत्रावती नदी के किनारे का जंगल क्षेत्र, जो खुदाई का केंद्र है, बेहद ढीली मिट्टी वाला हो गया है. इस कारण हाथ से खुदाई करना जोखिमभरा और अविश्वसनीय हो गया है.

प्राकृतिक चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीक की जरूरत

कर्नाटक गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारी बारिश और नदी के तेज बहाव से सही दफन स्थलों की पहचान करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा,

“लगातार बारिश और ढीली मिट्टी की वजह से यह खतरा है कि अगर कंकाल मौजूद हैं, तो वे अपनी मूल जगह से खिसक गए होंगे. इसलिए ऐसी तकनीक की जरूरत है, जो इलाके को ज्यादा छेड़े बिना सही जगह का पता लगा सके.”

अधिकारी के मुताबिक, अगर शव या कंकाल दस साल से भी पहले दफनाए गए हैं, तो मिट्टी के खिसकने से वे पहले ही टूट-फूट या बिखर सकते हैं.

NDRF से मदद की योजना

इन परिस्थितियों को देखते हुए SIT ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) से तकनीकी उपकरण उधार ले। सूत्रों के अनुसार, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) NDRF से संपर्क करेगा. ये उपकरण भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान फंसे शवों को खोजने में उपयोग होते हैं, जैसे 2024 में केरल के वायनाड हादसे में.

अगर NDRF सहमत होती है, तो ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (GPR), थर्मल-इमेजिंग डिवाइस और भूमिगत क्षेत्र को पढ़ने वाले विशेष कैमरे SIT की मदद के लिए लगाए जाएंगे.

SDRF के एक अधिकारी ने बताया कि NDRF के पास ये उपकरण मौजूद हैं और SDRF के पास इन्हें भूस्खलन में शव ढूंढने के लिए प्रशिक्षित कर्मी हैं.

“NDRF, अगर सरकार मंजूरी दे, तो निश्चित रूप से SIT की मदद करेगी,” अधिकारी ने कहा. “धर्मस्थल जैसे इलाके में, जहां बारिश लगातार होती है, गैर-हानिकारक तकनीक बेहद जरूरी है.”

पुलिस और विशेषज्ञ भी तकनीक के पक्ष में

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि रडार के इस्तेमाल से बेवजह खुदाई से बचा जा सकता है.

“हम अंधाधुंध खुदाई से किसी भी अवशेष को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते. GPR और इसी तरह के उपकरण पहले स्कैन करके सही जगह चिह्नित कर देंगे, जिससे सबूत सुरक्षित रहेंगे.”

यह तरीका खासकर गीली जमीन में सुरक्षित और भरोसेमंद माना जाता है, क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में खुदाई से संभावित सबूत नष्ट हो सकते हैं.

मामला कैसे शुरू हुआ

पूरा विवाद तब सुर्खियों में आया जब जुलाई में एक व्यक्ति ने स्थानीय अदालत में कबूल किया कि कई साल पहले धर्मस्थल और आसपास के इलाकों में सैकड़ों शव गुपचुप तरीके से दफनाए गए थे. इस स्वीकारोक्ति के बाद SIT ने बड़े पैमाने पर जांच शुरू की और आरोपियों व अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर संभावित दफन स्थलों की पहचान की.

ऐसे ही एक स्थान — जिसे 13वां संदिग्ध दफन स्थल माना जा रहा था — पर गुरुवार (7 अगस्त) को खुदाई की योजना थी, लेकिन आखिरी क्षण में यह ऑपरेशन रद्द कर दिया गया.

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