सोनम वांगचुक को जंतर मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं, दिल्ली पुलिस ने आवेदन किया रिजेक्ट

सोनम वांगचुक ने मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस से सवाल किया ''अनशन करने दे जंतर-मंतर पर बैठ कर, या वो जगह बता जहां दफा ना हो.''

Update: 2024-10-06 13:07 GMT

Sonam Wangchuk : लदाख से पैदल मार्च करते हुए दिल्ली पहुंचे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने एक बार फिर से अनशन करने का एलान किया है. इस बीच दिल्ली पुलिस ने उन्हें जंतर मंतर पर अनशन करने की अनुमति नहीं दी है, जिसे लेकर सोनम वांगचुक ने निराशा व्यक्त की है. इस दौरान सोनम वांगचुक ने मिर्ज़ा ग़ालिब का शेर इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस से सवाल किया ''अनशन करने दे जंतर-मंतर पर बैठ कर, या वो जगह बता जहां दफा ना हो.''

'X' पर पोस्ट करते हुए ये कहा सोनम वांगचुक ने

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठने की अनुमति नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की और कोई दूसरा स्थान सुझाने के लिए कहाँ जहाँ अनशन करने की अनुमति हो.
सोनम वांगचुक ने दिल्ली पुलिस द्वारा जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठने के उनके अनुरोध को खारिज करने वाले पत्र की एक प्रति साझा भी साझा की. सोनम वांगचुक ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, "एक और अस्वीकृति, एक और निराशा. आखिरकार आज सुबह हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से निर्दिष्ट स्थान के लिए यह अस्वीकृति पत्र मिला." "अगर जंतर-मंतर पर अनुमति नहीं है, तो कृपया हमें बताएं कि किस स्थान पर अनुमति है. हम सभी कानूनों का पालन करना चाहते हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी शिकायत व्यक्त करना चाहते हैं. गांधी के अपने देश में उनके रास्ते पर चलना इतना मुश्किल क्यों है? कोई रास्ता तो होना ही चाहिए."

दिल्ली पुलिस ने इजाजत न देने के पीछे ये दिया तर्क
दिल्ली पुलिस ने अपने पत्र में कहा है कि " आवेदन बहुत कम समय के नोटिस" पर प्राप्त हुआ, और सभा के बारे में कोई विशिष्ट समय सीमा का उल्लेख नहीं किया गया है. पुलिस के अनुसार जंतर-मंतर पर किसी भी प्रदर्शन के लिए आवेदन, नियोजित कार्यक्रम से कम से कम 10 दिन पहले भेजना होता है और अनशन/धरना आदि सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच ही आयोजित किया जाना चाहिए.

प्रदर्शन के लिए धुंध रहें हैं वैकल्पिक स्थान
प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लेह एपेक्स बॉडी के समन्वयक जिग्मत पालजोर ने पीटीआई को बताया कि वे वैकल्पिक स्थानों की तलाश कर रहे हैं, जिसके लिए पुलिस और सरकार के साथ चर्चा चल रही है. शनिवार रात एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में वांगचुक ने दावा किया कि जब उन्होंने राजघाट पर अपना अनशन तोड़ा तो उन्हें दो दिनों के भीतर शीर्ष नेतृत्व से मिलने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इससे इनकार कर दिए जाने के बाद उन्हें अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
जलवायु कार्यकर्ता ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को यह भी बताया गया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163, जो अनधिकृत सभाओं पर रोक लगाती है, नई दिल्ली में स्थायी रूप से लागू है. वांगचुक ने कहा, ''इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि लोकतंत्र में ऐसी कोई जगह क्यों नहीं है जहां लोग शांति से बैठ सकें और अपना दर्द साझा कर सकें.''
शनिवार को अधिकांश प्रदर्शनकारी लद्दाख लौट गए, जबकि शेष प्रदर्शनकारी वांगचुक के साथ अनशन में शामिल होने के लिए वहीं रुक गए.


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