बिहार में चुनाव से पहले मतदाता सूची के स्पेशल रिवीजन पर सियासी संग्राम, विपक्ष ने बताया साजिश

साल 2003 के बाद पहली बार बिहार में मतदाता सूची का गहन जांच करने का फैसला लिया गया है. चुनाव आयोग के मुताबिक इसका मकसद सभी योग्य नागरिकों का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ना, जिनका नाम नहीं होना चाहिए उन्हें हटाया जाए, और ये पूरी प्रक्रिया बेहद पारदर्शी तरीके से की जाएगी.;

Update: 2025-06-30 13:29 GMT
बिहार में चुनाव आयोग बांट रहा Enumeration Forms

साल 2025 के आखिर में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन यानी चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची (Electoral Rolls) की Special Intensive Revision करने का फैसला किया. लेकिन चुनाव आयोग के इ#biharelection2025 से पहले मतदाता सूची के स्पेशल रिवीजन पर सियासी संग्राम, विपक्ष ने बताया साजिशस फैसले को लेकर बिहार में राजनीति घमासान छिड़ा हुआ है. बिहार में विपक्षी दलों की इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग के फैसले को विपक्ष के खिलाफ बड़ा साजिश करार दिया है. साथ ही केंद्र की मोदी और राज्य की नीतीश सरकार को निशाने पर लिया है.

पर बड़ा सवाल उठता है क्या है मतदाता सूची की Special Intensive Revision और क्यों चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक तीन महीने पहले ये फैसला किया? आपको बता दें साल 2003 के बाद पहली बार बिहार में मतदाता सूची का गहन जांच करने का फैसला लिया गया है. चुनाव आयोग के मुताबिक इसका मकसद सभी योग्य नागरिकों का नाम वोटर लिस्ट में जोड़ना, जिनका नाम नहीं होना चाहिए उन्हें हटाया जाए, और ये पूरी प्रक्रिया बेहद पारदर्शी तरीके से की जाएगी.

चुनाव आयोग ने कहा कि शहरी करण, लोगों के एक जगह से दूसरी जगह पलायन, युवा वोटरों के वोट देने के लिए पात्रता हासिल करना, वोटरों की मृत्यु होना के अलावा विदेशी अवैध नागरिकों का नाम लिस्ट में होना जैसी वजहें है जिसके चलते वोटर्स लिस्ट की गहराई के साथ जांच की जरूरत पड़ी है. Booth Level Officers हर घर जाकर सर्वे करेंगे और वोटर्स की जानकारी की पुष्टि करेंगे. Enumeration Forms बीएलओ को दिया जाएगा. बीएलओ घर-घर जाकर मौजूदा वोटर्स को ये फॉर्म देंगे. ये फॉर्म चुनाव आयोग के वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगा. फॉर्म के भरे जाने के बाद बीएलओ घर-घर इसे कलेक्ट करेंगे. सुपरवाइजर बीएलओ के काम की जांच करेंगे. Full View

जिन वोटर्स के फॉर्म मिलेंगे उनके नाम को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा जिनके नाम नहीं होंगे उनके नाम लिस्ट में नहीं होगा. इस प्रक्रिया में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भी शामिल रहेंगे. चुनाव आयोग ने कहा है कि इस पूरे प्रक्रिया में बुज़ुर्ग, बीमार, दिव्यांग, ग़रीब और अन्य वंचित समूहों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए जरूरत पड़े तो वॉलंटियर भी तैनात किए जाएंगे. मतदाताओं की ड्राफ्ट सूची वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी. इसके बाद भी नाम जोड़ने हटाने को लेकर अपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी. असिटेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर आपत्तियों की जांच करेगा. जरूरत पड़ने पर ज़िला मजिस्ट्रेट या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील की जा सकेगी.

चुनाव आयोग के मुताबिक 243 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 7.89 करोड़ वोटरों के लिए नए एन्यूमरेशन फॉर्म बांटे जा रहे हैं, और ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा भी शुरू हो चुकी है. जिन 4.96 करोड़ वोटरों के नाम 01 जनवरी 2003 की वोटर लिस्ट में थे, उन्हें बस अपनी जानकारी की पुष्टि करनी है, फॉर्म भरना है और जमा करना है. 5.74 करोड़ से ज़्यादा रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों पर SMS भी भेजे जा रहे हैं, ताकि लोगों को इसकी जानकारी मिल सके.

चुनाव आयोग ने कहा, ये पूरी प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 16 के तहत तय नियमों का पालन किया जाएगा. यानी किसे वोटर बनाया जा सकता है और किसे नहीं, इसकी पूरी कानूनी व्यवस्था का सख्ती से पालन किया जाएगा.

चुनाव आयोग के मतदाता सूची की Special Intensive Revision को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. बड़ा सवाल ये है कि चुनाव के तीन महीने पहले ये रिवीजन क्यों किया जा रहा है? बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मां-पिता का जन्मप्रमाण क्यों मांगा जा रहा है जबकि 2001 तक देश में 2 फीसदी के पास जन्मप्रमाण पत्र था. 2.90 करोड़ मजदूर बिहार से बाहर हैं. इस समय कोशी सीमांचल का क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित रहता है. उन्होंने कहा, गरीब वंचित से वोट करने का अधिकार छीना जा रहा है.

Tags:    

Similar News