एक मंत्री होकर ऐसी भाषा, सोफिया कुरैशी केस में विजय शाह को SC की फटकार

कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के बयान को सुप्रीम कोर्ट ने आपत्तिजनक माना। अदालत ने कहा कि मंत्री के मुंह से इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती।;

Update: 2025-05-15 06:24 GMT
विजय शाह, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी के बाद चर्चा में हैं।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री कुंवर विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।हाई कोर्ट का यह आदेश उस वक्त आया जब विजय शाह ने भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कर्नल कुरैशी हाल ही में चर्चित सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रमुख चेहरा बनी थीं।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

मामले का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विभा मखीजा ने किया। उन्होंने शाह की ओर से कहा कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश दिया है और जब तक इस याचिका पर सुनवाई न हो जाए, तब तक कोई कार्रवाई न की जाए। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्री के पश्चाताप की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है और बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।

इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पूछा –

“यह किस प्रकार की याचिका है?”

CJI ने कहा कि मंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से जिम्मेदारीपूर्ण भाषा की अपेक्षा की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआर पहले ही दर्ज हो चुकी है, ऐसे में तत्काल राहत नहीं दी जा सकती।

मखीजा ने निवेदन किया कि हाई कोर्ट को सूचित किया जाए कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो, तब तक कोई दंडात्मक कदम न उठाया जाए। CJI ने जवाब दिया –

“आप हाई कोर्ट में आवेदन करें। हम इस याचिका पर कल सुनवाई करेंगे।”

क्या है मामला?

कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय वायुसेना की एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के दौरान वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रवक्ता बनकर सामने आई थीं। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑपरेशन की जानकारी दी थी।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विजय शाह ने कहा —

“जिन्होंने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, हमने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करवाई।”

इस बयान को हाई कोर्ट ने न केवल गंभीर और आपत्तिजनक बताया, बल्कि यह भी कहा कि यह सशस्त्र बलों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। अदालत ने इसे "नालियों की भाषा", "खतरनाक" और "तिरस्कारपूर्ण" करार दिया।

हाई कोर्ट का स्वत: संज्ञान और FIR

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि शाह की टिप्पणी से ना केवल कर्नल कुरैशी बल्कि पूरे भारतीय सेना तंत्र का अपमान हुआ है। अदालत ने पहली नजर में इसे भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत दंडनीय अपराध माना और FIR दर्ज करने का आदेश दिया।

हाई कोर्ट के आदेश के कुछ ही घंटों में मध्य प्रदेश पुलिस ने कुंवर विजय शाह के खिलाफ IPC की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत मामला दर्ज कर लिया।

आगे क्या?

अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, जहां यह देखा जाएगा कि क्या हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एफआईआर का आदेश दिया या नहीं। साथ ही, यह भी परीक्षण होगा कि संवैधानिक पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों की भाषाई मर्यादा और जवाबदेही की सीमाएं क्या होनी चाहिए।

इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या सेना जैसी प्रतिष्ठित संस्था पर की गई राजनीतिक टिप्पणियां दंडनीय होनी चाहिए और उनकी जवाबदेही कैसे तय हो।

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