अकाल तख्त सजा भुगतने को गोल्डन टेंपल के दरवाजे पर बैठे 'बादल', भाला लेकर दिया पहरा

शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने मंगलवार को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर पहरा देकर अपनी धार्मिक सजा की शुरुआत की.

Update: 2024-12-03 06:52 GMT

Sukhbir Singh Badal punishment: सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल और अन्य नेताओं को पंजाब में साल 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) सरकार द्वारा की गई “गलतियों” के लिए धार्मिक सजा सुनाई है. ऐसे में सजा के तहत पार्टी प्रमुख ने मंगलवार को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर पहरा देकर अपनी धार्मिक सजा की शुरुआत की. बता दें कि इस धार्मिक सजा को सिख मान्यता में 'तनखाह' कहा जाता है.

पूर्व राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा को भी पहरा देने के लिए कहा गया है. बादल और पूर्व कैबिनेट मंत्रियों सहित अन्य अकाली दल के नेताओं को शौचालय साफ करने, सामुदायिक रसोई में सेवा करने, नितनेम (दैनिक सिख प्रार्थना) करने और सुखमनी साहिब का पाठ करने का आदेश दिया गया है.

हालांकि, अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बादल को हाथ में भाला लेकर पहरा देने की अनुमति दी. क्योंकि एसएडी नेता के पैर में फ्रैक्चर था. ढींडसा को भी शौचालय साफ करने के बजाय यही करने की अनुमति दी गई है. दोनों को दो दिनों तक द्वारपाल के रूप में काम करना है. पारंपरिक पोशाक पहननी है और विनम्रता के प्रतीक के रूप में भाला थामना है.

इसके साथ ही जत्थेदार ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सिख समुदाय में उनके योगदान के लिए दी गई फख्र-ए-कौम (राष्ट्र का गौरव) की उपाधि भी वापस ले ली है. वह इस उपाधि से सम्मानित होने वाले पहले राजनीतिक नेता थे. साल 2007 से 2017 के बीच समुदाय के प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहने के लिए पार्टी नेतृत्व की भी आलोचना की गई. इनमें बेअदबी की घटनाएं, कोटकपूरा में पुलिस गोलीबारी के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी की नियुक्ति भी शामिल थी, जिन पर पंजाब में उग्रवाद के दौर में अधिकारों के उल्लंघन का आरोप था. इसके अलावा पूर्व जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने बादलों के प्रभाव में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफ़ कर दिया था. उनको दी जाने वाली सभी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी.

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