TN Budget 2025-26: केंद्रीय फंड में कमी के बीच वित्तीय अस्थिरता से निपटने की कोशिश
Tamil Nadu budget 2025-26 एक वित्तीय दस्तावेज़ से कहीं बढ़कर है. यह न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के उपायों का प्रस्ताव करता है, बल्कि यह एक सशक्त राजनीतिक बयान भी है.;
Tamil Nadu budget 2025-26: तमिलनाडु सरकार ने 2025-26 का बजट पेश करते हुए राज्य के विकासात्मक मुद्दों और केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की कमी को प्रमुख रूप से उठाया. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में, इस बजट ने न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं, बल्कि आगामी चुनावों को देखते हुए राजनीतिक रणनीतियां और लोकलुभावन योजनाओं का भी समावेश किया है. वित्त मंत्री थांगम थेनारासु ने 14 मार्च को इस बजट को प्रस्तुत किया, जिसमें राज्य और केंद्र के बीच चल रहे विवादों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक योजनाओं के साथ-साथ लोकलुभावन घोषणाओं का भी समावेश किया गया.
वित्तीय सहायता में कमी
तमिलनाडु के वित्त मंत्री थेनारासु ने बजट में केंद्र सरकार पर राज्य की वित्तीय स्वतंत्रता को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक वृद्धि में 9 प्रतिशत का योगदान है. लेकिन केंद्र से मिलने वाले फंड्स में लगातार कमी हो रही है. विशेष रूप से, उन्होंने केंद्र द्वारा समग्र शिक्षा अभियान के तहत तमिलनाडु को 2,152 करोड़ रुपये की राशि रोकने का मुद्दा उठाया. राज्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने से इनकार किया है. क्योंकि यह नीति राज्य की दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) के खिलाफ है. हम अपनी द्विभाषी नीति से किसी भी हालत में समझौता नहीं करेंगे, भले ही इसके कारण हमें केंद्र से 2,152 करोड़ रुपये का नुकसान हो. इस बयान ने राज्य सरकार के मजबूत रुख को स्पष्ट किया और इसे ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ एक प्रमुख संदेश के रूप में प्रस्तुत किया.
लोकलुभावन योजना
जैसे-जैसे 2026 के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बजट में कई लोकलुभावन योजनाओं का समावेश किया गया, जो डीएमके के चुनावी आधार को मजबूत करने का उद्देश्य रखती हैं. मगलिर उरिमाई थोगई योजना का विस्तार किया गया है, जिसमें महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये दिए जाते हैं. उपमुख्यमंत्री उधयनिधि स्टालिन ने पहले ही संकेत दिया था कि इस योजना के लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई जाएगी और थेनारासु ने इसकी पुष्टि की.
‘हट-फ्री’ तमिलनाडु का सपना
बजट में एक और बड़ी घोषणा की गई, जिसके तहत 2030 तक तमिलनाडु को ‘हट-फ्री’ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया. इसके तहत राज्य में एक लाख कंक्रीट मकानों का निर्माण किया जाएगा. इस पहल को ‘कलैग्नारिन कणवु इल्लम’ योजना के तहत लागू किया जाएगा, जो पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि के सम्मान में शुरू की गई है. यह कदम तमिलनाडु के गरीब और असहाय वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है.
तमिल संस्कृति और पहचान का संरक्षण
बजट में तमिल संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देने के लिए भी कई योजनाओं की घोषणा की गई. थेनारासु ने कहा कि राज्य सरकार ने 2 करोड़ रुपये तमिल पुस्तक मेलों के आयोजन के लिए आवंटित किए हैं. ये मेलें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, सिंगापुर और कुआलालंपुर जैसे प्रमुख शहरों में आयोजित की जाएंगी. इसके अतिरिक्त मदुरै में एक ‘अगरम’ भाषा संग्रहालय की स्थापना और विश्व तमिल ओलंपियाड का आयोजन किया जाएगा, जिससे तमिल संस्कृति को वैश्विक स्तर पर प्रमोट किया जाएगा.
विपक्ष की प्रतिक्रिया
बजट सत्र के दौरान विधानसभा में तनाव देखा गया, जब एआईएडीएमके और भाजपा के विधायक थेनारासु के भाषण के दौरान सदन से बाहर चले गए. इन पार्टियों ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (Tasmac) में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया और सरकार से इस्तीफे की मांग की. एआईएडीएमके के नेता एडप्पाडी के पलानीस्वामी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा होने का दावा किया और डीएमके पर वित्तीय दुरुपयोग का आरोप लगाया.
बीजेपी ने भी रुपये के प्रतीक और राज्य में कानून-व्यवस्था के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया. इस पर थेनारासु ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि तमिलनाडु का उधारी वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर है और राज्य का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 31.57 लाख करोड़ रुपये है, जो मजबूत आर्थिक स्थिति का संकेत है.
चुनावों के लिए रणनीति
2025-26 का बजट डीएमके के लिए एक रणनीतिक राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा सकता है. यह बजट केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी रूप में खड़ा होकर राज्य के मतदाताओं के बीच क्षेत्रीय गर्व और स्व-शासन के मुद्दों को प्रमुख बनाता है. यह रणनीति पहले द्रविड़ दलों के लिए सफल रही है और डीएमके इसे अपने चुनावी आधार को मजबूत करने के लिए अपना रही है. लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा जैसे आवास, महिला कल्याण और तमिल संस्कृति का प्रचार, डीएमके की दीर्घकालिक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हैं. इसके अलावा, इन योजनाओं के माध्यम से पार्टी ने अपने आलोचकों को जवाब देने और अपने समर्थक वर्ग को मजबूत करने का प्रयास किया है.