तमिलनाडु की नई क्लासरूम नीति पर विवाद, डॉक्टरों और शिक्षकों ने जताई चिंता

तमिलनाडु बीजेपी ने इस नई व्यवस्था को बिना योजना के लागू करने का आरोप लगाते हुए इसे केरल मॉडल की नकल करार दिया।;

Update: 2025-07-15 11:19 GMT

तमिलनाडु सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में तमिल अक्षर ‘ப’ (पा) या अंग्रेजी अक्षर ‘U’ के आकार की नई बैठने की व्यवस्था को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करने का निर्णय सोमवार (14 जुलाई) से विवादों में घिर गया है। इस योजना को बाल चिकित्सकों, हड्डी रोग विशेषज्ञों और विपक्षी दलों ने अवैज्ञानिक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है।

केरल मॉडल की नकल

तमिलनाडु बीजेपी ने इस नई व्यवस्था को बिना योजना के लागू करने का आरोप लगाते हुए इसे केरल मॉडल की नकल करार दिया। पार्टी प्रवक्ता एस. जी. सूर्या ने कहा कि यह योजना केरल की एक मलयालम फिल्म Sthanarthi Sreekuttan से प्रेरित थी और तमिलनाडु सरकार ने बिना जमीनी आकलन के इसे अपना लिया। हमने इस अवैज्ञानिक और फिल्मी सोच पर आधारित पहल का कड़ा विरोध किया। जब हमने विरोध किया तो सरकार ने इसे पायलट प्रोजेक्ट कहकर पीछे हटने की कोशिश की। उन्होंने राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पर बिना शिक्षकों और छात्रों से परामर्श किए जल्दबाज़ी में निर्णय लेने का आरोप लगाया।

डॉक्टरों ने जताई स्वास्थ्य संबंधी आशंका

बाल रोग विशेषज्ञों और हड्डी रोग विशेषज्ञों ने इस ‘ப’ आकार की बैठने की व्यवस्था को छोटी कक्षाओं के लिए उपयुक्त बताया। लेकिन लंबे समय तक गर्दन मोड़कर देखने से बच्चों की आंखों और रीढ़ की हड्डी पर प्रभाव पड़ने की चेतावनी दी।

डॉ. एम. सुगंधी ने The Federal से कहा कि अगर शिक्षक चलते-फिरते पढ़ाते हैं तो यह व्यवस्था काम कर सकती है। लेकिन यदि बच्चों को बोर्ड से नोट्स लेने हैं तो दोनों किनारों पर बैठे बच्चों को लंबे समय तक गर्दन मोड़नी पड़ेगी, जिससे गर्दन दर्द और आंखों पर तनाव हो सकता है।

जगह और संसाधनों की कमी

राज्य के कई जिलों के शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना पर्याप्त निर्देश और संसाधन के इस नई व्यवस्था के लिए कह दिया गया। एक शिक्षक ने The Federal को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह पहले से ही छात्रों को समूह में बैठाकर पढ़ाते हैं और अब सरकार ने एक और नया मॉडल पेश कर दिया। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कक्षा में अधिक जगह चाहिए। यह केवल उन्हीं कक्षाओं में संभव है, जहां 20 से कम छात्र हों।

फिर से पुरानी व्यवस्था लागू

कुछ सरकारी स्कूलों ने सोमवार को इस नई व्यवस्था को आजमाया, लेकिन बहुत से प्राथमिक स्कूलों में इसे एक दिन के भीतर ही वापस ले लिया गया। शुक्रवार को नई व्यवस्था के निर्देश मिलने के बाद सोमवार सुबह शिक्षक तैयार थे, लेकिन उन्हें वापस पुरानी व्यवस्था में लौटने को कह दिया गया। चेन्नई के बेसेंट नगर की एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका एम. रमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि सोमवार सुबह हम तैयार थे, लेकिन फिर प्रिंसिपल ने कहा कि कक्षा छोटी है और 25 छात्र हैं, इसलिए पुरानी व्यवस्था ही अपनानी होगी।

अशोक नगर स्कूल में सीमित ट्रायल

चेन्नई के अशोक नगर सरकारी स्कूल, जिसमें 4,000 से अधिक छात्र हैं, वहां यह व्यवस्था केवल 20 से कम छात्रों वाली एक कक्षा में आज़माई गई। हालांकि, स्कूल के शिक्षकों ने इस व्यवस्था पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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