NEP लागू नहीं किया तो 2,291 करोड़ रोक दिए? सु्प्रीम कोर्ट में तमिलनाडु का बड़ा आरोप!

राज्य ने अपनी याचिका में कहा कि समग्र शिक्षा योजना का मकसद शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करना है. लेकिन केंद्र इसे NEP और PM SHRI से जोड़कर गैरकानूनी शर्तें लगा रहा है.;

Update: 2025-05-21 13:27 GMT

तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले ₹2,291 करोड़ रुपये की राशि को गलत तरीके से रोक लिया है.

राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने यह फंड इसलिए रोका, क्योंकि तमिलनाडु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू नहीं किया है और न ही पीएम श्री स्कूल योजना (PM SHRI) के लिए सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और कहा है कि फंड जारी करने को NEP से जोड़ना अनुचित है.

तमिलनाडु का शिक्षा मॉडल अलग

राज्य ने अपनी याचिका में कहा कि समग्र शिक्षा योजना का मकसद शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून को लागू करना है. लेकिन केंद्र इसे NEP और PM SHRI से जोड़कर गैरकानूनी शर्तें लगा रहा है. तमिलनाडु पहले से ही अपना अलग शिक्षा मॉडल चला रहा है, जिसमें 5+3+2+2 की संरचना है, जबकि NEP में 5+3+3+4 की प्रणाली अपनाई गई है. इसके अलावा राज्य में तमिलनाडु यूनिफ़ॉर्म स्कूल एजुकेशन सिस्टम अधिनियम 2010 और तमिलनाडु तमिल लर्निंग अधिनियम 2006 लागू हैं, जो NEP की कई नीतियों से मेल नहीं खाते.

केंद्र की आलोचना

संसदीय स्थायी समिति की 363वीं रिपोर्ट (26 मार्च 2025) में भी केंद्र सरकार की इस कार्रवाई की आलोचना की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि केवल तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के भी फंड रोके गए हैं.

- तमिलनाडु ₹2,152 करोड़

- केरल ₹859.63 करोड़

- पश्चिम बंगाल ₹1,000 करोड़ से अधिक

समिति ने कहा कि समग्र शिक्षा योजना, PM SHRI से पहले की योजना है और यह संविधान के तहत मौलिक अधिकार शिक्षा का अधिकार से जुड़ी हुई है. इसलिए फंड रोकना अनुचित है.

स्कूल संचालन पर असर

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि इस फंड के ना मिलने से शिक्षकों की सैलरी, स्कूल इन्फ्रास्ट्रक्चर, मुफ्त यूनिफॉर्म, किताबें और परिवहन जैसी RTE से जुड़ी ज़रूरतें प्रभावित हो रही हैं. राज्य ने ये खर्च अपने संसाधनों से पूरे किए हैं, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ा है.

सुप्रीम कोर्ट से मांग

तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि यह घोषित किया जाए कि NEP 2020 और PM SHRI तमिलनाडु पर बाध्यकारी नहीं हैं. केंद्र द्वारा भेजे गए निर्देश अवैध घोषित किए जाएं. 2024–25 के ₹2,151.59 करोड़, साथ ही 6% ब्याज के साथ ₹2,291.30 करोड़ की राशि तुरंत जारी की जाए. राज्य ने यह भी कहा कि केंद्र की यह कार्रवाई अनुच्छेद 21, 21A और 45 का उल्लंघन है, जो शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में गारंटी देता है.

केंद्र पर "दबाव की राजनीति" का आरोप

याचिका संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दाखिल की गई है और इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव बनाने के लिए शिक्षा जैसी बुनियादी चीज़ों को नीतियों से जोड़ रही है. तमिलनाडु ने चेतावनी दी है कि अगर केंद्र इसी तरह से 2025-26 के फंड भी रोकता है तो वो आगे की राशि की भी मांग करेगा.

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