तमिलनाडु के गेस्ट हाउस पर ₹113 करोड़ खर्च, RTI से हुआ बड़ा खुलासा
सस्ते सरकारी आवास के लिए बने गेस्ट हाउस वित्तीय बोझ बनते जा रहे हैं; कुछ लोग इन्हें चलाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी का सुझाव देते हैं.;
तमिलनाडु सरकार के दिल्ली, चेन्नई (चेपॉक) और ऊटी स्थित गेस्ट हाउसों पर 2020 से 2023 के बीच हुए ₹113.13 करोड़ के खर्चों ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। यह खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिले दस्तावेजों से हुआ है। खर्चों में से सिर्फ नई दिल्ली गेस्ट हाउस पर ही ₹84.72 करोड़ खर्च हुए हैं, जिनमें से ₹2.1 करोड़ सिर्फ पानी पर और ₹1.73 करोड़ किराए पर खर्च किए गए।
दिल्ली गेस्ट हाउस सबसे बड़ी 'खर्च मशीन'
नई दिल्ली स्थित "तमिलनाडु हाउस" पर तीन वर्षों में ₹84.72 करोड़ खर्च किए गए, जो 2020-21 में ₹16.71 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹48.63 करोड़ हो गए। पानी पर खर्च का आंकड़ा हैरान करने वाला है — 2020-21 में ₹54.75 लाख, 2022-23 में ₹57.16 लाख और अक्टूबर 2024 तक ₹20.45 लाख।
RTI कार्यकर्ता रामकृष्णन ने कहा कि एक गेस्ट हाउस को इतना पानी क्यों चाहिए? क्या बोतलबंद पानी खरीदा जा रहा है या ठेकेदारी में घोटाला है? RO प्लांट लगाना कहीं ज्यादा किफायती होता। 2022-23 में ही ₹59.99 लाख अतिथि सेवाओं और ₹41.83 लाख वाहन किराए पर खर्च किए गए। रामकृष्णन ने पूछा कि जब गेस्ट हाउस है तो फिर बाहर होटलों में बुकिंग क्यों? क्या कमरों की कमी है या प्रबंधन में गड़बड़ी? ईंधन (पेट्रोल-डीजल) पर भी ₹1.45 करोड़ खर्च किए गए — 2020-21 में ₹17.07 लाख, 2022-23 में ₹53.74 लाख और 2024 तक ₹38.76 लाख। अतिथि सत्कार (हॉस्पिटैलिटी) में ₹1.04 करोड़ खर्च किए गए, जिसमें केवल 2022-23 में ₹59.99 लाख का खर्च हुआ। स्टाफ वेतन और सुरक्षा सेवाओं जैसे ठेकेदार भुगतान पर भी करोड़ों खर्च हुए।
चेन्नई गेस्ट हाउस
चेपॉक स्थित गेस्ट हाउस पर तीन वर्षों में ₹11.91 करोड़ खर्च किए गए। इस दौरान टेलीफोन बिल ही ₹9.27 लाख पहुंच गया — एक ऐसे दौर में जब मोबाइल और इंटरनेट कॉल्स आम हैं। बिजली पर ₹47.08 लाख और कॉन्ट्रैक्ट सेवाओं पर ₹47.77 लाख खर्च किए गए। सर्विस चार्ज 2020-21 में ₹41.24 लाख से घटकर 2022-23 में ₹1.16 लाख रह गया, जिससे फंड प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं।
ऊटी: छोटे गेस्ट हाउस, बड़े खर्च
ऊटी स्थित "तमिझगम गेस्ट हाउस" पर भी ₹4.89 करोड़ खर्च हुए, जिसमें से 2022-23 में ही ₹2.06 करोड़ खर्च हुए। अकेले वेतन पर ₹95.54 लाख और बिजली पर ₹18.41 लाख खर्च किए गए। छोटे मरम्मत कार्यों पर ₹23.79 लाख खर्च हुए — RTI कार्यकर्ताओं का सवाल है, क्या ये जरूरी थे या खर्च बढ़ाकर दिखाए गए? टेलीफोन पर ₹1.13 लाख और संपत्ति कर पर ₹61.83 लाख का भुगतान हुआ।
विवाद क्यों?
तीन वर्षों में कुल खर्च ₹101.52 करोड़ रहा, जबकि बाकी ₹11.61 करोड़ संभवतः 2023-24 की शुरुआती अवधि के हैं। RTI कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये गेस्ट हाउस सरकारी अधिकारियों के सस्ते ठहरने के लिए बनाए गए थे, लेकिन अब ये राजकोष पर बोझ बनते जा रहे हैं। रामकृष्णन ने कहा कि दिल्ली गेस्ट हाउस का खर्च दो वर्षों में ₹16.71 करोड़ से बढ़कर ₹48.63 करोड़ हो गया — वो भी कोविड लॉकडाउन के दौरान! ये कैसे और क्यों हुआ? कुछ विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि गेस्ट हाउसों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत संचालित किया जाए, ताकि इनकी कार्यक्षमता और पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।