मणिपुर में बवाल: मेतेई नेता की गिरफ्तारी के बाद 10 दिन का बंद, इंटरनेट सेवाएं ठप
कानन की गिरफ्तारी और उसके बाद की घटनाओं ने मणिपुर में जातीय और राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। राज्य में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए सभी पक्षों को संवाद और समझौते की आवश्यकता है। राज्यपाल और केंद्रीय सरकार की भूमिका इस संकट के समाधान में महत्वपूर्ण होगी।;
मणिपुर में मेतेई समुदाय के प्रमुख संगठन अरामबाई तेंगगोल के नेता की गिरफ्तारी के बाद राज्य में तनाव बढ़ गया है। शनिवार, 7 जून 2025 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अरामबाई तेंगगोल के सदस्य आसम कानन को गिरफ्तार किया, जिसके बाद राज्य के पांच घाटी जिलों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कीं, टायर जलाए और सुरक्षा बलों से भिड़े, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
गिरफ्तारी के बाद माहौल
गिरफ्तारी के विरोध में अरामबाई तेंगगोल ने 10 दिन का बंद (हड़ताल) घोषित किया, जिससे बाजार बंद हो गए, सार्वजनिक परिवहन ठप हो गया और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई। इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाए और पुराने फर्नीचर को आग के हवाले किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
राजनीतिक हलचल
रविवार, 8 जून 2025 को, 25 से अधिक विधायक, जिनमें भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्य शामिल थे, राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिले। उन्होंने कानन और अन्य चार गिरफ्तार सदस्यों की तत्काल रिहाई की मांग की और राज्य में बढ़ते असंतोष के समाधान के लिए हस्तक्षेप की अपील की। राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि कानन की गिरफ्तारी सीबीआई के व्यक्तिगत मामले से जुड़ी है, जबकि अन्य चार सदस्य पुलिस जांच के तहत हैं और यदि कोई प्रतिकूल जानकारी नहीं मिली, तो उन्हें रिहा किया जाएगा।
कानन की गिरफ्तारी का कारण
सीबीआई ने 8 जून 2025 को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि कानन की गिरफ्तारी मणिपुर में 2023 से जारी हिंसा से जुड़े आपराधिक गतिविधियों में कथित संलिप्तता के कारण की गई है। उन्हें गुवाहाटी लाया गया है, जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मणिपुर से बाहर मुकदमे की सुनवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने पांच घाटी जिलों (इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट, कचिंग, थोउबल, बिष्णुपुर) में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। इससे संचार बाधित हुआ और व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हुईं। सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
मणिपुर की राजनीतिक स्थिति
मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था। विधानसभा को निलंबित किया गया है, जिससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। कानन की गिरफ्तारी और उसके बाद की घटनाओं ने इस अस्थिरता को और बढ़ा दिया है, जिससे राज्य में केंद्रीय नियंत्रण की आवश्यकता पर सवाल उठ रहे हैं।