तिरुपति लड्डू विवाद पर भक्तों की आस्था भारी, प्रसादम की मांग से हारी मिलावट की राजनीति

Tirupati Laddu: मांग इतनी अधिक है कि टीटीडी को लड्डू की कमी के बारे में भक्तों की शिकायतों का समाधान करना पड़ा है. अवैध बिक्री पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है.;

Update: 2024-12-14 04:16 GMT

Tirupati Laddus demand increased: कुछ ही महीने पहले प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू (Tirupati Laddu) में गाय की चर्बी से मिलाए गए घी के इस्तेमाल को लेकर तीखा विवाद हुआ था. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे थे कि भक्त इस प्रसिद्ध प्रसादम से परहेज करेंगे. लेकिन ठीक इसके विपरीत तिरुपति के लड्डुओं (Tirupati Laddu) की मांग में तेज़ी से वृद्धि हुई है. विवाद के तीन महीने बाद और मंदिर के प्रसाद का राजनीतिकरण न करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी और तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा शुरू किए गए सुधारों के बाद तिरुपति लड्डू (Tirupati Laddu) की मांग बढ़ गई है.

ऐसे में ऐसा लग रहा है कि लाखों भक्तों की नज़र में कथित मिलावट को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मचे हंगामे के बावजूद भगवान वेंकटेश्वर के सबसे ज़्यादा पसंद किए जाने वाले प्रसाद ने अपनी पवित्रता नहीं खोई है. यह सभी राष्ट्रीय टीवी समाचारों की बमबारी से पूरी तरह से बेदाग निकल आया है.

मांग में उछाल

सितंबर 2024 में जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पहली बार मिलावटी घी के इस्तेमाल की बात कही थी, तब भी भक्तों ने लड्डू (Tirupati Laddu) खरीदने में कोई संकोच नहीं किया था. भगवान के दर्शन के बाद लड्डू (Tirupati Laddu) लेना आम बात है और भक्त इस परंपरा को तोड़ने के मूड में नहीं थे. घी में मिलावट के आरोपों की एसआईटी जांच के बीच महीनों से लड्डू की मांग बढ़ती ही जा रही है. इतना कि टीटीडी को छोटे और बड़े लड्डू का उत्पादन क्रमशः 50,000 और 4,000 प्रतिदिन बढ़ाना पड़ा है. यह भी तय किया गया कि तिरुमाला प्रसादम का एक और महत्वपूर्ण घटक वड़ा की संख्या प्रतिदिन 3,500 बढ़ाई जाएगी. मांग इतनी अधिक है कि टीटीडी को लड्डू (Tirupati Laddu) की कमी के बारे में भक्तों की शिकायतों का समाधान करना पड़ा है. अवैध बिक्री बड़े पैमाने पर हो गई है.

साल 1990 के दशक से पहले लड्डुओं की अवैध बिक्री के बारे में शिकायतें सुनने को नहीं मिलती थीं. तिरुपति के निवासी और लेखक राघव सरमा कहते हैं कि उन्होंने पहले कभी लड्डुओं की अवैध बिक्री या थोक कालाबाजारी के बारे में नहीं सुना था. सरमा ने द फेडरल को बताया कि लड्डू को पवित्र माना जाता था. लोग कभी भी इसे गलत तरीके से हासिल करने की कोशिश नहीं करते थे. कम से कम ऐसी कोई गड़बड़ी कभी सामने नहीं आई.

राजनीति में लड्डू

राजनीतिक नेताओं खासतौर पर नायडू के ज़रिए ही तिरुपति के लड्डू (Tirupati Laddu) को राजनीतिक दर्जा मिला है. अपने पहले कार्यकाल में मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू दिल्ली आने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों और वीवीआईपी को भगवान बालाजी की तस्वीर और शेष वस्त्रम (औपचारिक वस्त्र) के साथ लड्डू भेंट करते थे. हाल ही में 2015 में, उन्होंने जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजे आबे को पवित्र लड्डू भेंट किया था, जब वे आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के निर्माण में जापान का सहयोग मांगने के लिए टोक्यो गए थे. इसके बाद सभी राजनेताओं ने नायडू का अनुकरण करना शुरू कर दिया, जिससे लड्डू की मांग में भारी वृद्धि हुई. अमीर और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों में इसकी मांग बहुत बढ़ गई, जिन्होंने इसे 'अवैध रूप से' प्राप्त करने की कोशिश शुरू कर दी.

काला बाजारी पर नकेल

तिरुमाला लड्डू (Tirupati Laddu) का काला बाजार किस तरह फल-फूल रहा है. इसका खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि टीटीडी (TTD) के कार्यकारी अधिकारी (ईओ) जे श्यामल राव ने सितंबर 2024 के पहले सप्ताह में किया था, जो मिलावट का विवाद शुरू होने से काफी पहले की बात है. साल 1997 बैच के आईएएस अधिकारी श्यामल राव ने जून में ईओ का पदभार संभालने के बाद सबसे पहला काम अवैध लड्डू व्यापार पर लगाम लगाना था. उन्होंने ऐसा तब किया, जब शिकायतें आने लगीं कि आम तीर्थयात्री, जो अक्सर भगवान बालाजी के कुछ सेकंड के दर्शन के लिए 24 घंटे से ज़्यादा कतारों में खड़े रहते हैं, उन्हें लड्डू नहीं मिल रहे हैं.

श्यामल राव, जिन्हें संयुक्त आंध्र प्रदेश में जेनेरिक मेडिकल दुकानों को लोकप्रिय बनाने के लिए जाना जाता है, जब वे पहले विजाग कलेक्टर थे और बाद में एपी मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी थे, मूलरूप से असम कैडर के आईएएस अधिकारी थे. उन्हें अपने कैडर आवंटन में कुछ विसंगतियां मिलीं और उन्होंने अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश में पुनः आवंटन के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ा और कैडर बदलवाया. तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी को उनका जुझारूपन पसंद आया और उन्होंने उन्हें विजाग, एक प्रतिष्ठित जिले का कलेक्टर नियुक्त किया.

चौंकाने वाले तथ्य

सत्ता में आने के बाद नायडू ने जून 2024 में श्यामल रास को टीटीडी (TTD) का ईओ नियुक्त किया, जिससे कई प्रभावशाली अधिकारी आश्चर्यचकित हो गए. ईओ का पदभार संभालने के बाद श्यामल राव ने टीटीडी काउंटरों पर लड्डुओं की बिक्री की जांच शुरू की और कुछ चौंकाने वाले सच सामने आए. उन्होंने मीडिया को बताया कि कुछ लोगों ने हजारों लड्डू हड़प लिए और उन्हें शादी के समारोहों में सामान्य मिठाई की तरह बांट दिया. श्यामल राव के अनुसार, प्रतिदिन बनने वाले 3.5 लाख लड्डुओं में से लगभग 1 लाख लड्डू लोग बिना दर्शन टोकन के ही खरीद लेते हैं. हमने देखा कि कुछ बिचौलिए कई थैलों में लड्डू ले जा रहे थे. नीति के अनुसार, दर्शन टोकन रखने वाले तीर्थयात्रियों को एक-एक लड्डू दिया जाना चाहिए. अगर उन्हें और चाहिए तो वे 50 रुपये प्रति लड्डू की दर से सीमित संख्या में खरीद सकते हैं. लेकिन, हमने पाया कि कई लोग जिनके पास दर्शन टिकट नहीं था, वे बड़ी संख्या में लड्डू खरीद रहे थे और उन्हें काला बाजार में बेच रहे थे.

जिस तरह से उन्होंने गरीबों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए राज्य भर में जेनेरिक मेडिकल दुकानों को लोकप्रिय बनाया, उसी तरह वे चाहते थे कि आम भक्त एक मुफ्त लड्डू और मानक मूल्य पर अधिक लड्डू पाकर घर लौटें. उन्होंने बिचौलियों को खत्म करने और हर आम तीर्थयात्री को लड्डू (Tirupati Laddu) उपलब्ध कराने के लिए लड्डू की बिक्री को आधार कार्ड से जोड़ दिया. इस फैसले से न केवल तिरुमाला और तिरुपति में बल्कि हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु में टीटीडी केंद्रों पर भी लड्डू की बिक्री बढ़ गई. टीटीडी ने अब मांग को पूरा करने के लिए अधिक पोटू (रसोई) श्रमिकों की भर्ती करके लड्डुओं का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है.

लड्डू उत्पादन

लड्डू उत्पादन हमेशा से टीटीडी (TTD) के लिए एक लाभदायक व्यवसाय रहा है. वर्तमान में मंदिर बोर्ड 3.5 लाख छोटे लड्डू (प्रत्येक की कीमत ₹50), 6,000 बड़े लड्डू (प्रत्येक की कीमत ₹200) और 3,500 वड़े (प्रत्येक की कीमत ₹100) बनाता है. अगर आप कर्मचारियों की मजदूरी, प्रावधान, गैस और ईंधन को ध्यान में रखते हैं तो इन प्रसादों को बनाने की लागत प्रतिदिन ₹8.07 करोड़ है. लड्डुओं की बिक्री से ₹11.16 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप ₹3.09 करोड़ तक का लाभ हुआ है. वर्तमान में लड्डू उत्पादन में 616 पोटू श्रमिक (जिनमें से 415 वैष्णव हैं) कार्यरत हैं. उत्पादन बढ़ाने के निर्णय ने पोटू श्रमिकों की नई भर्ती की आवश्यकता को जन्म दिया है.

टीटीडी (TTD) अधिकारियों के अनुसार, आउटसोर्सिंग के आधार पर 84 श्रमिकों (74 वैष्णव और 10 गैर-वैष्णव) की भर्ती की जाएगी. 18 नवंबर को टीटीडी चेयरमैन द्वारा मंजूर किए गए प्रस्ताव के अनुसार, एक पोटू वर्कर प्रतिदिन 700 छोटे लड्डू, 330 बड़े लड्डू और 120 वड़े बना सकता है. अतिरिक्त 84 श्रमिकों के साथ, छोटे लड्डुओं का कुल उत्पादन प्रतिदिन 4 लाख, बड़े लड्डुओं का 10,000 और वड़ों का 7,000 से अधिक हो जाएगा.

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