चांदनी चौक के व्यापारियों पर लटकी सीलिंग की तलवार, लगायी गणपति बाप्पा से गुहार

सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक में रिहायशी इलाकों और अवैध निर्माण को चलते हुए सीलिंग का आदेश दिया है, जिसके बाद से चांदनी चौक के व्यापारी खौंफ के साए में हैं.;

Update: 2025-08-28 09:19 GMT

Chandni Chowk Sealing : चांदनी चौक दिल्ली का ऐतिहासिक शहर जो मुग़ल कालीन है, जो पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है. आज के समय में ये वाल्ड सिटी के नाम से भी जाना जाता है. आज के समय में इसकी पहचान एक बड़े थोक व्यावसायिक केंद्र की बन गयी है. देश भर के व्यापारी यहाँ आते हैं खरीदारी करने के लिए. यहाँ लगभग 1 लाख से ज्यादा दुकाने हैं, जो अलग अलग वर्ग के व्यवसाय से सम्बंधित हैं. लेकिन इन दिनों यहाँ का व्यापारी डरा हुआ है, वजह है सीलिंग. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने दो बिन्दुओं पर सीलिंग के आदेश दिए हैं, पहला अवैध निर्माण और दूसरा रिहायशी इमारतों में व्यवसायिक गतिविधियाँ. बीते दिनों एमसीडी ने कुछ दुकानें सील भी की हैं, जिसके बाद से सभी व्यापारी काफी डरे हुए हैं. व्यापारियों से द फ़ेडरल देश ने बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि चांदनी चौक में आज के समय में लोगों की रिहायिश नाम मात्र है. यहाँ अलग अलग ट्रेड से सम्बंधित दुकानें हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, साइकिल, कैमरा और फोटो, घड़ी मार्किट, कपड़ा मार्किट, बुलियन मार्केट ( सोने चांदी की ), जूतों की, खिलौनों की, ड्राई फ्रूट, किराना, केमिकल, मसाले आदि. सभी थोक मार्किट हैं और देश भर का व्यापारी यहाँ आता है. बुधवार को गणेशउत्सव भी शुरू हुआ है, जिसके बाद व्यापारियों ने गणपति के सामने इस विघ्न को हरने की गुहार भी लगाई है.


क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक क्षेत्र में अवैध और अनधिकृत निर्माण पर कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि जिन इलाकों में ऐसे निर्माण पाए जाएं, वहां की सभी संपत्तियों को तुरंत सील किया जाए।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने दिल्ली पुलिस अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा, “आप रोज गश्त पर निकलते हैं। अगर कोई ईंट रखते हुए भी दिखे, तो उसे तुरंत गिरफ्तार करें। यह नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा बड़ा घोटाला है, जिसे रोका जाना जरूरी है। अन्यथा हमें पुलिस को और सख्त कदम उठाने के लिए कहना पड़ेगा।”


व्यापारियों का क्या है कहना
इस विषय में चांदनी चौक की दिल्ली हिन्दुस्तान मर्केंटाइल एसोसिएशन से सम्बद्ध रखने वाले सुधीर अग्रवाल का कहना है कि चांदनी चौक में हमारी एसोसिएशन से लगभग 28 हजार कपड़ा व्यापारी जुड़े हुए हैं. लेकिन चांदनी चौक में कपड़ा व्यापारियों की संख्या इससे भी ज्यादा है. चांदनी चौक मुग़लकालीन है, बड़ा बाज़ार है. लाखों लोगों का गुज़ारा यहाँ से चलता है, ऐसे में सीलिंग का जो आदेश आया है, उसकी वजह से हम व्यापारी काफी डरे हुए हैं. अभी हाल ही में कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश आया था, लोगों ने उस पर एतराज जताया और फिर उस पर सुनवाई हुई, तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्ट्रीट डॉग को राहत दी. हमारी स्थिति तो स्ट्रीट डॉग्स से भी गयी बीती है. हमने तमाम विभागों से, नेताओं से मुलाकात की है लेकिन अभी तक कोई रास्ता नहीं निकला है.
तिलक बाज़ार केमिकल मार्किट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता का कहना है कि 80 के दशक में केमिकल की दुकानों को होलंबी कला, नरेला में शिफ्ट करने की योजना बनायीं, कुछ लोगों को वहां पर दुकानें भी अलोट हुईं लेकिन आज भी होलंबी कलां में केमिकल मार्किट के लिए कोई विकास नहीं हुई. वहन चोरी का डर आज भी रहता है. लगभग 40 साल हो चुके हैं लेकिन सरकार अपनी उस योजना को सही से अंजाम नहीं दे पायी. चांदनी चौक के दोनों तरफ रेलवे स्टेशन हैं. सभी तरह के ट्रेड से जुड़ी मार्किट हैं, एक इको सिस्टम बना हुआ है. ऐसे में अगर चांदनी चौक से बाज़ार को हटाया जाता है तो सारा इको सिस्टम डिस्टर्ब हो जायेगा.
मर्केंटाइल एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य पवन गड़ोदिया का कहना है कि सीलिंग के डर की वजह से चांदनी चौक का व्यापारी वर्ग काफी चिंतित है. कुछ समझ नहीं आ रहा है. यहाँ हर सेक्टर से जुड़ा बाज़ार है. सिर्फ व्यापारी ही नहीं बल्कि उनके यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या पर गौर करें तो लाखों परिवार का गुज़ारा यहं से चलता है. रिहायश की बात करें तो अब पूरे चांदनी चौक में 5 से 10 प्रतिशत के बीच ही लोग रहते हैं, बाकी सब बाज़ार है. व्यापारी रजिस्टर्ड हैं, टैक्स भी भरते हैं. 1962 के बाद की बात करें तो 1980, 90, 95 से जिन लोगों ने व्यापार करना शुरू किया है, उन्हें भी आज 30 से 40 साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन इसके बाद भी हम पर सीलिंग की तलवार लटक रही है. हम गणपति बप्पा से ही दुआ कर रहे हैं कि सीलिंग से बचाएं और कहीं तो सुनवाई की आस नहीं है.
सर्व व्यापर मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव का कहना है कि 2005-2006 में मास्टर प्लान 2021 लाया गया था, जिसमे वाल्ड सिटी को स्पेशल एरिया की संज्ञा दी गयी थी. उसमें चांदनी चौक को ध्यान में रखते हुए विकास की बात कही गयी थी, ताकि जो ऐतिहासिक धरोहर है, वो संजोयी जा सके लेकिन आज 20 साल बाद भी MCD या दिल्ली सरकार ने कुछ किया नहीं. अब पुराने मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं. एक तरफ MCD व्यापारियों से कमर्शियल टैक्स वसूल रही है, ट्रेड लाइसेंस दे रही है और फिर रिहायशी और गैर रिहायशी मुद्दा कहाँ रह जाता है. MCD अपनी कामियों को छुपा रही है. हमारी मैं रोड तो शुरुआत से यानी शाहजहाँ के समय से ही कमर्शियल हैं. आज के दिन इस मैं रोड पर 800 से 900 दुकाने हैं. इसके अलावा गली कूंचे भी कमर्शियल हो चुके हैं. MCD एक्ट 1962 में आया. इसलिए MCD 1962 से पहले की कमर्शियल एक्टिविटी को मानती है, उसके बाद नहीं. यही असल मुद्दा है. स्पेशल एरिया के मुताबिक स्थिति को जस का तस रखना था. लेकिन MCD ने कुछ किया नहीं. आज मास्टर प्लान 2041 भी आ चुका है लेकिन जमीन पर पहले वाले मास्टर प्लान को ही सही तरह से लागू नहीं किया गया है.




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