यूपी में मतदाता सूची की बड़ी पड़ताल शुरू, 15.44 करोड़ वोटर पर निगाह
यूपी में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले ही सपा ने इसपर नज़र रखने के लिए SIR-PDA प्रहरी की घोषणा कर दी थी। वहीं बीजेपी का कहना है कि इससे फ़र्ज़ी वोट हटेंगे और पारदर्शिता आएगी।राजनीतिक दलों के 1.92 लाख बूथ लेवल एजेंट भी इसके लिए तैयार हैं ।
UP SIR News: देश के 12 राज्यों में एसईआर की घोषणा के बाद उत्तर प्रदेश में इसे संपन्न करने के लिए तैयारी तेज़ हो गई है तो वहीं सियासी हलचल भी बढ़ गई है। 15 करोड़ मतदाताओं के एसईआर (SIR) की जिम्मेदारी 1.62 लाख बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की होगी जो घर- घर जाकर वोटर लिस्ट को जांचेंगे।इस बीच समाजवादी पार्टी ने पहले से ही एसईआर पीडीए प्रहरी ( SIR-PDA prahari) के रूप में कार्यकर्ताओं को तैयार किया है।अखिलेश यादव ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की प्रेस कांफ्रेंस के बाद इसका संकेत दे दिया है कि सपा कार्यकर्ताओं और पार्टी के बीएलए ( BLA) की नज़र सपा के आधार वोटों पर रहेगी। यही वो वजह है कि आने वाले समय में इसको लेकर सियासी घमासान के संकेत साफ़ मिल रहे हैं।
15.44 करोड़ की वोटर लिस्ट का होगा SIR, राजनीतिक दलों ने बनाए 1.92 लाख बूथ लेवल एजेंट -
यूपी में क़रीब 15.44 करोड़ मतदाता हैं और 1,62,486 पोलिंग बूथ हैं। सोमवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की घोषणा के बाद सबसे ज़्यादा वोटर्स वाले उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल तेज़ हो गई।हालाँकि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर पहले से इसकी तैयारी उत्तर प्रदेश में हो चुकी है। पिछले दिनों यूपी के सभी जिलों में बूथ लेवल ऑफ़िसर्स की ट्रेनिंग भी हो चुकी है। यूपी में 1.62 लाख बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) घर-घर जाकर सर्वे करेंगे।वहीं 2550 निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ERO) और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी( AERO) होंगे।चुनाव आयोग की तरह ही राजनीतक दलों की भी सबसे बड़ी तैयारी उत्तर प्रदेश में ही दिख रही है।मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की ओर से 1.92 लाख बूथ लेवल एजेंट (BLA) बनाये गए हैं।
सपा के SIR-PDA प्रहरी ख़ास तौर पर पीडीए बहुल इलाक़ों पर रखेंगे नज़र-
हालाँकि अखिलेश यादव बिहार एसईआर के समय से ही इस बात को उठा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी इसपर नज़र रखेगी कि कोई भी वैध वोट कटने न पाए। इसके लिए सपा ने एसआईआर-पीडीए प्रहरी की घोषणा की है। बिहार में एसईआर के दौरान ही यह बात सामने आई थी कि यूपी में एसईआर हुआ तो क़रीब 1.30 करोड़ मतदाताओं के नाम कट सकते हैं।हालांकि यह अनुमानित है और सर्वे के बाद ही सच्चाई पता चल सकेगी। समाजवादी पार्टी औपचारिक रूप से इस पर नज़र रखने की बात कह रही है।अखिलेश यादव ख़ुद एसईआर पीडीए प्रहरियों की बैठक कर निर्देश दे चुके हैं। इसके पीछे साफ़ तौर पर पार्टी की चिंता अपने उन वोटरों को लेकर है जो ख़ास तौर से अल्पसंख्यक बहुल इलाक़ों में हैं या पीडीए वर्ग के इलाक़ों में हैं क्योंकि उनके पास दस्तावेज की कमी हो सकती है।सपा ने घोषणा की है कि उनके कार्यकर्ता ‘SIR PDA प्रहरी’ के रूप में मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे और किसी भी मतदाता के वोट की चोरी नहीं होने देंगे। अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट किया कि ‘सबको उसके वोट का अधिकार दिलवाना है, हर वोट का प्रहरी बनाकर लोकतंत्र बचाना है।’
यूपी को लेकर बिहार से अलग रणनीति -
ज़ाहिर है अगर बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक और पीडिए बहुल इलाक़े में वोट कटे तो सियासी टकराव देखने को मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बड़े पैमाने पर नाम कटे तो सियासी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं जिसका असर 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है।हालांकि वैध मतों की जाँच और वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने के लिए एसआईआर ज़रूरी है।वहीं कांग्रेस की नज़र भी इसपर है पर रणनीति के तहत यूपी में समाजवादी पार्टी ही इस मामले को लीड करेगी। वरिष्ठ पत्रकार स्नेह रंजन कहते हैं ‘ समाजवादी पार्टी ने यूपी में एसआईआर को लेकर जो स्ट्रेटेजी बनायी है वो आने वाले समय में दिख जाएगी। सपा ने पीडीए प्रहरी तो बनाए हैं पर यूपी में एसआईआर को लेकर प्रति विरोध नहीं जताया । इसके पीछे यह रणनीति है कि एसआईआर को संदिग्ध बताने का काम पहले ही बिहार में वो कांग्रेस के साथ मिलकर कर चुकी है। अब एसआईआर तो होगा ही, लेकिन जिन क्षेत्रों में मनमाफिक नतीजे नहीं आएँगे उनके लिए सपा एसआईआर को कटघरे में खड़ा कर देगी।’
इधर एसआईआर की घोषणा को बीजेपी पारदर्शिता की ओर एक कदम मान रही है। पार्टी के नेता खुलकर इस बात को कह रहे हैं कि इससे फ़र्ज़ी वोटों को बाहर करने में मदद मिलेगी।यूपी बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि हर चुनाव में पार्टी चुनाव आयोग से कुछ इलाक़ों में फ़र्ज़ी वोटिंग की शिकायत करती रही है। एसआईआर होने से इन फ़र्ज़ी वोटरों के नाम हट जाएँगे।ज़ाहिर है इससे वोटर लिस्ट की शुद्धता होगी।’ यहाँ एक बात और ख़ास है कि BLO के साथ मिलकर मतदाताओं के नाम जुड़वाने के काम में लगे राजनीतक दल के बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं ( BLA ) को ही लगाया जाएगा और बीजेपी का बूथ स्तर पर नेटवर्क किसी भी दूसरी पार्टी से ज़्यादा है। इसका लाभ भी बीजेपी को मिल सकता है।
पंचायत चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
इधर इस बात की भी चर्चा तेज़ है कि एसआईआर की प्रक्रिया से यूपी में पंचायत चुनाव टल सकते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव फरवरी के महीने में संभावित हैं और इस समय पंचायत चुनाव की सूचियों को अपडेट करने का काम चल रहा है।हालांकि विधानसभा और पंचायत चुनाव की मतदाता सूचियां अलग-अलग हैं लेकिन दोनों ही के लिए बूथ लेवल ऑफिसर ( बीएलओ ) कॉमन हैं।कुछ लोगों का मानना है कि बीएलओ की संख्या बढ़ाकर दोनों ही प्रक्रिया करायी का सकती है।फ़िलहाल इस बारे में किसी औपचारिक जानकारी का इंतज़ार है।