बीजेपी की सहयोगी अपना दल का सनसनीखेज आरोप, सरकार पर करोड़ों के बजट से पार्टी तोड़ने की साजिश का आरोप लगाया
अपना दल के उपाध्यक्ष आशीष पटेल के सनसनीखेज आरोपों से यूपी की सियासत में हलचल मच गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी के सूचना विभाग के जरिये 1700 करोड़ रुपए खर्च करे अपना दल के ख़िलाफ़ साज़िश की जा रही है;
उत्तर प्रदेश में चुनावी समर नज़दीक आते ही सत्तारूढ़ बीजेपी के गठबंधन दलों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आशीष पटेल ने सरकार के ख़िलाफ़ सीधा मोर्चा खोल दिया है। आशीष पटेल ने सूचना और जनसंपर्क विभाग के ज़रिए अपना दल में विद्रोह कराने की साज़िश जैसा गंभीर आरोप लगाया है।यही नहीं इसके लिए मीडिया के एक वर्ग को 1700 करोड़ देने का आरोप लगा दिया है।आशीष पटेल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए ये बात कही तो अब इस बात ने तूल पकड़ लिया है।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आशीष पटेल के सुर में सुर मिला दिया है।अखिलेश यादव ने तो एक बयान देते हुए यहाँ तक कह दिया कि यह बजट इससे भी कहीं ज़्यादा है।
सूचना के करोड़ से अपना दल तोड़ने को साज़िश: आशीष पटेल
मंत्री आशीष पटेल ने सोशल मीडिया पर जो लंबी पोस्ट साझा की है उसके ज़रिए सूचना विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।आशीष पटेल ने लिखा है कि- ‘1700 करोड़ के बजट का दबाव क्या और कैसा होता है, इस दबाव में क्या-क्या करना और लिखना पड़ता है।ये मीडिया के एक वर्ग से पूछिए।इसी बजट के दबाव में अपना दल को रोज़ तोड़ना पड़ता है।’ यह बयान तब आया है जब तीन दिन पहले ही मीडिया में आशीष पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष से ऑफिशियली पार्टी उपाध्यक्ष बनाने की खबर पर इस बात का विश्लेषण यह कह कर किया गया कि पार्टी में आशीष पटेल का ‘डिमोशन’ किया गया है।आशीष पटेल केंद्रीय मंत्री और अपना दल अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के पति हैं और योगी सरकार में मंत्री भी हैं इस बीच पार्टी छोड़ने वाले कई नेताओं ने अपना दल( एस) को चलाने को लेकर आंतरिक लोकतंत्र न होने का आरोप लगाया था।उसके बाद से सियासी हलचल तेज हो गई है।
पहले भी सरकार के विभागों पर आरोप लगा चुका है अपना दल
दरअसल उत्तर प्रदेश में अपना दल ( सोनेलाल) और भाजपा के बीच 2014 में राजनीतक गठबंधन हुआ था जो तब से अब तक जारी है।सोनेलाल पटेल की सियासी विरासत को संभालने वाली उनकी बेटी और अपना दल अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में लगातार मंत्री पद पर हैं।उनके पति एमएलसी और योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल प्रदेश के भाजपा सरकार पर अलग-अलग विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं।गुज़रे कुछ महीने पहले उन्होंने न सिर्फ़ सूचना विभाग के तत्कालीन निदेशक शिशिर पर झूठी कहानियाँ गढ़ने का आरोप लगाया था बल्कि मुख्यमंत्री के अधीन गृह विभाग से संचालित और एजीजी अमिताभ यश के नेतृत्व वाली स्पेशल टास्क फोर्स ( STF) को चुनौती देने हुए कहा था कि ‘ हिम्मत है तो पैर में नहीं सीने में गोली मार दें ।’ अमिताभ यश यूपी में लॉ एंड ऑर्डर के एजीजी भी हैं।उसके बाद आशीष पटेल ने यूपी के सरकारी विभागों में आरक्षण के नियमों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया था।ख़ुद अनुप्रिया पटेल ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर नियुक्तियों में भेदभाव और आरक्षण नियमों को लेकर चिंता जतायी थी। लेकिन कुछ समय बाद आशीष पटेल न सिर्फ़ शांत हो गए थे बल्कि मुख्यमंत्री के प्रति संतुष्टि भी ज़ाहिर कर दी थी।
अब आशीष पटेल ने नए सिरे से आरोप लगाया है।इस बार सूचना और जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है। इस बार भी विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है।उन्होंने मीडिया के एक वर्ग को सूचना विभाग से मिले पैसे के आधार पर खबर लिखने का आरोप लगाया है।इस बार उनको सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का समर्थन भी मिल गया है।यही वो बात है जिससे यूपी की राजनीति में एक नई तरह की हलचल शुरू हो गई है।यूपी बीजेपी के लोग फ़िलहाल कुछ कहने से बच रहे हैं। हालाँकि राजनीतक विश्लेषक ये मानते हैं कि बीजेपी की प्रदेश यूनिट और ख़ास तौर पर सरकार और अपना दल के बीच सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। इस बीच अपना दल में अंदरूनी पॉलिटिक्स भी निकल कर सामने आई जब पार्टी से असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी छोड़ दी।इसमें पूर्व 1 जुलाई को महासचिव अरविंद सिंह पटेल और यूथ विंग के अध्यक्ष हेमंत चौधरी समेत कई नेता शामिल थे।बीजेपी और सरकार से तालमेल में कमी इस समय भी सामने आई जब अपना दल ने मुख्यमंत्री को ये चिट्ठी लिखी कि अपना दल कोटे के जिन दो बागी नेताओं का पूर्वांचल विकास बोर्ड में कार्यकाल बढ़ाया गया है उनको पार्टी से पहले ही पहले ही हटाया जा चुका है।
कुर्मी वोटों के लिए जंग की रणनीति ?
यूपी में पंचायत चुनाव साल के शुरू में होने हैं तो वहीं विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ 21 महीने का समय बचा है।ऐसे में अपना दल के इस रूख से पार्टी में कुर्मी वोटों को लेकर भी बेचैनी है।वहीं अपना दल की नज़र भी अपने परम्परागत कुर्मी वोटों पर है।इसलिए आशीष पटेल के बयान को कुर्मी वोटों को लेकर जंग भी माना जा रहा है।यूपी की राजनीति में कुर्मी वोटों का सियासी महत्व रहा है।बीजेपी ने अपना दल गठबंधन के साथ ही आशीष पटेल के अलावा स्वतंत्र देव सिंह और राकेश सचान को मंत्री बनाया है और कुर्मी वोटों को साधने के लिए अलग से रणनीति बना रही है। वहीं अपना दल (एस ) की राजनीति पूरी तरह से कुर्मी मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमती है।हाल ही में अपना दल ने दलित आर पी गौतम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर और पार्टी के पदाधिकारियों के तौर पर दूसरी जातियों को प्रतिनिधित्व देकर इस परसेप्शन को तोड़ने की कोशिश की है।लेकिन अखिलेश यादव के पीडीए के फार्मूले के बाद नए सिरे से कुर्मी वोटरों को देखना ज़रूरी हो गया है।लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से सात कुर्मी सांसदों का जीतकर आना अपने आप में इस चुनौती का संकेत है। कहा ये जा रहा है कि सजातीय मतदाताओं का मूड देखकर भी अपना दल के रणनीतिकार नई रणनीति के साथ अपने ही सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।इस समय यूपी में 8 प्रतिशत कुर्मी मतदाता हैं जो यादव के बाद ओबीसी में सबसे बड़ी जाति है।क़रीब 35 सीटों पर कुर्मी मतदाता जीत हार को प्रभावित करते हैं।
अपना दल उपाध्यक्ष आशीष पटेल की पोस्ट
आशीष पटेल ने लिखा है ‘ 1700 करोड़ के बजट का दबाव क्या और कैसा होता है, इस दबाव में क्या-क्या करना और लिखना पड़ता है।ये मीडिया के एक वर्ग से पूछिए…
कभी नौ विधायकों के भागने की ख़बर चलानी पड़ती है तो कभी 12 विधायकों के पाला बदलने की ख़बर ताननी पड़ती है।बड़ी भारी मजबूरी आ पड़ी है भैया।’
आशीष पटेल यहीं पर नहीं रुके बल्कि मीडिया के उस वर्ग को सलाह देते हुए लिखा कि ‘ एक समझदारी भरी और बिन मांगी सलाह है कि रोज़ रोज़ का झंझट मत पालिये।एक दिन दिन में बल्कि आज ही अपना दल को जितने हिस्सों में बाँटना है बांट दीजिये।अपने हिसाब से नौ दस या बारह जितने विधायकों को जिस दल में शामिल कराना है करा दीजिये।अपने दिल की ख़ुशी के लिए लिख दीजिये कि अपना दल( एस) का अस्तित्व ख़त्म हो गया।… आपके ऊपर दबाव डालने वाले भी ख़ुश और सूचना विभाग के बजट का भी उपयोग हो जाएगा।हाँ, वैसे एक और बात जान लीजिये।अपना दल को लाखों वंचितों और शोषितों ने अपने खून पसीने से सेमंच कर खड़ा किया है।यह पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही लगातार ऐसी साज़िशों को अभ्यस्त है।
इसके आगे भी आशीष पटेल ने लिखा अपना दल एक ताश के पत्तों का महल नहीं, बल्कि हर मुश्किलों में उग आने वाला घास है।पोस्ट के अंत में आशीष पटेल में महाकवि पाश की कविता लिखकर विरोधियों को चुनौती भी दे दी।’ मैं घास हूँ, मैं आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा।बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर, बना दो हॉस्टल को मलबे का ढेर,सुहागा फिर दो भले ही हमारी झोंपड़ियों पर, मुझे क्या करोगे ?मैं तो घास हूँ हर चीज़ ढक लूँगा।हर ढेर पर उग आऊंगा।मैं अपना काम करूँगा।आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा।’
अपना दल उपाध्यक्ष आशीष पटेल की पोस्ट
आशीष पटेल ने लिखा है ‘ 1700 करोड़ के बजट का दबाव क्या और कैसा होता है, इस दबाव में क्या-क्या करना और लिखना पड़ता है।ये मीडिया के एक वर्ग से पूछिए…
कभी नौ विधायकों के भागने की ख़बर चलानी पड़ती है तो कभी 12 विधायकों के पाला बदलने की ख़बर ताननी पड़ती है।बड़ी भारी मजबूरी आ पड़ी है भैया।’
आशीष पटेल यहीं पर नहीं रुके बल्कि मीडिया के उस वर्ग को सलाह देते हुए लिखा कि ‘ एक समझदारी भरी और बिन मांगी सलाह है कि रोज़ रोज़ का झंझट मत पालिये।एक दिन दिन में बल्कि आज ही अपना दल को जितने हिस्सों में बाँटना है बांट दीजिये।अपने हिसाब से नौ दस या बारह जितने विधायकों को जिस दल में शामिल कराना है करा दीजिये।अपने दिल की ख़ुशी के लिए लिख दीजिये कि अपना दल( एस) का अस्तित्व ख़त्म हो गया।… आपके ऊपर दबाव डालने वाले भी ख़ुश और सूचना विभाग के बजट का भी उपयोग हो जाएगा।हाँ, वैसे एक और बात जान लीजिये।अपना दल को लाखों वंचितों और शोषितों ने अपने खून पसीने से सेमंच कर खड़ा किया है।यह पार्टी अपनी स्थापन के बाद से ही लगातार ऐसी साज़िशों को अभ्यस्त है।
इसके आगे भी आशीष पटेल ने लिखा अपना दल एक ताश के पत्तों का महल नहीं, बल्कि हर मुश्किलों में उग आने वाला घास है।पोस्ट के अंत में आशीष पटेल में महाकवि पाश की कविता लिखकर विरोधियों को चुनौती भी दे दी।’ मैं घास हूँ, मैं आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा।बम फेंक दो चाहे विश्वविद्यालय पर, बना दो हॉस्टल को मलबे का ढेर,सुहागा फिर दो भले ही हमारी झोंपड़ियों पर, मुझे क्या करोगे ?मैं तो घास हूँ हर चीज़ ढक लूँगा।हर ढेर पर उग आऊंगा। मैं अपना काम करूँगा।आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा।’