अरब सागर स्थित विझिंजम बंदरगाह देश को समर्पित, क्यों है यह खास?

केरल के विझिंजम बंदरगाह को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया। इस मौके पर केरल के सीएम पी विजयन ने कहा कि यह राज्य के लोगों के लंबे संघर्ष का नतीजा है।;

Update: 2025-05-02 06:27 GMT
केरल स्थित विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया।

Vizhinjam International Seaport: विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह लिमिटेड (VISL)  को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया। केरल के सीएम पी विजयन ने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि इस बंदरगाह की शुरुआत एक आधुनिक युग का संकेत देती है। प्रधानमंत्री की मौजूदगी इस अवसर को और विशेष बनाती है और हम सबके लिए प्रसन्नता का विषय है। साथ ही, यह बंदरगाह के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशा भी जगाती है।

पी विजयन ने कहा कि एक ऐसा पल जिसे राज्य गौरव के साथ याद रखेगा। यह केवल एक गेटवे का उद्घाटन नहीं, बल्कि भारत के तीसरे सहस्राब्दी की विकास यात्रा का भव्य आरंभ है। यह भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार और लॉजिस्टिक्स के मानचित्र पर स्थापित करने वाली एक राष्ट्रीय पहल है। इसे केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) की इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प ने ऐतिहासिक उपेक्षा से उठाकर एक अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह में तब्दील किया है।

राज्य सरकार की अगुवाई में बंदरगाह निर्माण

देश में पहली बार किसी राज्य सरकार के नेतृत्व में एक प्रमुख बंदरगाह का निर्माण हुआ है। 8,686 करोड़ रुपए की कुल लागत में से 5,370.86 करोड़ का भार केरल सरकार ने स्वयं उठाया है। अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2,497 रुपए करोड़ का निवेश किया गया है, जबकि केंद्र सरकार ने 818 करोड़ रुपए की सहायता दी है।

इस बंदरगाह के शुरू होने से भारत को हर साल हो रहे 220 मिलियन 1,800 करोड़ रुपए के नुकसान से राहत मिलेगी। अब तक भारत के 75% कंटेनर ट्रांसशिपमेंट कार्गो को विदेशी बंदरगाहों पर भेजा जाता था। विझिंजम के संचालन से यह रुक जाएगा। यह हर केरलवासी के लिए गर्व की बात है कि राज्य इस राष्ट्रीय हानि को कम करने में बड़ा योगदान देने जा रहा है।

निर्धारित समय से पहले हुआ काम

इस परियोजना को 2045 तक पूरा किया जाना था, लेकिन हमने इंतजार नहीं किया। 2024 में ही वाणिज्यिक गतिविधियां शुरू हो गईं। अब तक 250 से अधिक जहाज इस बंदरगाह पर आ चुके हैं। आज हम इस बंदरगाह के पहले चरण का उद्घाटन कर रहे हैं, जिसे एक दशक पहले पूरा किया गया था। बाकी चरण 2028 तक पूरे कर लिए जाएंगे।

इस सफर में हमें बाढ़, प्राकृतिक आपदाओं और वैश्विक महामारी जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। लेकिन केरल पीछे नहीं हटा। निर्माण कंपनी ने भी अच्छा सहयोग दिया और हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ी।

लंबे संघर्ष और जनसमर्थन से सफलता

इस परियोजना की कल्पना 1996 में एलडीएफ सरकार ने की थी, लेकिन इसके क्रियान्वयन में वर्षों लग गए। 2009 में इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन को अध्ययन के लिए नियुक्त किया गया, लेकिन 2010 में निविदा के बावजूद केंद्र से अनुमति नहीं मिली। इसके बाद जनसमर्थन में मानवीय श्रृंखलाओं सहित अनेक आंदोलन हुए।

2015 में करार हुआ, लेकिन आलोचनाओं से घिर गया। फिर भी हमने यह ठान लिया था कि विझिंजम परियोजना को हर हाल में अमल में लाना है। हमने यह सिद्धांत अपनाया कि विकास को राजनीतिक मतभेदों का विषय नहीं बनाना चाहिए। 2016 में सत्ता में आने के बाद हमने परियोजना को तेज़ी से आगे बढ़ाया  और आज यह वास्तविकता बन गई।

इस बंदरगाह से 5,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। हमारा लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हों। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह बंदरगाह न केवल केरल बल्कि पूरे भारत के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा।

क्या है विझिंजम का इतिहास

विझिंजम केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में एक गांव है। प्राकृतिक गहरे पानी के बंदरगाह और भारत के दक्षिण पश्चिमी तट पर रणनीतिक स्थान की वजह से इसका महत्व अधिक था। पुरातात्विक उत्खनन से पुष्टि पता चला कि प्रारंभिक ऐतिहासिक काल (पहली-दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व) से एक प्रमुख बंदरगाह शहर था और अय राजवंश के शासन के तहत फलता-फूलता रहा। बाद में यह बंदरगाह पांड्यों और चोलों के प्रभाव में आ गया। दोनों ने इसके आकर्षक व्यापार और रणनीतिक स्थिति पर नियंत्रण की मांग की।

12वीं शताब्दी तक एक प्रमुख समुद्री बंदरगाह के रूप में विझिंजम की प्रमुखता कम हो गई, जिसका मुख्य कारण अय, पांड्य और चोलों के बीच बार-बार संघर्षों के कारण होने वाली राजनीतिक उथल-पुथल और साथ ही व्यापार मार्गों में बदलाव था। औपनिवेशिक युग तक विझिनजाम एक छोटे से मछली पकड़ने के बंदरगाह में सिमट कर रह गया था। यह यूरोप, फारस की खाड़ी और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले व्यस्त अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से सिर्फ़ 10 समुद्री मील की दूरी पर रणनीतिक रूप से स्थित है और यह आज भारत का सबसे गहरा ड्राफ्ट पोर्ट है। ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को कम करके, विझिंजाम रसद लागत को कम करने और वैश्विक समुद्री व्यापार में देश की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए तैयार है।

बंदरगाह की घुमावदार तटरेखा और प्राकृतिक भूगोल सुनामी से सुरक्षा प्रदान करते हैं और कटाव को कम करते हैं, जिससे यह कम रखरखाव आवश्यकताओं वाला एक सभी मौसमों वाला बंदरगाह बन जाता है। विझिंजाम को भारत के पहले पर्यावरण के अनुकूल बंदरगाह के रूप में भी डिज़ाइन किया गया है जिसके मूल में स्थिरता और आधुनिक पर्यावरणीय मानक हैं।

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