MCD में आम आदमी पार्टी की सत्ता खतरे में? मेयर चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज
सदन के नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मेयर राजा इकबाल सिंह के एक दावे ने इस बात पर सोचने को मजबूर कर दिया है कि क्या आप के पार्षदों के बीच सब कुछ सही है?;
New Political Equation In MCD : दिल्ली नगर निगम (MCD) में इस समय आम आदमी पार्टी (AAP) का बहुमत है, लेकिन क्या यह सत्ता लंबे समय तक बरकरार रह पाएगी? यह सवाल इसलिए अहम हो गया है क्योंकि हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा (BJP) की बड़ी जीत और AAP की हार ने राजधानी के राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं ये सवाल उस समय और ज्यादा मजबूत हो गया क्योंकि MCD में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मेयर राजा इकबाल सिंह ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी के निगम पार्षदों के बीच आपसी मतभेद हैं, जो सोमवार को सदन में देखने को मिला। आप के कई पार्षद मेयर महेश कुमार खिंची के सम्मान में ही खड़े नहीं हुए, जबकि प्रोटोकॉल के तहत सभी पार्षदों का चाहे वो पक्ष हो या विपक्ष, सदन के नेता यानी मेयर के सम्मान में खड़े होते हैं। लेकिन आप के पार्षदों का ये रवैया अपने में ही कई सवाल खड़े कर रहा है।
BJP के बढ़ते कदम, AAP के लिए मुश्किलें?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही AAP के तीन विधायक BJP में शामिल हो गए, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। अब अप्रैल में दिल्ली मेयर का चुनाव होना है, जिसमें भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच बेहद कम अंतर है। ऐसे में AAP के सामने अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है, जबकि BJP की रणनीति MCD पर कब्ज़ा जमाकर "ट्रिपल इंजन सरकार" (MCD, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार) बनाने की है।
MCD में संख्या बल का समीकरण क्या कहता है?
वर्तमान में MCD में कुल 250 वार्ड हैं, लेकिन 12 सीटें खाली हैं। इसके चलते 238 पार्षद ही वोटिंग में हिस्सा लेंगे। BJP के पास 131 वोट हैं, जबकि बहुमत के लिए 132-133 वोट चाहिए। वहीं, AAP के पास 122 वोट हैं, जिसका मतलब है कि अगर AAP को जीत दर्ज करनी है, तो उसे कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों का समर्थन जुटाना होगा।
इसके अलावा, चुनाव में अध्यक्ष द्वारा मनोनीत 14 विधायक, 10 सांसद (लोकसभा के 7 और राज्यसभा के 3) भी वोट डालेंगे, जिससे मुकाबला और रोचक हो गया है।
क्या 2022 के बाद मेयर की कुर्सी BJP छीन लेगी?
2022 के MCD चुनाव में AAP ने 134 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया था, जबकि BJP को 104 सीटें मिली थीं। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। BJP को MCD में बहुमत तक पहुंचने के लिए बस एक-आध वोटों की जरूरत है, और अगर कांग्रेस या निर्दलीय पार्षद BJP के समर्थन में आ जाते हैं, तो AAP के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दिल्ली की राजनीति के लिए क्यों अहम है यह चुनाव?
अगर BJP MCD में कब्जा कर लेती है, तो दिल्ली में "ट्रिपल इंजन सरकार" की स्थिति बन सकती है, जिससे पार्टी की प्रशासनिक पकड़ और मजबूत होगी। दूसरी ओर, अगर AAP अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही, तो यह अरविंद केजरीवाल की पार्टी के लिए एक बड़ी राहत होगी।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या AAP अपनी कुर्सी बचा पाएगी या BJP दिल्ली में नया इतिहास रचने वाली है? अप्रैल में होने वाले इस चुनाव पर पूरी दिल्ली की नजरें टिकी हुई हैं!