AI के ज़रिए खत्म हो जाएंगी बीमारियाँ? DeepMind CEO का बड़ा दावा
Google DeepMind CEO डेमिस हासाबिस का कहना है- आने वाले दशक में AI सभी बीमारियों का इलाज खोजने में सक्षम होगा, जिससे दवा बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह बदल सकती है।;
एक दौर था जब कैंसर, अल्जाइमर या दुर्लभ जेनेटिक रोगों को जीवनभर की पीड़ा माना जाता था। लेकिन अब विज्ञान की दिशा तेजी से बदल रही है, और इसकी सबसे बड़ी वजह है — AI। हाल ही में Google DeepMind के CEO डेमिस हासाबिस ने एक बड़ा और आशावादी दावा किया है कि AI के ज़रिये अगले 10 वर्षों में सभी बीमारियों का इलाज संभव हो सकता है।
हासाबिस का यह बयान केवल कल्पना नहीं, बल्कि उस वैज्ञानिक सोच की परिणति है जो पिछले कुछ वर्षों में AI के क्षेत्र में हुए ऐतिहासिक शोधों से निकली है। CBS 60 Minutes को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह AI दवा निर्माण, रोग की पहचान और उपचार की प्रक्रिया को पूरी तरह बदल सकता है।
10 साल से हफ्तों में बदलती दवा बनाने की प्रक्रिया
डेमिस हासाबिस ने बताया कि आमतौर पर एक नई दवा को विकसित करने में 10 साल तक का समय और अरबों डॉलर खर्च होते हैं। लेकिन AI की मदद से यह प्रक्रिया अब कुछ हफ्तों या महीनों में पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा, “यह आज असंभव लग सकता है, लेकिन जब हमने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी की थी, तब भी यही कहा गया था। और हम सफल हुए।”
उनका इशारा DeepMind द्वारा विकसित AI मॉडल ‘AlphaFold’ की ओर था, जो किसी भी प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना को अत्यधिक सटीकता से समझ सकता है। इस शोध ने चिकित्सा जगत को चौंका दिया था। इसके लिए हासाबिस और उनके साथी वैज्ञानिक जॉन जंपर को 2024 में नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा गया।
क्या वाकई खत्म हो जाएंगी सारी बीमारियाँ?
जब इंटरव्यू में हासाबिस से पूछा गया कि क्या वे वाकई मानते हैं कि AI सभी बीमारियों को खत्म कर देगा, तो उनका उत्तर था — “हां, मैं इसे मुमकिन मानता हूं। अगले एक दशक में यह सपना हकीकत बन सकता है।”
उनका यह बयान न सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय बल्कि तकनीकी क्षेत्र में भी उत्साह और बहस का विषय बन गया है। Perplexity AI के CEO अरविंद श्रीनिवास ने सोशल मीडिया पर हासाबिस के समर्थन में कहा, “डेमिस एक जीनियस हैं, और उन्हें इसके लिए हर संसाधन मिलना चाहिए।”
AGI: इंसानों जैसी सोच वाला AI अभी दूर है
हालांकि हासाबिस ने यह स्पष्ट किया कि Artificial General Intelligence (AGI) — यानी ऐसा AI जो इंसानों की तरह सोच सके — अभी दूर की बात है। आज के AI सिस्टम केवल पहले से मौजूद मानव ज्ञान पर आधारित हैं। वे अभी तक कोई नई सोच या मौलिक प्रश्न खुद नहीं खड़ा कर सकते।
AI तकनीक अब केवल मशीनों को समझदार बनाने तक सीमित नहीं है। यह हमारी जीवनशैली, स्वास्थ्य और अस्तित्व को नया रूप दे सकती है। अगर हासाबिस का दावा सच साबित होता है, तो आने वाला दशक न केवल विज्ञान के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए नई क्रांति लेकर आएगा।