चेहरा बताएगा उम्र और सेहत, डॉक्टर से भी आगे निकला AI
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बनाया AI टूल FaceAge, जो चेहरे की बायोलॉजिकल उम्र बताकर मरीज की सेहत और जान बचने की संभावना बताता है।;
आपके चेहरे की झुर्रियाँ अब सिर्फ उम्र का नहीं, सेहत का भी इशारा देंगी। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐसा AI टूल तैयार किया है जो चेहरे को देखकर किसी इंसान की बायोलॉजिकल उम्र यानी असल शारीरिक उम्र का अनुमान लगा सकता है। खास बात ये है कि ये अनुमान डॉक्टरों के आंखों के टेस्ट से कहीं ज़्यादा सटीक साबित हुआ है।
FaceAge AI जो बताता है असली उम्र
इस AI टूल का नाम है FaceAge और इसे विकसित किया है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की अन्य मेडिकल संस्थाओं के वैज्ञानिकों ने। रिसर्च में शामिल वैज्ञानिक ह्यूगो एर्ट्स के मुताबिक, “ये AI इंसानों की तरह उम्र को नहीं देखता। बालों का सफेद होना या गंजापन जैसी चीज़ें इसके लिए ज्यादा मायने नहीं रखतीं।”
AI का दावा: चेहरे की उम्र, मौत की भविष्यवाणी से जुड़ी
AI को 6,200 कैंसर मरीजों की तस्वीरों पर टेस्ट किया गया, जो रेडियोथेरेपी से पहले ली गई थीं। FaceAge ने पाया कि इन मरीजों की बायोलॉजिकल उम्र, उनकी असल उम्र से औसतन पांच साल ज्यादा थी। AI का विश्लेषण ये भी बताता है कि जिन मरीजों के चेहरे ज़्यादा उम्रदराज़ लगे, उनकी survival possibility कम थी।
डॉक्टर बनाम AI: कौन निकला ज़्यादा सटीक?
एक दिलचस्प टेस्ट में आठ डॉक्टरों से कहा गया कि सिर्फ मरीज की तस्वीर देखकर बताएं कि वह 6 महीने बाद ज़िंदा रहेगा या नहीं। डॉक्टरों की सटीकता 61% रही। जब उन्हें क्लिनिकल जानकारी भी दी गई तो ये आंकड़ा 73% तक पहुंचा। लेकिन जब FaceAge के साथ मेडिकल चार्ट का उपयोग किया गया तो सटीकता 80% तक बढ़ गई।
AI की नजर में पॉल रुड जवान, ब्रिमली बूढ़े
FaceAge की सटीकता जानने के लिए पॉल रुड और विलफोर्ड ब्रिमली की 50 साल की उम्र में ली गई तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। AI ने रुड की उम्र 43 और ब्रिमली की 69 बताई, जो काफी हद तक उनकी सेहत और दीर्घायु से मेल खाती है।
डेटा की सुरक्षा और पक्षपात का क्या?
FaceAge को ट्रेनिंग देने के लिए किसी भी मरीज की असली तस्वीर या निजी क्लीनिकल डेटा का इस्तेमाल नहीं किया गया है। रिसर्चर्स ने यह भी सुनिश्चित किया कि AI अलग-अलग नस्ल और जातीय पृष्ठभूमि के लोगों पर समान रूप से काम करे। इसके लिए उन्होंने UTK डेटासेट का इस्तेमाल किया, जिसमें 55% लोग गैर-श्वेत थे।
AI टूल कितना सुरक्षित है?
रिसर्च टीम का कहना है कि यह तकनीक भले ही काफी संभावनाएं रखती हो, लेकिन इसके बड़े स्तर पर इस्तेमाल से पहले regulatory oversight ज़रूरी है। वहीं, डेटा की प्राइवेसी को लेकर भी स्पष्ट दिशानिर्देश बनाए जाने की जरूरत है।
अंत में सवाल ये नहीं है कि AI डॉक्टरों को बदल देगा या नहीं, बल्कि ये है कि क्या हम इंसानों के चेहरे में छुपे संकेतों को समझने के लिए अब तकनीक पर ज्यादा भरोसा करेंगे?