'ये भीड़ कर रही बदलाव का इशारा', क्या अखिलेश यादव के दावे में है दम

क्या लोगों की भीड़ राजनीतिक दल की जीत- हार की तस्वीर पेश करती है. अखिलेश यादव का ऐसा मानना है. लेकिन 2022 यूपी असेंबली के नतीजे इस तर्क को खारिज करते हैं.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-21 06:41 GMT

Akhilesh Yadav News: यूपी की सियासत में बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस तीन मुख्य दल है.बीजेपी के सितारे बुलंद है. बीजेपी के नेताओं के मुताबिक 2024 के चुनाव में 370 सीट हासिल करने में उनके सामने चुनौती नहीं है. जब लोग याद दिलाते हैं कि कम मतदान प्रतिशत से असर तो नहीं पड़ेगा. उसका जवाब देते हुए तर्क भी पेश करते हैं. बीजेपी के रणनीतिकारों के मुताबिक वोट प्रतिशत भले ही कम हो उससे उनकी सेहत पर असर नहीं क्योंकि उनके मतदाता अपना काम कर चुके हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि जिस तरह से इंडी गठबंधन की सभाओं में लोग उमड़ रहे हैं वो इस बात की तरफ इशारा है लोगों के दिल और दिमाग में क्या कुछ चल रहा है.

अखिलेश यादव ने प्रयागराज का दिया हवाला

बता दें कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी की प्रयागराज (पुराना नाम इलाहाबाद) में एक सभा थी. उस जनसभा में लोग डी के घेरे यानी मंच तक आ पहुंचे. अखिलेश यादव और राहुल गांधी सुरक्षा कारणों से संबोधन नहीं कर सके. हालांकि ट्वीट के जरिए अखिलेश ने कह दिया कि अब इस प्यार को देखकर उन्हें भरोसा है कि चार जून को जनता मोदी सरकार को भगा देगी. लेकिन यहीं सवाल भी है. क्या जनसभाओं में उमड़ी भीड़ ईवीएम की बटन को लॉक करती है. इसे समझने के लिए हमें 2022 के आंकड़ों को समझने की जरूरत है. 2022 के चुनावी नतीजों में बीजेपी गठबंधन को 273 सीट, समाजवादी पार्टी गठबंधन को 125 सीट, कांग्रेस को 2 सीट, बीएसपी को महज एक सीट मिली थी. यह वो साल था जब योगी आदित्यनाथ की रैलियों से अधिक भीड़ अखिलेश यादव की रैली में जुटा करती थी. समाजवादी पार्टी के नेता कहा भी करते थे कि लोगों का जोश चरम पर है और भगवा राज का अंत होने वाला है. अब आप 2024 की तस्वीर देखिए. समाजवादी पार्टी के नेता कहते हैं कि जिस तरह से लोग सभाओं में आकर आशीर्वाद दे रहे हैं वो यह बताने के लिए काफी है कि अंजाम क्या होगा. लेकिन जानकार इसे अलग नजरिए से देखते हैं.

2022 यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे

बीजेपी गठबंधन- 273

सपा गठबंधन- 125

कांग्रेस-2

बीएसपी- 1

क्या कहते हैं सियासी जानकार

यूपी की राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले गोरखपुर के विनोद सिंह सेंगर कहते हैं कि भीड़ किसी के हार जीत का पैमाना नहीं बन सकती. हाल ही में वो दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली का जिक्र करते हुए कहा कि बहुत से ऐसे लोग थे जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि रामलीला मैदान में वो किस मुद्दे पर नेताओं की बात सुनने के लिए आए हैं, किसी को दिल्ली आना था. मौका मिल गया पैसे नहीं लगे तो वो दिल्ली घूमने चल दिए. सेंगर कहते हैं कि भीड़ और वोट की गणित में इस व्याख्या को आप सरलीकरण मान सकते हैं. लेकिन यह सच है. इसके अलावा एक बार सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (2022 में अखिलेश यादव के साथ थे) ने कहा था कि ड्राइंग रूम की पॉलिटिक्स करने वाले भीड़ देखकर भ्रम के शिकार हो जाते हैं. अखिलेश यादव के साथ कुछ वैसा ही हुआ. भीड़ निश्चित तौर पर किसी राजनीतिक दल में जोश भरती है. लेकिन वोट में कितना तब्दील हो सकेगा उसके लिए किसी भी शख्स को जमीन पर मेहनत करनी पड़ती है. आप यूं ही नहीं कह सकते कि मेरी सभा में तुमसे अधिक भीड़ है और जीत का स्वाद चखने का मौका मुझे ही मिलेगा.

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