अगर बेबी केयर अस्पताल का स्टाफ न करता ऐसा काम तो बच सकती थी बच्चों की जान

पुलिस जाँच में ये बात सामने आई है कि आग लगने के आधे घंटे बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गयी थी. इस आधे घंटे में अस्पताल का स्टाफ अपनी तरफ से आग बुझाने का प्रयास करता रहा था, लेकिन आग बेकाबू होने पर पुलिस को सुचना दी गयी.

Update: 2024-05-28 06:31 GMT

Vivek Vihar Baby Care Hospital Fire Case Update :


दिल्ली के विवेक विहार में बेबी केयर अस्पताल अग्निकांड की जाँच में जुटी पुलिस के सामने एक बेहद चौकाने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस जाँच में ये सामने आया है कि अस्पताल में आग शनिवार देर रात लगभग 11 बजे ही लग गयी थी. अस्पताल के अन्दर मौजूद स्टाफ को भी इसकी जानकारी थी लेकिन इस सब के बावजूद स्टाफ ने इसकी जानकारी तुरंत ही पुलिस या फायर विभाग को नहीं दी. जब हालत काबू से बाहर हो गए तब जाकर फायर विभाग और पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गयी. यही वजह रही कि 12 बच्चे अंदर ही फंसे रह गए और उनमें से 7 की मौत हो गयी.


खुद आग बुझाने में जुटा रहा अस्पताल का स्टाफ

पुलिस का कहना है कि जाँच के दौरान जब अस्पताल के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गयी तो पता चला कि आग आग रात 10:55 बजे ही लग गयी थी. इसकी शुरुआत एक चिंगारी से हुई, जो शायद शोर्ट सर्किट के चलते उठी थी. फुटेज में ये भी दिख रहा है कि अस्पताल का स्टाफ अपने स्तर पर आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन आग थमने की बजाये बढती ही जा रही है. इसी बीच अस्पताल की लाइट भी चली जाति है और फिर अफरातफरी मच जाति है. हालत बेकाबू होता देख स्टाफ पीसीआर कॉल करना शुरू करता है.

3 मिनट में की गयी 5 पीसीआर कॉल

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अस्पताल का स्टाफ आग को भड़कता देख इस कदर घबरा गया था कि उसने 11:29 बजे से 11:32 के बीच एक के बाद एक 5 पीसीआर कॉल की.


अलग अलग कमरों में थे बच्चे

पुलिस जाँच में ये भी पता चला है कि आग सामने वाले कमरे की तरफ लगी थी. आग जैसे ही भड़की वैसे ही स्टाफ ने पीछे वाले कमरे में भर्ती बच्चों को पहले बाहर निकाला और सामने वाले कमरे में जो 7 बच्चे थे उन्हें दमकल विभाग की मदद से बाहर निकाला जा सका. देरी की वजह से ही 7 बच्चों की मृत्यु हो गयी.


फॉरेंसिक टीम ने किया निरिक्षण

आग की घटना के बाद सोमवार को फॉरेंसिक साइंस लैब की टीम विवेक विहार स्थित बेबी केयर अस्पताल पहुंची. इसके साथ ही क्राइम इन्वेस्टीगेशन टीम भी आई. दोनों ही टीमों ने मौके से नमूने एकत्र किये.

आग कहाँ से शुरू हुई इसकी भी की जा रही है जाँच

पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों में चिंगारी भड़कती दिख रही है, लेकिन ये पता नहीं चल रहा है कि आग शुरू कहाँ से हुई थी. आग फर्स्ट फ्लोर से शुरू हुई या ग्राउंड से ये भी स्पष्ट नहीं है. आसपास के लोगों से भी पूछताछ की जा रही है. ऐसा भी बताया गया है कि बाहर जो बिजली का खम्बा लगा है आग की शुरुआत वह से हुई. कोई ऑक्सीजन सिलिंडर रिफिलिंग से आग की शुरुआत बता रहा है. इन्हीं सब सवालों का हल पाने के लिए फॉरेंसिक टीम की मदद ली जा रही है.

जयपुर भाग गया था आरोपी डॉक्टर

पुलिस का कहना है कि अस्पताल का मालिक डॉ नवीन खिची इस घटना के बाद भाग कर जयपुर चला गया था. लेकिन यूज़ गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का यहे भी कहना है कि इस अस्पताल में सिर्फ आसपास के ही नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर से भी अलग अलग डॉक्टर बच्चों को रेफर करते थे. संभव है कि उन्हें इसके बदले कमीशन दिया जाता हो. अस्पताल हर दिन मरीज के परिजनों से मोटी रकम वसूली जाति थी. पुलिस ने ये भी बताया कि बीएएमएस डॉक्टर कम सैलरी पर काम करता है, इसलिए उन्हें रखा जाता है. जाँच में पता चला है कि अस्पताल में 4 डॉक्टर और 20 नर्स काम करते हैं.

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