कौन होगा हमास का नया चीफ? इस सवाल से अमेरिका से लेकर इजरायल तक परेशान
हमास का मुखिया याह्या सिनवार एक इजरायली हमले में मारा गया. याह्या सिनवार को इजरायल पर पिछले साल 7 अक्टूबर के हमले का मास्टरमाइंट माना जाता है.
Hamas chief Yahya Sinwar killed: मिडिल ईस्ट में तनाव के बीच हमास का मुखिया याह्या सिनवार एक इजरायली हमले में मारा गया. याह्या सिनवार को इजरायल पर पिछले साल 7 अक्टूबर के हमले का मास्टरमाइंट माना जाता है. इस हमले में 1200 इजरायलियों की मौत हो गई थी. इसके बाद ही इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग का ऐलान किया था. हालांकि, सिनवार की मौत के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अब हमास का नया चीफ कौन होगा? क्योंकि हमास का होने वाला नया प्रमुख ही इस आतंकी संगठन की दिशा तय करेगा, जिसके कि मिडिल ईस्ट की स्थिति भी प्रभावित होगी.
बता दें कि इजरायल रक्षा बलों ने घोषणा की है कि इजरायल में 7 अक्टूबर को हुए नरसंहार का मास्टरमाइंड सिनवार एक अभियान में मारा गया है. सिनवार इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई के मामले में अडिग था और उसकी मौत ने यह विश्वास दिलाया है कि यह इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में बातचीत का एक अवसर हो सकता है. हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सिनवार के बाद हमास की कमान कौन संभालता है. इसके लिए हमास के कुछ प्रमुख लोगों पर चर्चा की जा रही है.
मोहम्मद सिनवार
संभावित उत्तराधिकारी याह्या का भाई हो सकता है. 49 वर्षीय मोहम्मद हमास की सैन्य शाखा के शीर्ष कमांडरों में से एक है. बिचोनिस्टिम (सुरक्षा विशेषज्ञ) के अध्यक्ष जनरल आमिर अवीवी ने सिनवार की मौत पर इजरायली दैनिक मारिव से बात की. उन्होंने कहा कि भले ही सिनवार को मार दिया गया हो, जब तक कि उसके भाई और दो या तीन अन्य केंद्रीय व्यक्तियों को भी मार नहीं दिया जाता, हमास की संरचना को तोड़ना मुश्किल होगा. अवीवी ने यह भी चर्चा की कि कैसे याह्या का भाई भी इजरायली सैनिक गिलाद शालिट को पकड़ने के लिए जिम्मेदार था और उसकी रिहाई के बिना कोई भी कैदी विनिमय नहीं हो सकता था. 2011 में शालिट की स्वतंत्रता के बदले में याह्या सिनवार सहित 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया था. मोहम्मद सिनवार अपने भाई याह्या की तरह इजरायल का एक और शीर्ष लक्ष्य है. वह भी उसे मारने के कई प्रयासों से बच गया है. लेकिन उनकी नियुक्ति का मतलब याह्या सिनवार की नेतृत्व शैली को जारी रखना हो सकता है, जहां कट्टरपंथी अत्यधिक हिंसा पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
खालिक अल-हय्या
हय्या कतर में हमास के राजनीतिक ब्यूरो का सदस्य है और दोहा में युद्ध विराम चर्चाओं का प्रमुख वार्ताकार है. वह कतर में रहता है. वह याह्या सिनवार का भी डिप्टी था. यहां तक कि जुलाई में जब हमास नेता इस्माइल हनीया की हत्या हुई थी, तब भी अल-हय्या को संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था. उसने अप्रैल में कहा था कि अगर पांच साल का युद्धविराम होता है और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य बनता है तो हमास अपने हथियार नीचे रखेगा और एक राजनीतिक पार्टी बन जाएगा. वह 2007 में गाजा में अपने घर पर हुए हवाई हमले में बच गया था, जिसमें उसके परिवार के कई सदस्य मारे गए थे.
महमूद अल-जहर
जहर हमास के संस्थापक सदस्यों में से एक है और उसे यूरोपीय विदेश संबंध परिषद के अनुसार "हॉकिश" और "सामाजिक रूप से रूढ़िवादी" कहा जाता है. जहर गाजा में एक डॉक्टर था और चिकित्सा फील्ड में लगा हुआ था. वह 2006 में फिलिस्तीनी विधान परिषद (पीएलसी) के लिए चुना गया था और उसी वर्ष हमास की चुनावी जीत के बाद पहला विदेश मंत्री बना था. वह 1992 और 2003 में इजरायल द्वारा हत्या के प्रयासों से बच गया था. 7 अक्टूबर के बाद से जहर ने कोई उपस्थिति नहीं दिखाई है.
मूसा अबू मरज़ौक
मरज़ौक ने मुस्लिम ब्रदरहुड के निर्माण में मदद की, जिसने बाद में हमास का गठन किया. वह हमास के राजनीतिक ब्यूरो के शीर्ष सदस्य है. 1990 के दशक में इज़राइल ने उस पर आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था. बाद में वह अमेरिका चले गया, जहां उसने फिलिस्तीनी मुद्दे के लिए समर्थन जुटाया. 1990 के दशक में मैनहट्टन जेल में दो साल तक जेल में रहने के बाद उसे अमेरिका में अपना स्थायी निवास छोड़ना पड़ा और आतंकवाद के आरोपों को चुनौती नहीं देनी पड़ी. फिर, उसे जॉर्डन भेज दिया गया.
खालिद मशाल
मशाल 1996 में राजनीतिक कार्यालय के समग्र नेता था. दो साल बाद उसे जॉर्डन में इज़राइल द्वारा धीमा जहर दिया गया, जिससे वह कोमा में चले गया और इज़राइल ने जॉर्डन के साथ एक राजनयिक समझौते के तहत एंटीडोट प्रदान किया, वह कुवैत, जॉर्डन, कतर और सीरिया में रहा. साल 2017 में जब उसने राजनीतिक पद छोड़ा तो इस्माइल हनीयेह ने पदभार संभाला. लेकिन शायद वह उतना संभावित विकल्प न हो. क्योंकि उसने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-अशद के खिलाफ विद्रोह का समर्थन किया था, जिससे संरक्षक ईरान के साथ विवाद पैदा हो गया था.