बांग्लादेश सशस्त्र बल प्रमुख वकर-उज-ज़मान की जनता से अपील सेना पर रखें भरोसा
हिंसा और उथल-पुथल के बीच शेख हसीना के ढाका से भागने के बाद, उज-जमान ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी सहित राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की, अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी में
By : Zoglul Kamal
Update: 2024-08-05 12:17 GMT
Sheikh Hasina Coup: बांग्लादेश में हुए अभूतपूर्व जन विद्रोह के बीच देश की सबसे लम्बे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ देश छोड़कर भाग गई हैं. बाग्लादेश में हुए जनविद्रोह में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है.
हसीना के तख्ता पलट के बाद सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने टेलीविज़न पर दिए भाषण में कहा कि अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. "हम राजनीतिक संक्रमण काल से गुज़र रहे हैं. अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. सभी हत्याओं का मुक़दमा चलाया जाएगा. सेना पर भरोसा रखें,"
'मुझ पर भरोसा रखो'
उज़-ज़मान ने लोगों से शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा, "मुझ पर भरोसा रखें; आइए हम साथ मिलकर काम करें. लड़ाई से हमें कुछ नहीं मिलेगा. संघर्ष से बचें. हमने मिलकर एक खूबसूरत देश बनाया है."
शेख हसीना के पतन का जश्न मनाने के लिए हजारों लोग ढाका की सड़कों पर उतर आए हैं. ये एक अभूतपूर्व दृश्य है.
उन्होंने जमात-ए-इस्लामी समेत सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत की, जिस पर सरकार ने पिछले हफ़्ते प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि अंतरिम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा.
जनरल ज़मान ने कहा कि वो राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलेंगे और उम्मीद जताई कि दिन के अंत तक कोई "समाधान" निकल आएगा.
उन्होंने लोगों के लिए "न्याय" की भी प्रतिज्ञा की, जिसकी मांग प्रदर्शनकारी पिछले तीन सप्ताह में सैकड़ों लोगों की मौत के बाद कर रहे हैं.
जन विद्रोह
सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में कोटा में सुधार की मांग को लेकर चल रहा छात्र आंदोलन पिछले महीने एक बड़े विद्रोह में बदल गया, जब सरकारी बलों ने कई छात्रों और बच्चों सहित दर्जनों लोगों की हत्या कर दी.
हसीना और उनकी पार्टी शुरू से ही इस आंदोलन की आलोचक रही है और उन्होंने मौतों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया.
उनकी सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया, सोशल मीडिया को ब्लॉक कर दिया, अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुला लिया. लेकिन कोटा सुधार विरोध एक जन आंदोलन में बदल गया क्योंकि जीवन की बढ़ती लागत और बेरोजगारी से नाराज लोग उनके साथ जुड़ गए.
हालाँकि सरकार ने माँगें मान लीं, लेकिन आंदोलन ने मौतों के लिए न्याय की माँग जारी रखी. ये जल्द ही सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया. रविवार को, 13 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 100 लोग मारे गए. स्थानीय मीडिया के अनुसार, सोमवार को ढाका में कम से कम छह और लोग मारे गए.
लूटपाट और बर्बरता
हसीना के अपनी बहन शेख रेहाना के साथ देश से बाहर चले जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आवास गणभवन पर धावा बोल दिया और उसे लूट लिया. लोगों ने ढाका और अन्य जगहों पर अवामी लीग के कार्यालयों और पार्टी नेताओं के आवासों पर भी हमला किया.
ढाका में एक समूह ने एक स्वर में चिल्लाते हुए कहा, "बांग्लादेश आज़ाद हो गया है." हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. ये एक अभूतपूर्व दृश्य है. तीन हफ़्ते पहले भी, किसी ने हसीना या उनकी पार्टी और उसके नेताओं के ख़िलाफ़ एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं की थी, क्योंकि उन्हें डर था कि उन पर 'डिजिटल सुरक्षा अधिनियम' के तहत अत्याचार किए जाएँगे.
विरोध प्रदर्शनों ने पहले से ही कम होते विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ती मुद्रास्फीति और उच्च कमोडिटी कीमतों के बोझ से दबी अर्थव्यवस्था को और भी ज़्यादा नुकसान पहुँचाया है. देश के निर्यात-उन्मुख रेडीमेड गारमेंट उद्योग में उत्पादन में बाधा उत्पन्न हुई है क्योंकि इंटरनेट ब्लैकआउट ने फ्रीलांसरों और छोटे ऑनलाइन व्यवसायों को प्रभावित किया है.
सबसे बड़ी चुनौती
फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती कानून-व्यवस्था बहाल करना है, क्योंकि विपक्षी दलों के समर्थक बदला लेने पर आमादा हैं.
दीर्घावधि में निष्पक्ष चुनाव और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण स्थिति को बेहतर बनाएगा। इस समय हसीना और उनकी पार्टी का राजनीतिक भविष्य अस्पष्ट है.
अर्थव्यवस्था को विकास के पथ पर वापस लाना नई सरकार के लिए एक बड़ा काम रहेगा.