बांग्लादेश: शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कवायद! पाठ्य पुस्तकों में बड़ा फेरबदल

Sheikh Mujibur Rahman: शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांगलादेश के स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है.;

Update: 2025-01-02 10:47 GMT

Bangladesh textbooks change: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने देश के इतिहास को बदलने की कवायद शुरू कर दी है. नई पीढ़ी पुराने इतिहास को न जान पाए. इसलिए लगातार पुराने सबूतों को मिटाने की कोशिश की जा रही है. यह कवायद महज इसलिए, क्योंकि लोग शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) की विरासत को न जान पाएं. इसलिए बांग्लादेश में 1971 के युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम) की किताबों को नए सिरे से लिखा जा रहा है. अंतरिम सरकार ने इसी कोशिश के तहत बांग्लादेश की पाठ्य पुस्तकों में बड़ा बदलाव किया है. इसके तहत साल 1971 में बांग्लादेश (Bangladesh) की आजादी की घोषणा पहली बार जिया उर रहमान ने की थी, न कि शेख मुजीबुर रहमान ने. बता दें कि अभी तक बांग्लादेश की आजादी की घोषणा का श्रेय शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) को दिया जाता था.

बता दें कि बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना हिंसक आंदोलनों की वजह से अपने पद से इस्तीफ़ा देकर देश छोड़ भारत आ गई थीं. ऐसे में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांगलादेश के स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है. राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक बोर्ड (NCTB) के अनुसार, सरकार ने फैसला किया है कि अगले शैक्षणिक वर्ष में पाठ्यपुस्तकों से ऐसी जानकारी को हटाया जाएगा. जो ऐतिहासिक तथ्यों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करती हो या किसी इंसान की जरूरत से ज्यादा तारीफ करती हो.

बांग्लादेश (Bangladesh) के नये सिलेबस की किताबों के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान ने 1971 में देश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी. साल 2025 के शैक्षणिक सत्र के लिए नई पाठ्यपुस्तकें अवामी लीग के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) को इस घोषणा का श्रेय देने वाली मौजूदा पाठ्यपुस्तकों की जगह लेंगी. साल 2010 से शेख हसीना के शासन के तहत किताबों में कहा गया था कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान ने 26 फरवरी 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले वायरलेस मैसेज के जरिए से स्वतंत्रता की घोषणा की थी. रिपोर्ट के अनुसार, नई पाठ्यपुस्तकों में मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) के लिए "राष्ट्रपिता" की उपाधि भी हटा दी गई है.

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या एवं पाठ्यपुस्तक बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. एकेएम रियाजुल हसन ने कहा कि नई पाठ्यपुस्तकों में लिखा होगा कि 26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) ने बांग्लादेश (Bangladesh) की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से स्वतंत्रता की एक और घोषणा की. उन्होंने कहा कि यह जानकारी उन मुफ्त पाठ्यपुस्तकों में शामिल की गई है, जिनमें घोषणा की बात कही गई है.

शोधपत्र के अनुसार, पाठ्यपुस्तकों में बदलाव करने की प्रक्रिया में शामिल लेखक और शोधकर्ता राखल राहा ने कहा कि उन्होंने पाठ्यपुस्तकों को "अतिरंजित, थोपे गए इतिहास" से मुक्त करने की कोशिश की है. पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने वालों ने पाया कि यह तथ्य-आधारित जानकारी नहीं थी कि शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) ने पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने के दौरान वायरलेस मैसेज (स्वतंत्रता की घोषणा) भेजा था और इसलिए उन्होंने इसे हटाने का फैसला किया.

इससे पहले कक्षा 1 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में सत्ता में रहने वाली सरकार के अनुसार स्वतंत्रता की घोषणा किसने की, इसकी जानकारी बदल दी गई थी, ऐसा अखबार ने दावा किया. अवामी लीग के समर्थकों का मानना ​​था कि शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) ने घोषणा की थी और जियाउर रहमान, जो सेना के मेजर थे और बाद में मुक्ति संग्राम के सेक्टर कमांडर थे, ने "मुजीब के निर्देश पर केवल घोषणा पढ़ी थी.

मुजीब की विरासत को मिटाने की कोशिश

5 अगस्त को शेख हसीना के बांग्लादेश से भाग जाने के बाद, उनके शासन के खिलाफ़ प्रदर्शन करने वालों ने उनके पिता से जुड़ी मूर्तियों और चित्रों पर हमला किया. जिन्हें सालों तक 'बंगबंधु' के रूप में सम्मानित किया जाता रहा था. इससे पहले बांग्लादेश ने पुराने नोटों को खत्म करने के साथ ही अपने करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर रहमान की छवि को मिटाने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया. अंतरिम सरकार ने मुजीबुर रहमान की हत्या के उपलक्ष्य में 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश भी रद्द कर दिया है.

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