अब मामला इतना सीधा नहीं, क्या भारत से टकराव के मूड में आ चुका है बांग्लादेश

बांग्लादेश में इस्कॉन प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का मुद्दा गरमाता जा रहा है। सवाल ये भी है क्या केयर टेकर पीएम मोहम्मद युनूस भारत से पंगा ले रहे हैं।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-27 09:04 GMT

India Bangladesh Relation: 53 साल से भारत औक बांग्लादेश के रिश्ते कमोबेश सौहार्दपूर्ण रहे हैं। बेगम खालिदा जिया के शासनकाल में उतार चढ़ाव का दौर देखने को मिलता रहा है। लेकिन जब से मोहम्मद युनूस केयरटेकर पीएम बने हैं उसके बाद से संबंधों खराब होते जा रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदू समाज को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन युनूस की सरकार रेडीमेड जवाब देती है कि हम सबकी सुरक्षा के लिए फिक्रमंद हैं। लेकिन जमीन पर नतीजा नहीं दिख रहा है। ताजा मामला इस्कॉन प्रमुख स्वामी चिन्मय कृष्ण दास (चिन्मय प्रभु)की गिरफ्तारी से जुड़ा हुआ है।

विदेश मंत्रालय द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाकर की गई घटनाओं को "दुर्भाग्यपूर्ण" करार दिए जाने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है, वहीं कांग्रेस ने पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने असुरक्षा के माहौल और हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता व्यक्त की।एक बयान में पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उम्मीद करती है कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर आवश्यक कदम उठाने और देश में अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाएगी।उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने असुरक्षा के माहौल पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करती है। इस्कॉन भिक्षु की गिरफ्तारी इसका ताजा उदाहरण है।

दास को जमानत नहीं मिली

मंगलवार को सुरक्षाकर्मियों और दास के समर्थकों के बीच झड़प के दौरान एक वकील की मौत हो गई, जिन्हें बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगाँव की एक अदालत ने राजद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था और जेल भेज दिया था। दास, बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता हैं, उन्हें एक दिन पहले ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था।भारत ने मंगलवार को हिंदू नेता की गिरफ्तारी और जमानत देने से इनकार करने पर गहरी चिंता व्यक्त की और पड़ोसी देश के अधिकारियों से हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समूहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

बांग्लादेश ने विदेश मंत्रालय के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह निराधार है और दोनों देशों के बीच मित्रता की भावना के विपरीत है।अपने बयान में, ढाका ने कहा कि वह देश की न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं करता है, जो पूरी तरह से स्वतंत्र है।

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