Bangladesh Violence: छात्र नेताओं ने बातचीत से किया इनकार, तो पीएम ने उठाया ये कदम

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार रात विश्वविद्यालय के कुलपतियों और कॉलेज प्राचार्यों के साथ एक आपात बैठक बुलाई.

Update: 2024-08-04 02:28 GMT

Bangladesh Quota Protest: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शनिवार रात विश्वविद्यालय के कुलपतियों और कॉलेज प्राचार्यों के साथ एक आपात बैठक बुलाई. क्योंकि छात्र आंदोलन के नेताओं ने बातचीत के लिए निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया और उनके इस्तीफे की मांग की. बता दें कि आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों में 200 से अधिक लोगों की मौत के कुछ दिनों बाद तनाव बढ़ गया है.

बांग्लादेश में हाल ही में पुलिस और मुख्यतः छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जो विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था. प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने गणभवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) में सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वरिष्ठ शिक्षकों और कॉलेज प्राचार्यों के साथ विचारों के आदान-प्रदान की बैठक की.

उन्होंने कोई विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि बैठक में छात्रों के अभियान से उत्पन्न समग्र स्थिति और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की गई. जबकि शिक्षकों ने छात्रों को बुरी ताकतों के चंगुल से बचाने के लिए एकजुट होकर काम करने की शपथ ली. लगभग तीन घंटे की बैठक रात करीब 8:15 बजे (भारतीय मानक समयानुसार) शुरू हुई, जिसके बाद हजारों छात्र, उनके अभिभावक और आम लोग सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर हुई हत्याओं और सामूहिक गिरफ्तारियों के खिलाफ ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में एक विशाल विरोध रैली में शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाए. कुछ ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की. जबकि कई अन्य प्रमुख शहरों में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन हुए और छिटपुट झड़पों की खबरें भी आईं.

प्रदर्शनकारी नेताओं ने रविवार से सम्पूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया और अधिकारियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से सरकार के बजाय उनके साथ खड़े होने को कहा. सरकारी नेताओं ने पहले कहा था कि छात्रों के शांतिपूर्ण अभियान को कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उनके छात्र मोर्चे इस्लामी छात्र शिबिर ने हाईजैक कर लिया है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी का समर्थन प्राप्त है. शुक्रवार को एक कार्यकारी आदेश में सरकार ने जमात और उसके अग्रणी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया.

रैली में मुख्य विरोध समन्वयकों में से एक नाहिद इस्लाम ने कहा कि हम साफ शब्दों में कहना चाहते हैं - हमें इस बात की परवाह नहीं है कि (सत्तारूढ़) अवामी लीग, (संसद के बाहर मुख्य विपक्षी दल) बीएनपी या जमात कौन है. हमारा (छात्रों का) रिश्ता अटूट है. उन्होंने उनके न्यायोचित अभियान को दबाने के लिए मौजूदा सरकार की दमनकारी भूमिका को फासीवादी कहा और घोषणा की कि छात्र सभी हितधारकों के साथ परामर्श के बाद भविष्य के बांग्लादेश का राष्ट्रीय ढांचा प्रस्तुत करेंगे. हम सरकार और फासीवादी शासन के खात्मे की घोषणा करते हैं. इसलिए हम छात्रों के विद्रोह का आह्वान करते हैं. हम एक ऐसा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं, जहां निरंकुशता कभी वापस न आए. हमारी एकमात्र मांग शेख हसीना सहित इस सरकार का इस्तीफ़ा और फासीवाद का अंत है.

उन्होंने कहा कि सरकार अब कहती है कि गणभवन के दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं. हमारा मानना है कि वह (शेख हसीना) पहले ही समझ चुकी हैं कि गणभवन के दरवाजे खुले रहने चाहिए. हम शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हैं, जिसमें पूरा मंत्रिमंडल भी शामिल है. उन्हें न केवल इस्तीफा देना चाहिए, बल्कि देश में हुई सभी हत्याओं और गायबियों के लिए उन्हें न्याय के कटघरे में भी लाया जाना चाहिए. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने राजधानी के प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात बाधित हो गया, जबकि पुलिस और अर्धसैनिक बल निगरानी कर रहे थे.

भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों ने अपनी एक सूत्री मांग की घोषणा की और सभी विश्वविद्यालय छात्रावासों को पुनः खोलने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया. क्योंकि अधिकारियों ने सड़कों पर चल रहे अभियान को रोकने के लिए सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का आदेश दिया था. इससे पहले प्राधिकारियों ने देशव्यापी कर्फ्यू लागू करते हुए सेना के जवानों को बुला लिया था. क्योंकि अर्धसैनिक बल बीजीबी स्थिति से निपटने में पुलिस की सहायता करने में अपर्याप्त दिखाई दे रहा था.

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