133 मौत के बाद शूट एट साइट ऑर्डर, क्या इस वजह से बिगड़ा बांग्लादेश का माहौल

बांग्लादेश के इतिहास में यब सबसे बड़ा छात्रों का प्रदर्शन बताया जा रहा है. शेख हसीना सरकार ने अब को शूट एट साइट का भी ऑर्डर दे दिया है.;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-21 06:47 GMT
133 मौत के बाद शूट एट साइट ऑर्डर, क्या इस वजह से बिगड़ा बांग्लादेश का माहौल
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Bangladesh Students Protest:  सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर बवाल भड़का हुआ है. अब तक 133 लोगों की मौत हो चुकी है।  हालात बेकाबू हैं। तनाव भरे माहौल से भारतीय छात्रों को निकाला जा रहा है. अब शेख हसीना सरकार ने बलवाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। लेकिन यहां हम समझने की कोशिश करेंगे कि ढाका के यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ मामला इतना हिंसक कैसे हो गया। क्या शेख हसीना का रजाकार और पाकिस्तान से तुलना वाला बयान भारी पड़ रहा है। दरअसल पीएम शेख हसीना ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं दरअसल वो उन लोगों की तरह हैं जिन्होंने 1971 की लड़ाई में पश्चिम पाकिस्तान का सहयोग किया था। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है
नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले बांग्लादेश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया है बांग्लादेश का सर्वोच्च न्यायालय रविवार (21 जुलाई) को यह तय करेगा कि सिविल सेवा नौकरी कोटा खत्म किया जाए या नहीं। पिछले महीने उच्च न्यायालय ने कोटा प्रणाली को बहाल कर दिया था, जिसमें 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों और दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था।

विरोध प्रदर्शन क्यों शुरू हो गए?

छात्रों ने आरक्षण को खत्म करने की मांग करते हुए इस आदेश की निंदा की है। उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचाती है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था, और वे चाहते हैं कि इसकी जगह योग्यता आधारित व्यवस्था लाई जाए।हसीना ने कोटा प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में अपने योगदान के लिए दिग्गजों को सर्वोच्च सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।

विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में अब तक 133 लोग मारे जा चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसरों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब पूरे देश में फैल चुका है।शेख हसीना सरकार ने कर्फ्यू लगा दिया है, तथा सभी सार्वजनिक और निजी शैक्षणिक संस्थान भी बंद कर दिए गए हैं।

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