सीमा पर सैन्यीकरण ख़त्म होने के बाद चीन के साथ संबंध हो सकते हैं सामान्य : जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों ने भारत-चीन संबंधों के "संपूर्ण" स्वरूप को प्रभावित किया है.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-09-12 13:59 GMT
Indo China Relations : गलवान घाटी में हुई झड़पों ने भारत-चीन संबंधों की ‘‘समग्रता’’ को प्रभावित किया है. ये बात देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में कही. भारत ने कहा कि चीन के साथ "सैन्य वापसी की 75 प्रतिशत समस्याएं" समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन विवादित सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण के समाप्त होने के बाद ही बीजिंग के साथ संबंध सामान्य हो सकते हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार (12 सितंबर) को कहा कि सीमा पर हिंसा हो और फिर यह न कहा जाए कि बाकी रिश्ते इससे अछूते हैं. वो जिनेवा सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी में एक इंटरैक्टिव सत्र में भाग ले रहे थे.
सीमा विवाद पर वार्ता
जयशंकर ने कहा कि जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों ने भारत-चीन संबंधों की ‘‘समग्रता’’ को प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि इस लंबित समस्या का समाधान ढूंढने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा, "अब वार्ता चल रही है. हमने कुछ प्रगति की है. मैं मोटे तौर पर कह सकता हूं कि लगभग 75 प्रतिशत विघटन संबंधी समस्याएं सुलझ गई हैं."
सीमा पर सैन्यीकरण
लेकिन जयशंकर ने कहा कि यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि चीन और भारत दोनों ने अपनी सेनाओं को करीब ला दिया है और इस लिहाज से सीमा का सैन्यीकरण हो रहा है. उन्होंने कहा, "इससे कैसे निपटा जाए? मुझे लगता है कि हमें इससे निपटना होगा. इस बीच, झड़प के बाद, इसने पूरे रिश्ते को प्रभावित किया है, क्योंकि आप सीमा पर हिंसा होने के बाद यह नहीं कह सकते कि बाकी रिश्ते इससे अछूते हैं." मंत्री ने संकेत दिया कि यदि विवाद का समाधान हो जाए तो द्विपक्षीय संबंध बेहतर हो सकते हैं.
In conversation with Ambassador Jean-David Levitte at Geneva Centre for Security Policy.@TheGCSP https://t.co/IwrXnkpaSo
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 12, 2024
जयशंकर ने इसे 'जटिल' संबंध बताया
"हमें उम्मीद है कि यदि सैनिकों की वापसी का कोई समाधान निकलता है और शांति एवं सौहार्द वापस लौटता है, तो हम अन्य संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं." भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से वापसी पूरी कर ली है. भारत-चीन संबंधों को "जटिल" बताते हुए जयशंकर ने कहा कि 1980 के दशक के अंत में इस धारणा के साथ संबंध सामान्य हो गए थे कि सीमा पर शांति होगी.
जयशंकर ने चीन को दोषी ठहराया
जयशंकर के मुताबिक "1988 में जब हालात बेहतर होने लगे तो हमने कई समझौते किए जिससे सीमा पर स्थिरता आई. 2020 में जो कुछ हुआ वह कुछ कारणों से कई समझौतों का उल्लंघन था जो अभी भी हमारे लिए पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं; हम इस पर अटकलें लगा सकते हैं. उन्होंने कहा, "चीन ने वास्तव में सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बहुत बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया और स्वाभाविक रूप से जवाब में, हमने भी अपने सैनिकों को वहां तैनात कर दिया. यह हमारे लिए बहुत कठिन था क्योंकि हम उस समय कोविड लॉकडाउन के बीच में थे."
कानूनी रूप से सीमा निर्धारित नहीं
"अब हम सीधे तौर पर देख सकते थे कि यह एक बहुत ही खतरनाक घटनाक्रम था, क्योंकि इन अत्यधिक ऊंचाइयों पर बड़ी संख्या में सैनिकों की उपस्थिति और इतनी अधिक ठंड के कारण दुर्घटना हो सकती थी. उन्होंने गलवान घाटी में हुई झड़पों का जिक्र करते हुए कहा, “और जून 2022 में ठीक यही हुआ.”
मंत्री ने कहा, "हम करीब चार वर्षों से बातचीत कर रहे हैं और इसका पहला कदम वह है जिसे हम पीछे हटना कहते हैं, जिसके तहत उनके सैनिक अपने सामान्य संचालन ठिकानों पर वापस जाएंगे और हमारे सैनिक अपने सामान्य संचालन ठिकानों पर वापस जाएंगे और जहां आवश्यक होगा, वहां गश्त के बारे में हमारी व्यवस्था है क्योंकि हम दोनों उस सीमा पर नियमित रूप से गश्त करते हैं, जैसा कि मैंने कहा कि यह कानूनी रूप से निर्धारित सीमा नहीं है."
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)