यूएस में निशाने पर खेती-किसानी, चीन से फंगस लाने की साजिश बेनकाब
दो चीनी नागरिकों पर अमेरिका में जहरीला फंगस तस्करी कर फसलों को नष्ट करने और जैविक हमला करने की साजिश रचने का आरोप लगा है। एफबीआई इस मामले की जांच कर रही है।;
अमेरिका ने दो चीनी नागरिकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने एक जहरीले फंगस (फ्यूसेरियम ग्रामिनेरम) को अमेरिका में अवैध रूप से लाकर वहां की कृषि प्रणाली को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची। यह फंगस अनाज, पशुओं और इंसानों को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है।
एफबीआई और अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिक झुनयोंग लियू (34) पिछले साल अपने बैग में यह फंगस छिपाकर अमेरिका लाया था। वह और उसकी प्रेमिका जियांग युनकिंग जो मिशिगन विश्वविद्यालय के लैब में काम करती थी। दोनों पर षड्यंत्र, तस्करी, झूठे बयान और वीज़ा धोखाधड़ी का आरोप लगा है। जांच में यह भी सामने आया कि जियांग को चीन सरकार से इस फंगस पर शोध के लिए फंडिंग मिली थी।
एग्रो-टेररिज्म का नया चेहरा
यह मामला वैश्विक स्तर पर एक खतरनाक चलन की ओर इशारा करता है — एग्रो-टेररिज्म, यानी कृषि और खाद्य आपूर्ति को निशाना बनाकर आतंक फैलाना। इंटरपोल के अनुसार, यह रणनीति न केवल आर्थिक तबाही मचाने के लिए इस्तेमाल होती है बल्कि जनता के मन में डर और अविश्वास पैदा करने के लिए भी की जाती है।
एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह फंगस गेहूं, चावल, मक्का, जौ जैसी फसलों को नष्ट करने में सक्षम है और इसके ज़रिए मनुष्यों में उल्टी, लीवर डैमेज और प्रजनन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अमेरिका के न्याय विभाग ने इसे "संभावित जैविक हथियार" करार दिया है।
भारत के लिए भी भारी खतरा
भारत जैसी कृषि आधारित अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है। भारत के पंजाब, राजस्थान और हिमाचल जैसे राज्य, जो पाकिस्तान और चीन की सीमा से सटे हैं, एग्रो-टेररिज्म के लिहाज़ से विशेष रूप से संवेदनशील हैं।2016 में DRDO की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि बांग्लादेश से आया एक जहरीला फंगस पश्चिम बंगाल के दो जिलों में पाया गया था, जिसे फैलने से रोकने के लिए तीन साल तक गेहूं की खेती पर रोक लगानी पड़ी थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने ब्रिटेन की आलू फसल बर्बाद करने के लिए कोलोराडो बीटल गिराए थे। अमेरिका ने भी जापान के खिलाफ गेहूं रस्ट स्पोर जैसे फफूंद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी।
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अभी तक किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर गैर-मानव लक्ष्यों पर जैविक हमलों के लिए स्पष्ट कानूनी ढांचा नहीं है। इस कारण अपराधियों को सजा दिलाना मुश्किल हो जाता है।