सीमा विवाद से निपटने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार: चीनी विदेश मंत्री

चीनी विदेश मंत्री ने लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के बीच मुद्दों को ठीक से संभालने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जाहिर की है.

Update: 2024-07-10 17:28 GMT

China India Border Dispute: चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्थिति से संबंधित मुद्दों को ठीक से संभालने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ हाथ मिलाने की इच्छा व्यक्त की है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और भारत-चीन सीमा मुद्दे के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में डोभाल की पुनर्नियुक्ति पर उन्हें दिए गए बधाई संदेश में वांग ने कहा कि चीन और भारत के बीच संबंध द्विपक्षीय सीमाओं से परे हैं और इनका वैश्विक महत्व बढ़ता जा रहा है.

विदेश मंत्री होने के अलावा वांग भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र में चीन के विशेष प्रतिनिधि भी हैं. मंगलवार को डोभाल को भेजे अपने संदेश में वांग ने कहा कि दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले विकासशील देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में चीन और भारत के बीच ऐसे संबंध हैं, जो द्विपक्षीय सीमाओं से परे हैं और जिनका वैश्विक महत्व बढ़ता जा रहा है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, वांग ने कहा कि वह दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी हालात से संबंधित मुद्दों को उचित तरीके से संभालने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द की संयुक्त रूप से रक्षा करने के लिए डोभाल के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं.

वांग का यह संदेश कजाकिस्तान के अस्थाना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी हालिया बैठक के बाद आया है. भारत में हाल ही में हुए आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीसरी सरकार के गठन के बाद यह भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक थी. भारत-चीन सीमा के 3,488 किलोमीटर लंबे जटिल विवाद को व्यापक रूप से सुलझाने के लिए साल 2003 में गठित विशेष प्रतिनिधि तंत्र का नेतृत्व भारत के एनएसए और चीनी विदेश मंत्री करते हैं. इसकी 19 बार बैठकें हुईं. लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि यह दोनों देशों के बीच बार-बार उत्पन्न होने वाले तनाव को दूर करने में बहुत उपयोगी और सुविधाजनक साबित हुई.

बता दें कि 5 मई 2020 को गलवान के पास पैंगोंग त्सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध व्यापार को छोड़कर नए निम्न स्तर पर पहुंच गए. मई 2020 की झड़पों के बाद से दोनों पक्षों ने गतिरोध को हल करने के लिए अब तक कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 21 दौर आयोजित किए हैं. 22वीं बैठक होने वाली है. चीनी सेना के अनुसार, दोनों पक्ष अब तक पूर्वी लद्दाख में चार बिंदुओं, अर्थात् गैलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानन दबान (गोगरा) से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं.

भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से पीछे हटने के लिए दबाव डाल रहा है और उसका कहना है कि जब तक सीमा पर स्थिति असामान्य बनी रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती है. वहीं, दूसरी तरफ चीन का कहना है कि सीमा का प्रश्न चीन-भारत संबंधों की सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए तथा उचित ढंग से मैनेज किया जाना चाहिए.

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