ट्रंप 2.0 दुनिया पर डालेगा क्या असर? क्या भारतीय फार्मा कंपनियों को मिल सकता है फायदा

ट्रंप 2.0 एजेंडा दवा निर्माण और सप्लाई चैन के लिए चीन प्लस 1 रणनीति पर केंद्रित रहेगा. इससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए एक तरह का अवसर पैदा हो सकता है.

Update: 2024-11-19 09:54 GMT

Trump 2.0 administration: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं और अगले साल की शुरुआत में व्हाइट हाऊस में जाने के लिए शपथ ले सकते हैं. ऐसे में पूरी दुनिया की निगाहें ट्रंप के अगले कार्यकाल पर लगी हुई हैं कि उनका प्रशासन किस तरह के फैसले लेगा. हालांकि, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ट्रंप 2.0 एजेंडा दवा निर्माण और सप्लाई चैन के लिए चीन प्लस 1 रणनीति पर केंद्रित रहेगा. इससे भारतीय दवा कंपनियों के लिए एक तरह का अवसर पैदा हो सकता है. इसके अलावा चीनी वस्तुओं पर हाई टैरिफ भारतीय फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिकी जेनेरिक दवा बाजार में आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए नए रास्ते खोल सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका भारतीय फार्मा के लिए एक प्रमुख बाजार बना हुआ है, जो कुल बिक्री का लगभग 30% और मात्रा बाजार हिस्सेदारी का 40% है. शुल्क संरचनाओं और व्यापक भू-राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव से जुड़े संभावित जोखिम हैं. लेकिन वैश्विक जेनेरिक दवा बाजार में भारत की स्थापित ताकत इसे अमेरिकी व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला रणनीतियों में बदलाव से लाभान्वित करने की अच्छी स्थिति में रखती है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले ट्रंप प्रशासन के 'अमेरिका फर्स्ट', कम टैक्स और महंगाई को कम करने के एजेंडे को देखते हुए भारतीय कंपनियों को बायोसिक्योर एक्ट, संभावित मूल्य निर्धारण दबावों और विनिर्माण के आसपास संभावित स्थानीयकरण नियमों को देखते हुए आपूर्ति श्रृंखला में अवसरों की तलाश करनी चाहिए.

हालांकि, अगले कुछ हफ्तों में दूसरे कार्यकाल के लिए ट्रंप का एजेंडा स्पष्ट हो जाएगा. लेकिन उनके पिछले राष्ट्रपति पद से कुछ प्रमुख विषय उभरे हैं, जिनमें 'अमेरिका फर्स्ट' व्यापार नीति, संरक्षणवाद और विदेशी आयातों पर निर्भरता कम करना शामिल है, खासकर चीन से.

भारतीय फार्मा कंपनियों ने पहले ही स्थापित वैश्विक फार्मा प्रमुखों से अनुबंध निर्माण के अवसरों में काफी वृद्धि देखी है. प्रस्तावित यूएस बायोसिक्योर एक्ट भारतीय सीडीएमओ (अनुबंध विकास और विनिर्माण संगठन) को लाभान्वित कर सकता है. इन कंपनियों द्वारा मांग को भुनाने के लिए विनियामक रूप से अनुपालन करने वाली विनिर्माण सुविधाओं और उन्नत प्रौद्योगिकियों में और निवेश करने की भी संभावना है. इससे अमेरिका स्थित इनोवेटर फार्मा कंपनियों के साथ रणनीतिक गठजोड़ के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे. वहीं, अगर अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर 10% टैरिफ लागू होता है तो यह भारतीय फार्मा निर्यात-उन्मुख कंपनियों के लिए नकारात्मक होगाय. कुल मिलाकर, भले ही थोड़ा व्यवधान हो, चीन प्लस 1 रणनीति और यूएस बायोसिक्योर एक्ट मध्यम अवधि में भारतीय फार्मा कंपनियों को बड़ा लाभ प्रदान करेगा.

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