भारतीय छात्रों को कनाडा में अनिवार्य फ्रेंच परीक्षा पर एतराज, स्थानीय लोग बोले, 'भारत वापस जाओ'

कनाडा के क्यूबेक में डिग्री के लिए अनिवार्य फ्रेंच परीक्षा का विरोध कर रहे भारतीय छात्रों को स्थानीय लोगों की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है।;

Update: 2025-05-28 13:49 GMT
कनाडा के क्यूबेक में भारतीय छात्रों ने एक सामूहिक वीडियो के जरिये अनिवार्य फ्रेंच परीक्षाओं का विरोध किया। (Instagram/@frenchwithfairness)

कनाडा के क्यूबेक में पढ़ रहे भारतीय छात्रों ने डिग्री हासिल करने के लिए अनिवार्य फ्रेंच भाषा परीक्षा का विरोध किया, जिसके चलते उन्हें स्थानीय लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में छात्र, जिनके चेहरे धुंधले किए गए हैं, यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि उन्हें फ्रेंच परीक्षा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि यह डिग्री और पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट पाने के लिए अनिवार्य है।

यह वीडियो 'French With Fairness' नामक इंस्टाग्राम पेज पर साझा किया गया था, जिसे स्थानीय क्यूबेकवासियों (या फ्रेंच में "Québécois") ने नकारात्मक रूप से लिया। कई नाराज़ स्थानीय लोगों ने इन अंतरराष्ट्रीय छात्रों से कहा कि अगर वे देश की भाषा नहीं सीख सकते, तो उन्हें भारत वापस लौट जाना चाहिए।

कनाडा की आधिकारिक भाषा क्या है?

कनाडा की दो आधिकारिक भाषाएँ हैं – अंग्रेज़ी और फ्रेंच। कनाडा में फ्रेंच मुख्यतः क्यूबेक प्रांत में बोली जाती है। यह पूर्वी कनाडा का एक प्रांत है, जो अपनी समृद्ध फ्रेंच विरासत और विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है।

17वीं सदी की शुरुआत में फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों ने इस क्षेत्र को बसाया था। हालांकि बाद में यह ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया, लेकिन क्यूबेक ने फ्रेंच भाषा और सिविल लॉ परंपराओं को बनाए रखा।

भारतीय छात्र फ्रेंच परीक्षा का विरोध क्यों कर रहे हैं?

क्यूबेक के सबसे बड़े शहर मॉन्ट्रियल में भारतीय छात्रों ने कई वीडियो साझा किए हैं, जिनमें उन्होंने कहा है कि उन्हें फ्रेंच परीक्षा पास करने के लिए जबरन मजबूर किया जा रहा है। परीक्षा में असफल होने पर उन्हें डिग्री नहीं मिलेगी।

छात्रों ने दावा किया कि उनका विरोध फ्रेंच भाषा सीखने से नहीं है, बल्कि Bill 96 के कारण पैदा हुए डर और अनिश्चितता से है।

क्या है Bill 96?

बिल 96 एक कानून है जो 2022 में क्यूबेक में पारित हुआ था। इसका उद्देश्य प्रांत में फ्रेंच भाषा के उपयोग को मजबूत करना है। यह कानून क्यूबेक की फ्रेंच भाषा की संहिता (Charter of the French Language) में संशोधन करता है और शिक्षा, व्यापार, सार्वजनिक सेवाओं और कार्यस्थलों में फ्रेंच को अनिवार्य बनाता है।

भारतीय छात्रों का क्या कहना है?

एक वायरल वीडियो में छात्रों ने कहा कि मॉन्ट्रियल के उनके कॉलेजों में डिग्री पाने से पहले फ्रेंच परीक्षा पास करना ज़रूरी कर दिया गया है। लेकिन यही नियम McGill और Concordia जैसे अन्य विश्वविद्यालयों पर लागू नहीं होता, जबकि ये भी मॉन्ट्रियल में स्थित हैं।

छात्रों ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “हमें मजबूर किया जा रहा है। हमारे कॉलेज के सभी छात्र बोल रहे हैं – फ्रेंच भाषा के खिलाफ नहीं, बल्कि उस दबाव, डर और अनिश्चितता के खिलाफ जो बिल 96 के कारण पैदा हुआ है।”

“हम यहां अपने प्रोग्राम पढ़ने आए हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है: फ्रेंच नहीं सीखी, तो डिग्री नहीं मिलेगी।”

“हम फ्रेंच सीखने से इनकार नहीं कर रहे, हम समय, सहयोग और सबसे ज़रूरी… न्याय की मांग कर रहे हैं।”

इंटरनेट पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया रही?

वीडियो पर ज्यादातर टिप्पणियाँ नकारात्मक थीं। एक इंस्टाग्राम यूज़र ने लिखा: “इन्होंने मॉन्ट्रियल चुना, जो कनाडा के स्वायत्त प्रांत क्यूबेक का हिस्सा है जहां फ्रेंच आधिकारिक भाषा है। अगर छात्र यहां की भाषा नहीं बोल सकते, तो उन्हें PGWP क्यों दिया जाए?”

PGWP (Post Graduate Work Permit) अंतरराष्ट्रीय छात्रों को कनाडा में कार्य अनुभव हासिल करने के लिए आवश्यक वर्क परमिट है।

एक अन्य ने कहा, “अगर तुम क्यूबेक आए हो, तो फ्रेंच सीखो। ये बहुत सीधी सी बात है।” एक यूज़र ने जोड़ा,  “क्या तुम इंग्लैंड जाकर उनसे यह उम्मीद करते हो कि वे तुमसे अंग्रेजी बोलने को न कहें? अंतरराष्ट्रीय छात्र बनने से पहले तुम्हें उस जगह के बारे में पता करना चाहिए, उसकी संस्कृति, जीवनयापन की लागत और भाषा।”

एक अन्य ने तीखी टिप्पणी की, “अगर तुम फ्रेंच नहीं सीखना चाहते, तो भारत वापस जाओ। यही यहां की भाषा और संस्कृति है। सिर्फ इसलिए कि तुम मेहनत नहीं करना चाहते, इसका मतलब यह नहीं कि कोई तुम्हें रियायत देगा।”

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