अमेरिकी सहायता पर रोक के बीच जर्मनी में सैन्य शक्ति का उदय! यूरोप में खुद को साबित करने की कवायद

Germany military power: यूरोप को अपने सांस्कृतिक धरोहर, सैन्य शक्ति और राजनीतिक नजरिए को संतुलित करने की जरूरत है, जिससे कि वह एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सके.;

Update: 2025-03-17 10:48 GMT

Germany establish as central player in Europe: जब से डोनाल्ड ट्रंप दूसरी दफा अमेरिका की सत्ता पर काबिज हुए हैं. वैश्चिक व्यवस्था काफी बदल गई है. रूस के साथ जंग को लेकर पिछले दिनों व्हाइट हाऊस में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रंप के बीच तनातनी देखने को मिली थी. इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन को लेकर अमेरिका की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी. ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका की गैरमौजूदगी में यूरोपीय सहयोगी यूक्रेन की मदद करने में सक्षम होंगे? वहीं, एक समय यूरोप में सबसे बड़ी ताकत रहा जर्मनी अब इस सवाल का जवाब तलाशने में जुट गया है.

यूरोप का वर्तमान और भविष्य दोनों ही अस्थिरता और राजनीतिक संघर्ष से गुजर रहे हैं. जर्मनी की सैन्य वृद्धि, दक्षिणपंथी राजनीति का उभार और ऐतिहासिक रूप से यहूदी विरोधी प्रतीकों का बने रहना यूरोप की संस्कृति और राजनीति के बीच गहरे संघर्षों को दर्शाता है. यूरोप को अपने सांस्कृतिक धरोहर, सैन्य शक्ति और राजनीतिक नजरिए को संतुलित करने की जरूरत है, जिससे कि वह एक स्थिर, शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सके. हालांकि, इसी बीच जर्मनी ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने का फैसला लिया है.

पिछले सप्ताह जर्मनी के कंजरवेटिव चांसलर फ्रेडरिक मर्स और उनके समाजवादी सहयोगियों ने दशकों पुराने उधारी पर बैन को खत्म कर दिया, जिससे देश की सैन्य शक्ति में आने वाले दिनों में इजाफा देखने को मिल सकता है. इसके साथ ही जर्मनी ने 545 अरब डॉलर का फंड भी पेश किया है. जो देश को यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और केंद्रीय भूमिका में दोबारा स्थापित करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है. इतना ही नहीं, पिछले दिनों पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने तंज कसते हुए कहा था कि 500 मिलियन यूरोपीय 300 मिलियन अमेरिकियों से सुरक्षा की भीख मांग रहे हैं. जबकि 140 मिलियन रूसी 50 मिलियन यूक्रेनी लोगों को तीन सालों से हरा नहीं कर पाए हैं.

जर्मनी में चरमपंथी ताकतों का उदय

हालिया चुनावों में जर्मनी में एक और चिंताजनक प्रवृत्ति उभर कर सामने आई है. जर्मनी के पांचवे हिस्से ने "अल्टरनेटिव फ्यूर डॉयच्लैंड" (AfD) जैसे नाजी विचारधारा से प्रेरित दल को समर्थन दिया. जो जर्मनी को यूरोपीय संघ से बाहर करने की मांग करता है. इसके साथ ही जर्मनी की राजनीति में सेल्फ डिफेंस के लिए प्रयोग होने वाली शब्दावली भी बदल गई है. अब यह देश सेल्फ डिफेंस की जगह जंग के लिए तैयार रहने वाले वाक्य को अपना रहा है. हालांकि, यह स्थिति जर्मनी की राजनीतिक धारा में एक खतरनाक मोड़ को दर्शाती है, जहां सैन्य शक्ति और युद्ध क्षमता को प्राथमिकता दी जा रही है. यहां सवाल उठता है कि क्या एक सैन्यीकृत यूरोप, जिसने दो विश्व युद्धों का सामना किया है, वास्तव में शांति बनाए रखने का एक प्रभावी साधन हो सकता है?

यूरोप का भविष्य

आज के यूरोपीय संदर्भ में सैन्य वृद्धि और राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह सवाल उठता है कि क्या यूरोप फिर से युद्ध और संघर्ष के रास्ते पर जाएगा या यह शांति की ओर अग्रसर होगा? जर्मनी के सैन्य पुनर्निर्माण और दक्षिणपंथी दलों के बढ़ते प्रभाव से यह संकेत मिल रहा है कि यूरोप के पास युद्ध की आशंकाओं से बचने का कोई स्थायी समाधान नहीं हो सकता है. यह एक नए युद्ध के खतरे को जन्म दे सकती है.

यूक्रेन को सहायता

एक जर्मन थिंक टैंक के अनुसार, अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को 123 अरब डॉलर की सहायता प्रदान की है, जबकि यूरोपीय देशों ने मिलकर कुल 142 अरब डॉलर की सहायता दी है. अमेरिका के मना करने के बाद फिलहाल यूरोपीय देशों ने सैन्य सहायता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप अमेरिकी सैन्य सहायता की जगह पूरी तरह नहीं ले सकता.

डिफेंस बजट

अमेर‍िका का साल 2023 में रक्षा बजट 850+ बिलियन डॉलर था. जो यूरोप के कुल रक्षा खर्च से कहीं अधिक है. इसका बजट NATO के कुल बजट का लगभग 70% है. वहीं, यूरोप के सभी देशों का डिफेंस बजट मिला ल‍िया जाए तो वह सिर्फ 300-350 बिलियन डॉलर के आसपास है. उसमें भी जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन सबसे अधिक रक्षा खर्च करते हैं. हालांक‍ि, रूस के हमले के बाद ये देश अपना रक्षा बजट बढ़ा रहे हैं. क्योंकि, इनके पास पैसों की कोई कमी नहीं है.

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