हार्वर्ड यूनिवर्सिटी: पाकिस्तान सम्मेलन पर विवाद, आपत्ति के बाद सफाई में उतरा संस्थान

Pakistan Conference: छात्रों ने कहा कि ऐसे देशों के प्रतिनिधियों को बुलाना, जो धार्मिक आधार पर नागरिकों को निशाना बनाने वाले संगठनों का समर्थन करते हैं, संस्थान की छवि को खराब कर सकता है.;

Update: 2025-04-29 17:17 GMT

Harvard University: भारतीय उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल द्वारा फंड किए जाने वाले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट (SAI) ने एक पाकिस्तान से जुड़े सम्मेलन से दूरी बना ली है. यह सम्मेलन रविवार को हुआ था. लेकिन इसके बाद कुछ भारतीय छात्रों के विरोध के कारण विवाद खड़ा हो गया.

हार्वर्ड के छात्रों सुरभि तोमर और अभिषेक चौधरी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर कहा कि हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को ऐसा मंच नहीं बनना चाहिए, जहां आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को सफाई देने का मौका मिले. यह पत्र उस समय सामने आया, जब हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी. छात्रों ने कहा कि ऐसे देशों के प्रतिनिधियों को बुलाना, जो धार्मिक आधार पर नागरिकों को निशाना बनाने वाले संगठनों का समर्थन करते हैं, अमेरिका जैसे देश और हार्वर्ड जैसे संस्थान की छवि को खराब कर सकता है. उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो को भी पत्र लिखकर इस पर कड़ी आपत्ति जताई.

कौन-कौन हुआ शामिल?

इस सम्मेलन में पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख जैसे अधिकारी शामिल हुए थे. छात्रों ने मांग की कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहलगाम हमले की निंदा करे, भारतीय और हिंदू छात्रों को मानसिक और संस्थागत समर्थन दे. हार्वर्ड साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के एक अधिकारी ने बताया कि यह सम्मेलन पाकिस्तानी छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था और संस्थान ने केवल “थोड़ी मदद” की थी. हालांकि, इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक हितेश हठी ने एक पैनल में हिस्सा लिया, जिसमें पाकिस्तानी इतिहासकार आयशा जलाल के साथ "आधुनिकता और इस्लाम" जैसे विषय पर चर्चा हुई. बाद में, संस्थान ने अपने वेबसाइट से इस सम्मेलन और संबंधित पैनल की जानकारी हटा दी.

छात्रों की तीखी प्रतिक्रिया

कुछ भारतीय छात्रों ने हार्वर्ड पर गुस्सा जताया. जबकि, कुछ ने पाकिस्तान का मजाक उड़ाते हुए कहा कि इतना कमजोर देश अब भारतीय पैसों से अपना सम्मेलन करवा रहा है. हालांकि, सम्मेलन पाकिस्तानी छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था. लेकिन यह साफ था कि इसका मकसद अमेरिका में पाकिस्तान की कमजोर होती शैक्षणिक छवि को सुधारना था.

वहीं, पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रभाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान को अब अपने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करना होगा. इस पर पाकिस्तानी राजदूत ने वादा किया कि वे अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में पाकिस्तानी स्टडी चेयर्स (जैसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी में कायदे आज़म चेयर) को दोबारा शुरू करने की कोशिश करेंगे.

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