भारतीय सेना का साहस बना भारत चीन का एलएसी समझौते का आधार : एस जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी समय लगेगा, लेकिन स्वाभाविक रूप से विश्वास और साथ मिलकर काम करने की इच्छा को फिर से बनाने में समय लगेगा.

Update: 2024-10-26 16:12 GMT

India China LAC Agreement : चीन के साथ एलएसी पर हुए समझौते को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सेना की सराहना करने के साथ साथ इस समझौते का श्रेय भी सेना को ही दिया. एस जय शानाक्र ने कहा कि सेना ने ‘‘बहुत ही अकल्पनीय’’ परिस्थितियों में काम किया और कुशल कूटनीति अपनाई. इसके साथ ही एस जयशंकर ने ये भी कहा कि अभी भरोसा कायम होने में समय लगेगा, जो स्वाभाविक है.


पुणे में छात्रों को संबोधित कर रहे थे जयशंकर
पुणे में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी कुछ समय लगेगा, स्वाभाविक रूप से विश्वास और साथ मिलकर काम करने की इच्छा को पुनः स्थापित करने में समय लगता है.
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कज़ान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, तो यह निर्णय लिया गया था कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और देखेंगे कि आगे कैसे बढ़ा जाए.

सेना की दृढ़ता और साहस बना समझौते का आधार 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "अगर आज हम उस जगह पर पहुंचे हैं, जहां हम हैं...तो इसका एक कारण हमारी ओर से अपनी जमीन पर अड़े रहने और अपनी बात रखने के लिए किए गए दृढ़ प्रयास हैं. सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में वहां (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया तथा कूटनीति ने अपना काम किया."

बुनियादी ढांचा हुआ मजबूत
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत ने अपने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है. समस्या का एक हिस्सा यह है कि पहले के वर्षों में सीमा पर बुनियादी ढांचे की वास्तव में उपेक्षा की गई थी.
उन्होंने कहा, "आज हम एक दशक पहले की तुलना में प्रतिवर्ष पांच गुना अधिक संसाधन लगा रहे हैं, जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं और सेना को वास्तव में प्रभावी ढंग से तैनात करने में सक्षम बना रहे हैं. इन (कारकों) के संयोजन के कारण ही यह आज यहां तक पहुंची है."
इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत ने घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त करने के लिए चीन के साथ समझौता कर लिया है, जो चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है.
जयशंकर के अनुसार 2020 से सीमा पर स्थिति बहुत खराब रही है, जिसका नकारात्मक असर समग्र संबंधों पर पड़ा है। सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ बातचीत कर रहा है कि कैसे समाधान निकाला जाए.

विदेश मंत्री ने कहा कि इस समाधान के विभिन्न पहलू हैं
एस जयशंकर के अनुसार सबसे ज़रूरी बात यह है कि सैनिकों को पीछे हटना होगा क्योंकि वे एक दूसरे के बहुत करीब हैं और कुछ होने की संभावना है. इसके बाद दोनों तरफ़ से सैनिकों की संख्या बढ़ने के कारण तनाव कम हो रहा है.
उन्होंने कहा, "इसके बाद एक बड़ा मुद्दा यह है कि आप सीमा का प्रबंधन कैसे करते हैं और सीमा समझौते पर बातचीत कैसे करते हैं. अभी जो कुछ भी हो रहा है वह पहले चरण से संबंधित है, जो कि सैनिकों की वापसी है."
उन्होंने कहा कि भारत और चीन 2020 के बाद कुछ स्थानों पर इस बात पर सहमत हुए कि सैनिक कैसे अपने ठिकानों पर लौटेंगे, लेकिन एक महत्वपूर्ण खंड गश्त से संबंधित था, विदेश मंत्री ने बताया.
जयशंकर ने कहा, "गश्त रोकी जा रही थी और हम पिछले दो सालों से इसी पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे थे. इसलिए 21 अक्टूबर को जो हुआ, वह यह था कि देपसांग और डेमचोक के उन खास इलाकों में हम इस समझौते पर पहुंचे कि गश्त पहले की तरह फिर से शुरू होगी."

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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