केरल की शिकायत; फिनलैंड का फैसला, पोलैंड में सनल एडामारुकु की गिरफ्तारी पर विवाद
सनल एडामारुकु की गिरफ्तारी ने भारतीय युक्तिवादी समुदाय में गंभीर चर्चा और विवाद उत्पन्न कर दिया है. यह मामला न केवल व्यक्तिगत आरोपों से संबंधित है, बल्कि युक्तिवादियों के खिलाफ बढ़ते दमन और अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रियाओं की जटिलताओं को भी उजागर करता है.;
हाल ही में भारतीय तर्कवादी, लेखक और धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ता सनल एडामारुकु को पोलैंड में गिरफ्तार किया गया है. यह गिरफ्तारी भारतीय अधिकारियों द्वारा इंटरपोल के माध्यम से जारी रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर हुई है. इसने भारतीय तर्कवादी समुदाय में विवाद और मतभेद उत्पन्न कर दिए हैं.
सनल एडामारुकु कौन हैं?
सनल एडामारुकु का जन्म 1955 में केरल के थोडुपुझा में हुआ था. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. वे रैशनलिस्ट इंटरनेशनल के संस्थापक और भारतीय रैशनलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष है. उन्होंने 25 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं और 60 से अधिक देशों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और धर्मनिरपेक्षता का प्रचार किया है.
गिरफ्तारी का कारण
साल 2015 से 2017 के बीच, केरल की एक महिला कार्यकर्ता प्रमीला देवी ने आरोप लगाया कि सनल एडामारुकु ने उन्हें फिनलैंड में छात्र वीजा, कार्य परमिट और नौकरी का वादा कर ₹15.25 लाख (लगभग €21,000) की राशि ली. जब वादा पूरा नहीं हुआ तो उन्होंने भारत और फिनलैंड में शिकायत की. फिनलैंड की अदालत ने सनल एडामारुकु को गंभीर गबन का दोषी ठहराया. क्योंकि उन्होंने जानबूझकर प्राप्त धन का उद्देश्य पूरा नहीं किया. उन्हें छह महीने की सशर्त सजा और €21,000 की राशि ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया गया.
विवाद और प्रतिक्रिया
सनल एडामारुकु की गिरफ्तारी के बाद, उनकी संगठन रैशनलिस्ट इंटरनेशनल ने इसे "राजनीतिक उत्पीड़न" करार दिया है. उनका कहना है कि यह गिरफ्तारी भारत में तर्कवादियों के खिलाफ बढ़ते दमन का हिस्सा है.हालांकि, भारतीय तर्कवादी समुदाय में इस पर मतभेद है. कुछ लोग सनल एडामारुकु का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं.
भारत और फिनलैंड के बीच कानूनी जटिलता
प्रमीला देवी ने बताया कि उन्हें फिनलैंड की अदालत से मुआवजा मिलने की उम्मीद थी. लेकिन अब उन्हें संदेह है कि उनका मामला भारत में कैसे समाप्त होगा. पुलिस ने उन्हें बताया कि प्रत्यर्पण केवल भारत के लिए होगा, फिनलैंड के लिए नहीं.