चीन का दावा पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी सहित 4 स्थानों से सैनिक पीछे हटे
1962 में सीमा युद्ध लड़ चुके दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से रिश्ते लगभग ठंडे पड़े हैं
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-09-14 09:49 GMT
Indo-China Relations : भारत के लिए चीन से कूटनीतिक जीत की खबर आई है. बीजिंग ने कहा है कि भारत की सीमा से लगे अशांत पूर्वी लद्दाख के चार स्थानों से चीनी सैनिक पीछे हट गए हैं. साथ ही, दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने पर सहमत हुए हैं. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी सहित चार स्थानों से पीछे हट गए हैं, जहां 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में कहा कि सीमा पर स्थिति सामान्यतः स्थिर एवं नियंत्रण में है.
रूस में वार्ता
माओ ने कहा कि भारत और चीन ने रूस में हुई बैठक में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए परिस्थितियां बनाने हेतु मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी. 12 सितंबर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सेंट पीटर्सबर्ग में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की. डोभाल और वांग भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं. माओ ने कहा कि उन्होंने सीमा मुद्दों पर वार्ता के दौरान हुई प्रगति पर चर्चा की तथा दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को क्रियान्वित करने पर सहमति व्यक्त की.
गलवान घाटी
दोनों देशों के बीच 1962 में भयंकर सीमा युद्ध हुआ था और पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण पिछले चार वर्षों से भी अधिक समय से इनके बीच संबंध लगभग ठंडे पड़े हुए हैं. इस बारे में पूछे जाने पर माओ ने कहा: "हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति की सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में गलवान घाटी सहित चार क्षेत्रों में पीछे हटने का एहसास किया है. चीन-भारत सीमा की स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है."
जयशंकर ने चीन-भारत संबंधों पर बात की
यह टिप्पणी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान के एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन के साथ “विघटन समस्याओं” का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है. उन्होंने जिनेवा में एक थिंक टैंक को यह भी बताया कि सीमा पर हिंसा होने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि शेष संबंध इससे अछूते हैं. डोभाल-वांग वार्ता के बाद भारत ने कहा कि उम्मीद है कि चर्चा से भारत और चीन को विभाजित करने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों का शीघ्र समाधान हो जाएगा.