मुहारेब घोषित हुए ट्रंप और नेतन्याहू, ईरानी धर्मगुरु ने दी खुली चेतावनी

ईरान के प्रमुख शिया धर्मगुरु आयतुल्ला नासेर मकारेम शीराज़ी ने डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू को ईश्वर का दुश्मन घोषित करते हुए फतवा जारी किया है।;

Update: 2025-06-30 02:34 GMT

ईरान के प्रमुख शिया धर्मगुरु ग्रैंड आयतुल्ला नासेर मकारेम शीराज़ी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक फतवा जारी किया है। इस धार्मिक आदेश में दोनों नेताओं को ईश्वर का शत्रु कहा गया है और दुनियाभर के मुसलमानों से उन्हें नीचा दिखाने और उनके खिलाफ एकजुट होने की अपील की गई है।

फतवे में क्या कहा गया?

ईरानी समाचार एजेंसी मेहर के अनुसार, आयतुल्ला मकारेम शीराज़ी ने फतवे में लिखा जो भी व्यक्ति या शासन ईरान के सर्वोच्च नेता या मरजा (धार्मिक मार्गदर्शक) को धमकाता है, वह मुहारेब अर्थात् ईश्वर से युद्ध करने वाला माना जाएगा। ईरानी कानून के तहत, मुहारेब की श्रेणी में आने वालों को फांसी, सूली पर चढ़ाना, अंगों की कटाई या देश से निष्कासन जैसी सजा दी जा सकती है। यह जानकारी Fox News की एक रिपोर्ट में दी गई है।

फतवे में आगे कहा गया है कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति या इस्लामी राष्ट्र यदि इन दुश्मनों का समर्थन या सहयोग करता है, तो वह हराम है। सभी मुसलमानों का कर्तव्य है कि वे ट्रंप और नेतन्याहू जैसे शत्रुओं को उनके बयान और कृत्यों के लिए पछताने पर मजबूर करें। आयतुल्ला ने यह भी लिखा कि अगर कोई मुसलमान अपनी धार्मिक जिम्मेदारी निभाने के दौरान कठिनाई या नुकसान झेलता है, तो उसे ईश्वर की राह का योद्धा माना जाएगा और उसे इसका पुण्य प्राप्त होगा।

फतवे की पृष्ठभूमि क्या है?

यह कठोर धार्मिक आदेश 13 जून को शुरू हुई ईरान-इज़राइल युद्ध की पृष्ठभूमि में सामने आया है। इज़राइल ने ईरान पर एक बमबारी अभियान चलाया, जिसमें ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इसके जवाब में ईरान ने इज़राइली शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। झड़पें तब और बढ़ गईं जब अमेरिका ने इज़राइल का साथ देते हुए ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं पर हमला किया। इसके बदले में ईरान ने क़तर में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमला कर दिया।

फतवा क्या होता है?

फतवा इस्लामी कानून की एक व्याख्या होती है, जिसे मरजा यानी शिया धर्म के सर्वोच्च धार्मिक विद्वान जारी करते हैं। यह केवल एक धार्मिक सलाह नहीं बल्कि मुसलमानों  व्यक्तिगत और शासकीय दोनों  के लिए आदेश माना जाता है।

ऐतिहासिक संदर्भ

ईरानी धर्मगुरुओं द्वारा फतवा जारी करना कोई नई बात नहीं है।1989 में, ईरान के तत्कालीन सर्वोच्च नेता आयतुल्ला खुमैनी ने लेखक सलमान रुश्दी के खिलाफ एक प्रसिद्ध फतवा जारी किया था। उनके उपन्यास The Satanic Verses को ईशनिंदा मानते हुए, उनकी हत्या का आह्वान किया गया था। इस फतवे के कारण रुश्दी को वर्षों तक छिपकर रहना पड़ा। इस फतवे से जुड़ी घटनाओं में एक जापानी अनुवादक की हत्या और कई प्रकाशकों पर हमले हुए।2023 में न्यूयॉर्क में रुश्दी पर एक बार फिर हमला हुआ जिसमें उन्होंने एक आंख गंवा दी।

ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु का यह फतवा न केवल अमेरिकी और इज़राइली नेतृत्व के खिलाफ धार्मिक मोर्चे की घोषणा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पश्चिम एशिया में संघर्ष अब कूटनीति से कहीं आगे, धार्मिक वैधता और सामूहिक भावनाओं की ओर बढ़ चुका है। आने वाले दिनों में यह फतवा पश्चिम एशिया की राजनीति, मुस्लिम दुनिया की एकता और अमेरिका-इज़राइल विरोधी भावनाओं को किस हद तक प्रभावित करेगा यह देखने वाली बात होगी। 

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