इजरायल का हमला: सेल्फ डिफेंस या अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन?
UN Charter: इजरायल-ईरान संघर्ष अब कानूनी रंग भी लेने लगा है. जानबूझकर किए हमले और प्रॉक्सी संगठनों से जुड़े सवाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठने लगे हैं.;
Israel-Iran conflict: जब जंग के बादल मंडराते हैं तो गोलियों और मिसाइलों से कहीं ज्यादा जरूरी 'कानून की आवाज' को सुनना हो जाता है. इजरायल ने हाल ही में ईरान की सैन्य और परमाणु ठिकानों पर जो हमले किए, उसने केवल पश्चिम एशिया को नहीं, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कानूनी और नैतिकता दुविधा में डाल दिया है. अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या ये हमला सेल्फ डिफेंस में था या 'अवैध'? क्या अमेरिका इजरायल की मदद करके अंतरराष्ट्रीय कानून की संवैधानिक मर्यादाओं में रह पाएगा?
क्या इजरायल वाकई वैध लड़ाई लड़ रहा है या फिर वह खुद को एक अंतरराष्ट्रीय उल्लंघनकर्ता बना बैठा है. अंतरराष्ट्रीय कानून (UN चार्टर) के तहत केवल तत्काल और स्पष्ट खतरे की स्थिति में ही हमला वैध होता है, जिसे "Caroline Test" (1837) में स्थापित किया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान द्वारा परमाणु हथियारों से खतरनाक हमला करने की कोई स्पष्ट संकेत या तत्काल खतरा नहीं था, इसलिए इजरायल की वायुसेना कार्रवाई कानूनी मानदंड पर खरी नहीं उतरती है.
'जारी संघर्ष' का दावा
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला ईरान के साथ पिछले वर्षों में संघर्ष का जारी हिस्सा था. जैसे कि हमास, हिजबुल्लाह और हूती विद्रोहियों के हमले. अगर इजरायल यह साबित कर सके कि उसके विमान मरकज निरोधात्मक (retaliatory) हमले हैं तो यह डिफेंस के रूप में वैध माना जा सकता है.
निकारागुआ टेस्ट
अगर ईरान अपने प्रॉक्सी (हमीशन, हूती और हिजबुल्लाह) पर प्रभाव रखता है तो इजरायल खुद को उन समूहों द्वारा हुए हमलों का उत्तरदायी मान सकता है. हालांकि, ईरान का नियंत्रण इन समूहों पर काफी हद तक सीमित लगता है, इसलिए यह तर्क कमजोर माना जा सकता है.
क्या अमेरिका मदद कर सकता है?
अंतरराष्ट्रीय कानून (Article 51 of UN Charter) में मिलीजरी सहायता कानूनी रूप में स्वीकार्य है, अगर पीड़ित देश (यहां इजरायल) सेल्फ डिफेंस के लिए सहायता मांगता है. लेकिन अगर इजरायल का हमला अवैध माना गया तो अमेरिका की मदद भी अवैध हो जाएगी, जब तक कि अमेरिका का खुद के लिए वैध रक्षा आधार न हो.