ईरान पर बरसे डोनाल्ड ट्रंप, यूएस सैन्य प्रहार वैसा होगा जैसा कभी न देखा हो
ईरान-इज़राइल के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। इज़राइली हमलों पर ट्रंप ने कहा कि अमेरिका शामिल नहीं है। लेकिन उसके ऊपर हमला हुआ तो तबाही बरसाएंगे।;
Israel Iran Conflict इजरायल और ईरान कभी दोस्त हुआ करते थे। लेकिन अब एक दूसरे के जानी दुश्मन। इजरायल, ईरान को तबाह और बर्बाद करने पर तुला हुआ है। पिछले तीन दिन से ईरान के रणनीतिक ठिकानों को निशाना बना रहा है। इन सबके बीच ईरान ने भी साफ कर दिया है कि वो अपनी संप्रुभता की रक्षा के लिए जवाब देगा। बता दें कि इजरायली हमलों का जवाब ईरान की तरफ से दिया भी गया है। इन सबके बीच अमेरिका की भूमिका क्या है वो रहस्य से भरी है। एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) कहते हैं कि उनका देश इन हमलों के पीछे नहीं है तो दूसरी तरफ अमेरिकी सैन्य ताकत का जिक्र कर ईरान को धमकाने का भी काम कर रहे हैं।
ट्रंप की सलाह और चेतावनी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि अमेरिका का ईरान पर हुए ताज़ा हवाई हमले से कोई संबंध नहीं है। यह बयान इज़राइल द्वारा तेहरान स्थित ईरानी रक्षा मंत्रालय और एक प्रमुख परमाणु परियोजना पर बड़े हमले का दावा करने के कुछ घंटों बाद आया है। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि आज रात ईरान पर हुए हमले से अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन अगर ईरान ने किसी भी रूप में अमेरिका पर हमला करने की कोशिश की, तो अमेरिकी सशस्त्र बलों की पूरी ताकत उस पर ऐसी भयावहता के साथ टूट पड़ेगी जो पहले कभी नहीं देखी गई।उन्होंने यह भी कहा कि वे ईरान और इज़राइल के बीच शांति समझौता कराने में मदद कर सकते हैं। इस रक्तरंजित संघर्ष को खत्म कर सकते हैं।इस बीच अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में प्रस्तावित परमाणु वार्ता जो रविवार को होने वाली थी रद्द कर दी गई है। शुक्रवार को ट्रंप ने तेहरान से अपील की थी कि वह अमेरिका के साथ परमाणु कार्यक्रम पर समझौता करे। उन्होंने चेतावनी दी थी,अगर ईरान अब समझौता नहीं करता, तो बाद में कुछ नहीं बचेगा।
इज़राइल का ‘राइजिंग लायन’ ऑपरेशन
इज़राइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) के मुताबिक उसने तेहरान में उन ठिकानों पर हमले किए जो ईरानी परमाणु हथियार परियोजना से जुड़े हुए हैं। IDF ने बताया कि हमलों में ईरानी रक्षा मंत्रालय का मुख्यालय और SPND (परमाणु अनुसंधान इकाई) को निशाना बनाया गया। इसके अलावा वह स्थल भी निशाने पर था जहां ईरान ने कथित रूप से अपने परमाणु अभिलेखों को छिपाया हुआ था। इज़राइली हमले के बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कई मिसाइलें और ड्रोन इज़राइल की ओर दागे। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के अनुसार, उनके हमलों का लक्ष्य इज़राइल की ऊर्जा अवसंरचना और फाइटर जेट फ्यूल उत्पादन केंद्र थे।
इन हमलों में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई है, जिनमें एक 10 वर्षीय बच्चा और एक 20 साल की महिला भी शामिल है। यरुशलम और तेल अवीव जैसे बड़े शहरों में एयर रेड सायरन बजाए गए। इज़राइल ने इस हमले को ऑपरेशन राइजिंग लायन नाम दिया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि इस ऑपरेशन का मकसद ईरान से आ रहे अस्तित्व के खतरे को पीछे धकेलना है। यह अभियान तब तक चलेगा जब तक यह खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता। उन्होंने दावा किया कि इज़राइली हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य जनरल, वरिष्ठ वैज्ञानिक और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े विशेषज्ञों को मार गिराया गया है।
शनिवार को एक वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने कहा था कि हम अयातोल्ला शासन के हर ठिकाने और हर लक्ष्य को मारेंगे। अब तक जो झेला है, वो कुछ नहीं असली प्रहार अभी बाकी है। ईरान और इज़राइल के बीच यह संघर्ष अब एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध में बदलने की आशंका को जन्म दे चुका है। अमेरिका भले ही प्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष में शामिल न हो, लेकिन उसके रुख और चेतावनियों से यह स्पष्ट है कि हालात किसी भी दिशा में तीव्रता से मुड़ सकते हैं।