इजरायल का नया पैंतरा, 'जनरल योजना' पेश! नॉर्थ गाजा को भूखे मारने का प्लान?

मिडिल ईस्ट में संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इस संघर्ष में कई बेगुनाह नागरिक भी मारे जा रहे हैं. लेकिन फिर भी कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है.

Update: 2024-10-14 04:22 GMT

Middle East crisis: मिडिल ईस्ट में संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इजरायल ईरान, फिलिस्तीन, हमास, हिजबुल्लाह समेत कई मोर्चों पर एक साथ लड़ रहा है. हालांकि, इस संघर्ष में कई बेगुनाह नागरिक भी मारे जा रहे हैं. लेकिन फिर भी कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है. इसी बीच दुश्मनों को नेस्तानाबुत करने के लिए लिए इजरायल ने एक खास प्लान तैयार किया है. इसे 'जनरलों की योजना' कहा जा रहा है. इसके तहत उत्तरी गाजा को अलग-थलग कर भूखों मारना है. ताकि वहां से आतंकियों का सफाया किया जा सके. हालांकि, मानवाधिकार संगठनों ने इस योजना को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उत्तरी गाजा के जबालिया में इजरायल के सैन्य अभियान तेज हो रहे हैं. इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) नागरिकों से खाली करने और दक्षिण की ओर जाने का आग्रह कर रहा है. इसी बीच नई रिपोर्ट बताती हैं कि इजरायल की इस क्षेत्र में मानवीय सहायता को बंद करने की योजना है, जिसका रणनीतिक उद्देश्य हमास के आतंकवादियों को भूखा मारना है. हालांकि, यह योजना हजारों फिलिस्तीनियों को भोजन और पानी से महरूम कर सकता है.

रिटायर जनरलों के एक समूह द्वारा नेतन्याहू और इजरायली संसद को प्रस्तावित योजना में गाजा पट्टी के उत्तरी तीसरे हिस्से में फिलिस्तीनियों को इसे सैन्य क्षेत्र घोषित करने से पहले खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय देगी. वहीं, जो लोग बच जाएंगे, उन्हें लड़ाके माना जाएगा और सैन्य नियमों के तहत सैनिकों को उन्हें मारने की अनुमति दी जाएगी. इसके साथ ही उन्हें भोजन, पानी, दवा और ईंधन जैसी आवश्यक आपूर्ति से वंचित कर दिया जाएगा.

जनरलों की योजना

'जनरलों की योजना' नाम की यह रणनीति हमास के नेतृत्व को खत्म करने और नागरिक आबादी के लिए असहनीय परिस्थितियां पैदा करके उत्तरी गाजा पर सशस्त्र समूह की पकड़ को तोड़ने के लिए बनाई गई है. योजना के मुख्य जियोरा एलैंड राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व प्रमुख हैं. उनका मानना ​​है कि साल भर से चल रहे युद्ध को समाप्त करने और हमास पर शेष इज़राइली बंधकों को रिहा करने का दबाव बनाने का यही एकमात्र तरीका है. एलैंड का कहना है कि

हमने पिछले नौ या 10 महीनों में गाजा के उत्तरी हिस्से को घेर लिया है. इसलिए हमें जो करना चाहिए, वह यह है कि उन सभी 300,000 निवासियों [संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमानित 400,000] को बता दें, जो अभी भी गाजा के उत्तरी हिस्से में रहते हैं कि उन्हें यह क्षेत्र छोड़ना होगा और उन्हें इज़राइल द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले सुरक्षित गलियारों से निकलने के लिए 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए. इसके बाद यह पूरा क्षेत्र एक सैन्य क्षेत्र बन जाएगा. बाकी सभी बचे हुए हमास लड़ाकों या नागरिकों के पास दो विकल्प होंगे या तो आत्मसमर्पण करें या भूख से मरें.

योजना पर विचार?

हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इजरायल सरकार जनरलों की योजना को अपनाएगी. इजरायली सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नादव शोशानी ने इस संबंध में इनकार करते हुए कहा कि हमें ऐसी कोई योजना नहीं मिली है. हालांकि, मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि योजना के कुछ हिस्सों को पहले ही लागू किया जा रहा है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कौन से हिस्से लागू किए जा रहे हैं. एक अन्य इजरायली अधिकारी ने पुष्टि की कि नेतन्याहू ने संघर्ष के दौरान प्रस्तुत किए गए अन्य प्रस्तावों के साथ-साथ योजना की समीक्षा की थी. लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि इसे मंजूरी दी गई है या नहीं.

हालांकि, ऐसा लगता है कि इजरायल पहले से ही उत्तरी गाजा पर शिकंजा कस रहा है. इजरायली बलों ने पिछले सप्ताह गाजा शहर के उत्तर में जबालिया शरणार्थी शिविर में हमास लड़ाकों के खिलाफ एक नया हमला किया. वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इस महीने भोजन, पानी या दवाई ले जाने वाले किसी भी ट्रक ने इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है, जिससे उत्तर में फिलिस्तीनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

अंतरराष्ट्रीय आक्रोश

मानवाधिकार समूह जनरल की योजना से चिंतित हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे व्यापक नागरिक पीड़ा हो सकती है और संभवतः अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन होगा, जो भोजन को युद्ध के हथियार के रूप में उपयोग करने पर रोक लगाते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी ऐसी किसी भी योजना का विरोध किया है, जो गाजा में सीधे इजरायली कब्जे की ओर ले जाए. विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के कदम का अमेरिका समर्थन नहीं करता है.

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