कौन हैं ईरान के अंतरिम प्रेसिडेंट मोहम्मद मोखबर, पश्चिमी देश नहीं करते पसंद

दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के बाद सर्वोच्च नेता खामनेई के सबसे नजदीकियों में से एक, पश्चिमी देशों को नहीं भाते मोखबर, यूरोपीय संघ ने लगाया था मोखबर पर प्रतिबन्ध

Update: 2024-05-21 06:03 GMT

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की हेलीकाप्टर क्रैश के चलते हुई मौत के बाद अब ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को देश का अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयोतोल्लाह अली खोमेनेई ने इसके लिए मंजूरी दे दी है. फिलहाल मोखबर 50 दिन तक राष्ट्रपति का कार्यभार संभालेंगे. ईरान को राष्ट्रपति पद के लिए 50 दिन के अंदर अंदर चुनाव कराना होगा. मोहम्मद मोखबर की बात करें तो वो पश्चिमी देशों की गुड लिस्ट में नहीं है, इसके अलावा वो मीडिया की सुर्ख़ियों से दूर बने रहते हैं. ईरान में एक नहीं बल्कि कई उपराष्ट्रपति होते हैं, तो आखिर ऐसा क्या रहा जो ईरान के सर्वोच्च नेता ने मोखबर को ही अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया. जानने की कोशिश करते है.

मोहम्मद मोखबर कौन है

मोहम्मद मोखबर की उम्र 68 वर्ष है. उन्हें दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी का करीबी और विश्वास पात्र मन जाता है. इब्राहीम रईसी जब में ईरान के राष्ट्रपति बने तो उसके बाद उन्होंने अगस्त 2021 में मोहम्मद मोखबर को देश का उपराष्ट्रपति(प्रथम) के तौर पर मोहम्मद मोखबर को नियुक्त किया. मोखबर की गिनती ईरान के ताकतवर नेताओं में होती है.


इलेक्ट्रिकल इंजिनियर हैं मोहम्मद मोखबर

मोहम्मद मोखबर का जन्म ईरान के दक्षिण पश्चिम में स्थित खुज्स्तान प्रान्त में 1 सितम्बर 1955 में हुआ. उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढाई की. इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल लॉ में पीएचडी भी की है. वो बैंकिंग सेक्टर और कम्युनिकेशन सेक्टर में भी काम कर चुके हैं. वे खुज़स्तान टेलीकम्युनिकेशन अथोरिटी के प्रमुख के रूप में सेवायें दे चुके हैं. 1990 के दशक में उन्हें प्रांत का डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया. सेताद(SETAD) में जाने से पहले मोखबर ईरान की ही एक और शक्तिशाली संसथान मोस्ताज़फां (Mostazafan) फाउंडेन में भी डिप्टी रह चुके हैं. इस संसथान की स्थापना भी खामनेई ने एक चैरिटेबल फाउंडेशन के रूप में की थी.

सर्वोच्च नेता के करीबी भी हैं मोखबर

मोहम्मद मोखबर न केवल इब्राहीम रईसी के करीबी थे बल्कि उन्हें सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खामनेई का नजदीकी भी समझा जाता है. यही बझ भी है कि खामनेई ने मोखबर को अंतरिम राष्ट्रपति नियुक्त किया है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इब्राहीम रईसी की मौत के बाद खामनेई के सबसे विश्वास पत्रों में इब्राहीम रईसी के बाद मोखबर को माना जाता है. यही वजह भी है कि अब ये कयास भी लगाये जा रहें हैं कि खामनेई के उत्तराधिकारी के तौर पर अब मोहम्मद मोखबर को ही समझा जा रहा है. उपराष्ट्रपति(प्रथम) के तौर पर मोहम्मद मोखबर ने देश में कई विकास परियोजनाओं की नीव रखी और उनका उद्घाटन भी किया. इस सिलसिले में वो ईरान के कई इलाकों में भी गए. इतना ही नहीं दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के साथ उन्होंने कई विदेह्स यात्रायें भी की हैं. कई विदेश यात्राओं के दौरान उन्होंने ईरान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया. मोखबर ने 2023 अक्टूबर में ईरानी अधिकारियों के साथ मॉस्को का दौरा किया था.

क्यों बनाए गए थे उपराष्ट्रपति(प्रथम)

मोहम्मद मोखबर को न केवल दिवंगत राष्ट्रपति रईसी बल्कि सर्वोच्च नेता खामनेई का करीबी भी माना जाता है. इसके अलावा उनके पास एग्जीक्यूटिव अफेयर्स संभालने का अनुभव भी रहा है. उनके सम्बन्ध इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के साथ भी बेहतर रहे हैं. उन्हें ईरान का काफी एक्टिव नेता भी माना जाता है. इसलिए उनको उपराष्ट्रपति(प्रथम) के रूप में नियुक्त किया गया था, क्योंकि ईरान में प्रधानमंत्री के पद की समाप्ति के बाद उपराष्ट्रपति(प्रथम) को ही उस पद की सारी ज़िम्म्मेदारी दे दी गयी थी.

पश्चिमी देशों को नहीं भाते मोखबर

मोहमाद मोखबर की बात करें तो बेशक वो ईरान में अच्चा ओहदा और साख रखते हैं लेकिन पश्चिमी देशों को वो फुंटी आँख नहीं सुहाते. इसके पीछे का कारण ईरान के परमाणु और बल्लास्टिक मिसाइल प्रोग्राम में मोखबर की कथित संलिप्तता समझी जाति है. यही वजह भी रही कि यूरोपियन यूनियन ने मोखबर पर प्रतिबन्ध भी लगा दिया था. हालाँकि 2 साल बाद ही मोखबर का नाम यूरोपियन संघ ने प्रतिबन्ध वाली सूचि से हटा दिया था.

ईरान की चैरिटेबल संस्था का भी कर चुके हैं नेतृत्व


ईरान के सर्वोच्च नेता खामनेई देश में एक चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलते हैं, जिसे सेताद(SETAD) के नाम से जाना जाता है. मन जाता है कि इस चैरिटेबल संसथान के पास अरबो डॉलर हैं और ये बहुत आमिर संसथान है. मोहम्मद मोखबर इस संसथान का 14 साल तक नेतृत्व कर चुके हैं.


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