ऐसे पा सकते यूके, सिंगापूर और हांगकांग जैसे देशों में वीजा मुक्त प्रवेश
प्रशांत महासागर के तट पर स्थित द्वीप देश नाउरू ने समुद्र स्तर के बढ़ते संकट के बीच भविष्य की सुरक्षा की नई दिशा को तय करने के लिए नागरिकता बिक्री कार्यक्रम शुरू किया है।;
Nauru Island Passport Sale Program: अगर आप चाहते हैं कि बगैर वीजा के यूके, सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों में आ जा सकें और आपके पास 1 करोड़ 21 लाख 79 हजार 945 रूपये हैं तो आपको न केवल ये सुविधा बल्कि एक अन्य देश की नागरिकता भी मिल सकती है। नागरिकता देने वाले इस देश का नाम है नाउरू, जो अपने देश के नागरिकों की समस्या के समाधान के लिए पासपोर्ट बेच कर आर्थिक संसाधन जुटाने में लगा हुआ है। दरअसल नाउरू एक छोटा सा द्वीप राष्ट्र है, जो इन दिनों जल वायु परिवर्तन के कारण समुद्र स्तर के बढ़ने की वजह से मुश्किलों का सामना कर रहा है। यही वजह है कि इस देश ने अपना पासपोर्ट 1 लाख 40 हजार 500 डॉलर में बेचने का निर्णय लिया है। ताकि अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा सके। खरीदारों को इस पासपोर्ट के बदले यूके, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में वीजा-मुक्त यात्रा का लाभ मिलेगा।
जलवायु परिवर्तन से नाउरू की बढ़ती चिंता
नाउरू, प्रशांत महासागर के किनारे स्थित है। ये देश कभी दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक था, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है। द्वीप के लगभग 90% निवासी बढ़ते समुद्र स्तर से प्रभावित हैं, और उन्हें अंतर्देशीय क्षेत्रों में स्थानांतरित होना पड़ा है। नाउरू का भूमि क्षेत्र काफी छोटा है, और इसके अधिकांश हिस्से समुद्र के स्तर के बढ़ने के कारण डूबने का खतरा झेल रहे हैं। ऐसे में, राष्ट्रपति डेविड एडियांग ने इस संकट से निपटने के लिए "हायर ग्राउंड इनिशिएटिव" नामक एक योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य नाउरू के खनन-रहित अंदरूनी हिस्से को एक स्थायी रिहायशी हिस्से में बदलना है।
पासपोर्ट बिक्री से जुटाए जा रहे फंड्स
नाउरू सरकार ने इस परियोजना के लिए $65 मिलियन जुटाने का लक्ष्य तय किया है, ताकि द्वीप के निवासी सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित हो सकें और नए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके। इसके लिए, नाउरू $140,500 में पासपोर्ट बेचने का प्रस्ताव पेश कर रहा है, जो खरीदारों को ब्रिटेन, सिंगापुर और हांगकांग जैसे वीजा-मुक्त देशों में यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा। यह कदम न केवल नाउरू के आर्थिक संकट को हल करने के लिए एक उपाय है, बल्कि यह डिजिटल खानाबदोशों, दोहरी नागरिकता के इच्छुक व्यक्तियों और अक्सर यात्रा करने वालों के लिए एक आकर्षक अवसर भी बन चुका है।
पिछले विवाद और सुरक्षा चिंताएं
नाउरू का नागरिकता बिक्री कार्यक्रम पहले भी विवादों में रहा है। इसके पूर्व कार्यक्रमों में सुरक्षा चिंताएं सामने आई थीं, जहां नाउरू के पासपोर्ट को अपराधियों और आतंकवादियों से जोड़ा गया था। इसके कारण 2003 में नाउरू ने अपने नागरिकता कार्यक्रम को बंद कर दिया था। लेकिन अब, राष्ट्रपति एडियांग ने आश्वासन दिया है कि इस बार सख्त सुरक्षा जांच की जाएगी और खरीदारों के बारे में पूरी जानकारी ली जाएगी। उनका कहना है, "हम इस बात का इंतज़ार नहीं करेंगे कि समुद्र की लहरें हमारे घरों और बुनियादी ढाँचे को बहा ले जाएँ। हमें अपने देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।"
नाउरू का आर्थिक संकट
फॉस्फेट खनन से कभी समृद्ध रहने वाला नाउरू आज आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। खनन उद्योग का पूरा हिस्सा समाप्त होने के बाद, द्वीप राष्ट्र को नई आर्थिक रणनीतियों की तलाश थी। जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली समस्याओं के साथ-साथ, नाउरू को यह भी महसूस हुआ कि उसे अपनी सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग करना होगा। इस सबके बीच पासपोर्ट की बिक्री ने एक नया रास्ता खोला है, जिससे न केवल आर्थिक संसाधन जुटाए जा सकते हैं, बल्कि नाउरू के निवासियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और छोटे द्वीप देशों की चुनौतियाँ
नाउरू की योजना दुनिया के छोटे द्वीप देशों के सामने आने वाली बड़ी समस्याओं को उजागर करती है। जलवायु परिवर्तन के कारण इन देशों के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। नाउरू की पहल यह दिखाती है कि छोटे देशों को अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कठिन और अनूठे विकल्पों का चयन करना पड़ता है। एडियांग ने संयुक्त राष्ट्र से भी जलवायु वित्तपोषण में सहायता की अपील की है, क्योंकि छोटे द्वीप देशों को अक्सर जलवायु संकट के समाधान के लिए प्राथमिकता नहीं मिलती। नाउरू का पासपोर्ट बिक्री कार्यक्रम साहसिक होने के साथ साथ विवादास्पद भी है, जो जलवायु परिवर्तन और आर्थिक संकट से जूझ रहे छोटे देशों के लिए एक नई दिशा का संकेत दे रहा है। हालांकि इस योजना को लेकर सुरक्षा चिंताएं हैं, लेकिन राष्ट्रपति एडियांग के नेतृत्व में नाउरू ने इसे लागू करने के लिए सख्त निगरानी का वादा किया है। नाउरू का उदाहरण वैश्विक समुदाय को यह सोचने पर मजबूर करता है कि जलवायु संकट से निपटने के लिए छोटे द्वीप देशों को कौन सी नीतियाँ अपनानी चाहिए और क्या इस तरह के अनोखे उपायों को स्वीकार किया जा सकता है।